नई दिल्ली : पिछले साल 12 मई को लंदन में पहली पुष्टि के बाद से दुनिया भर में मंकीपॉक्स के कई मामले सामने आए हैं. गौरतलब है कि महामारी विज्ञान इसकी तुलना तीन हजार साल से दुनिया में अस्तित्व में चेचक से कर रहा है. यह एक गंभीर संक्रामक रोग है. शोधकर्ताओं के मुताबिक वर्तमान प्रकोप की कुछ विशेषताएं पिछले मंकीपॉक्स के प्रकोप से भिन्न हैं. चेचक या इन्फ्लूएंजा के समान एक और वैश्विक महामारी का सामने आने चिंता का कारण हो सकता है. Monkeypox new variant will be harmful . monkey virus new variant . Mpox update . Monkeypox mutations .
इस साल मई से मंकीपॉक्स का प्रकोप तेजी से फैला और यूरोप, अमेरिका, ओशिनिया, एशिया और अफ्रीका के कई देशों में 20 हजार से अधिक मामले सामने आए. जैव सुरक्षा और स्वास्थ्य में प्रकाशित पेपर के अनुसार, नए वायरस के संबंध में और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है. हालांकि इसकी विशेषता त्वरित विकास, नए-उभरते वेरिएंट, निकट संपर्क के माध्यम से संचरण, कई देशों में पुष्ट मामलों का तेजी से विस्तार आदि हैं.
नया नामकरण : नामों वैश्विक विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद WHO ने मंकीपॉक्स के पर्याय के रूप (Monkeypox Scynonym ) में एक नया पसंदीदा शब्द ऐमपॉक्स ( Mpox ) दिया है. दोनों नामों का एक साथ एक वर्ष के लिए उपयोग किया जाएगा और मंकीपॉक्स चरणबद्ध रूप से समाप्त हो जाएगा. ऑनलाइन प्रकाशित Colorado Boulder research के नए जर्नल सेल के मुताबिक इस वायरस का एक अस्पष्ट परिवार पहले से ही जंगली अफ्रीकी प्राइमेट्स में बसा है और कुछ बंदरों में घातक इबोला जैसे लक्षण पैदा करने के लिए जाना जाता है. इस तरह के विषाणुओं को पहले से ही मकाक बंदरों के लिए एक गंभीर खतरा माना जाता है, हालांकि अब तक इसके मानव संक्रमण की सूचना नहीं है. और इस वायरस का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तय नहीं है.
धमनीविषाणुओं का अध्ययन
प्रोफेसर व वरिष्ठ लेखक सारा सॉयर ( Sarah Sawyer ) ने कहा, इस पशु वायरस ने यह पता लगाया है कि मानव कोशिकाओं तक कैसे पहुंच प्राप्त करें, खुद को कैसे बढ़ाएं. कुछ महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा तंत्रों से बचने के लिए हम इस पशु वायरस से बचाने की उम्मीद करेंगे. हमें इस पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा हालांकि जानवरों और मनुष्यों दोनों में अब धमनीविषाणुओं का अध्ययन कर वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय संभावित रूप से एक और महामारी से बच सकता है.
जानवरों के बीच हजारों अनोखे वायरस
दुनिया भर में जानवरों के बीच हजारों अनोखे वायरस घूम रहे हैं, जिनमें से अधिकांश में कोई लक्षण नहीं है. हाल के दशकों में इसकी बढ़ती हुई संख्या मनुष्यों तक पहुंच गई है. ये लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली पर कहर बरपे रहे हैं. इनसे लड़ने का मानव के पास कोई अनुभव नहीं है. इन वायरसों में सार्स, कोविड आदि शामिल हैं. ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस ( HIV ) और इसके पूर्ववर्ती सिमियन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस ( SIV ) की तरह सिमियन आर्टेरिवाइरस भी प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर हमला करते हैं और प्रतिरक्षा तंत्र को अक्षम बना देते हैं. शरीर में लंबे समय तक बने रहते हैं.
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में और कोई महामारी नहीं आएगी, लोगों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन वे सुझाव देते हैं कि वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को सिमीयन धमनीविषाणुओं के अध्ययन को प्राथमिकता देना चाहिए. Sarah Sawyer ने कहा, जानवरों से इंसानों तक फैलने की घटनाओं की एक लंबी कड़ी में कोविड नवीनतम है. इनमें से कुछ से वैश्विक तबाही आई है. हम आशा करते हैं कि वायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाकर हम इसका मुकाबला कर सकते हैं.--आईएएनएस
Monkeypox Study : भारत में फैल रहा मंकीपॉक्स Strain यूरोप से अलग है