सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है. इस मौसम में कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया के कारण संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें इन्फ्लुएंजा का खतरा अधिक होता है. इन्फ्लुएंजा एक तरह का वायरस है, जो श्वसन तंत्र के साथ ही नाक, गले, फेफड़ों को भी प्रभावित करता है. यह एक संक्रामक रोग है, जिस पर ध्यान ना देने पर स्थिति बिगड़ भी सकती है. इस संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण पर अधिक जोर दिया जाता है. इसलिए हर साल 2 दिसंबर से लेकर 12 दिसंबर तक 'राष्ट्रीय इन्फ्लुएंजा टीकाकरण सप्ताह' मनाया जाता है. जिसके तहत हर उम्र के व्यक्ति को यह टीका लगाए जाने की अनुशंसा की जाती है.
संक्रामक है इन्फ्लुएंजा
इन्फ्लूएंजा का एक संक्रामक रोग है. जिसकी शुरुआत साधारण फ्लू की भांति ही खांसी, जुकाम और हल्के बुखार के साथ होती है. इन्फ्लुएंजा वायरस हमारे शरीर में नाक, आंख और मुंह से प्रवेश करता है. दरअसल पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स हवा के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है. यह ड्रॉपलेट्स यानि छोटी- छोटी बूंदे सांस के साथ शरीर में पहुंच कर संक्रमण पैदा करती हैं. इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा पूर्व में छूए गए स्थान या सामान को छूने भर से भी यह संक्रमण होने का खतरा रहता है.
गंभीर इन्फ्लुएंजा का स्वास्थ्य पर असर
इन्फ्लुएंजा संक्रमण के गंभीर होने पर मरीज में सबसे ज्यादा निमोनिया होने की आशंका रहती है. इसके अतिरिक्त इस संक्रमण के कारण साइनस और कान का संक्रमण भी हो सकता हैं. स्थिति गंभीर होने पर फेफड़ों में सूजन और पानी भरने जैसी समस्या भी हो सकती है. इस संक्रमण का सबसे अधिक असर 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों , कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों तथा क्रोनिक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों पर पड़ता है.
टीकाकरण की अनुशंसा
इन्फ्लुएंजा का टीका शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर सर्दी, जुखाम व मौसमी बीमारियों से बचाव करता है और श्वसन तंत्र को मजबूत करता है. ज्यादातर देशों में इन्फ्लुएंजा के मौसमी संक्रमण से बचाव के लिए साल में एक बार इन्फ्लुएंजा के टीकाकरण की अनुशंसा की जाती है. यह टीका बच्चों और बड़ों दोनों को लगाया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी उन देशों को प्रोत्साहित करता है, जहां ऐसे लोगों को टीका लगाए जाने को प्राथमिकता दी जाती है, जिनमें संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता है, जैसे गर्भवती महिलाएं, 6-59 महीने की आयु के बच्चे, बुजुर्ग व्यक्ति, पुराने रोगों से ग्रसित व्यक्ति और स्वास्थ्य देखभाल कर्मी. इन्फ्लुएंजा के कुछ टीके ऐसे हैं, जिन्हें इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है. वहीं कुछ टीकों को इंट्रानैसल यानि नाक में दिया जाता है.
इन्फ्लूएंजा के लक्षण
- इन्फ्लुएंजा वायरस की चपेट में आने पर शरीर में लगातार थकान महसूस होती रहती है.
- कमजोरी महसूस होने लगती है तथा चक्कर आते हैं.
- ठंड और कपकपी के साथ तेज बुखार आता है. इसके अलावा गले में कफ जम जाता है और कुछ भी निगलने में तकलीफ होती है. सांस लेने में परेशानी होती है. इसके साथ ही बहुत छींक भी आती हैं.
- पीड़ित व्यक्ति के सिर तथा मांसपेशियों में भी दर्द होता रहता है.
कैसे करें बचाव
इन्फ्लुएंजा वायरस से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है साफ-सफाई. इसलिए आस-पास की तो सफाई रखे ही, साथ ही टॉयलेट जाने के बाद तथा खाना खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ जरूर धोएं. हल्का सुपाच्य और पौष्टिक भोजन ग्रहण करें, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो. गरिष्ट, बासी तथा बाजार के खाने से दूर रहें. चूंकि इन्फ्लुएंजा की स्थिति में शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए ज्यादा मात्रा में पानी या नारियल पानी, छाछ, दूध, लस्सी, और जूस का सेवन करें. सांस लेने में तकलीफ हो तो, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.