वैश्विक स्तर पर एंटीबायोटिक या रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में हर वर्ष विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है. इस वर्ष यह सप्ताह 18 नवंबर से 24 नवंबर तक मनाया जा रहा है.
पूरी दुनिया के लिए खतरा है एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल
किसी भी संक्रामक या गंभीर रोग के उपचार के रूप में चिकित्सक रोगी को एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं. एंटीबायोटिक्स वे दवाएं हैं जो लोगों और जानवरों में जीवाणु संक्रमण से लड़ती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोगों को सही करने वाली ये दवा आपको गंभीर परेशानी में भी डाल सकती है! एंटीबायोटिक्स का गलत इस्तेमाल पूरी दुनिया में बड़ा खतरा बनता जा रहा है.
इतिहास तथा उद्देश्य
एंटीबायोटिक्स का उपयोग एलोपैथिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में एंटीबायोटिक्स के अति प्रयोग, दुरुपयोग तथा अलग-अलग कारणों व परिस्थितियों के चलते ऐसी बीमारियों और संक्रमणों का जन्म, जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं, इस क्षेत्र से जुड़े जानकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है.
सर्वप्रथम वर्ष 2007 में इस मुद्दे को लेकर यूरोप में एक प्रस्ताव प्रस्तावित किया गया था, जिसके उपरांत यूरोपीय रोग निवारण और नियंत्रण केंद्र ने इस बारें में वैश्विक स्तर पर ज्यादा जानकारी एकत्रित करने के उद्देश्य से एक योजना विकसित की थी.
जिसके उपरांत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे पूरी दुनिया में एक बढ़ती हुई समस्या के रूप में देखा और मई 2015 में, विश्व स्वास्थ्य सभा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध को एक अंतरराष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया. इस अवसर पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध सहित एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर भी वैश्विक कार्रवाई योजना का गठन किया गया था जिसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के बारे में प्रभावी संचार, शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूकता प्रसारित करने को भी योजना के मुख्य उद्देश्यों में शामिल किया गया.
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी अप्रैल 2017 में इसी संबंध में वैश्विक कार्रवाई योजना में 'एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोधक पर राष्ट्रीय कार्रवाई योजना' का गठन किया है. जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की पहचान एक समस्या के रूप में की तथा इसे लेकर प्रभावी कार्रवाई के लिए प्रयास शुरू किए गए थे.
इस बार की थीम 'जागरूकता फैलाएं, प्रतिरोध रोकें'
विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह को विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह के रूप में भी मनाया जाता है. इस वर्ष 18 नवंबर से 24 नवंबर तक आयोजित होने वाले इस आयोजन की थीम इस वर्ष 'जागरूकता फैलाएं, प्रतिरोध रोकें' ('स्प्रेड अवेयरनेस, स्टॉप रेजिस्टेंस') निर्धारित की गई है. वहीं विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह के लिए 'एंटीमाइक्रोबियल्स: हैंडल विद केयर' को प्राथमिक टैगलाइन नियत किया गया है.
कैसे उपयोगी हैं एंटीबायोटिक दवाइयां
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एंटीबायोटिक वे दवाइयां हैं जो वायरस-संक्रमण को रोकने के लिए इलाज के रूप में दी जाती हैं. एंटीबायोटिक कोई एक दवाई नहीं है, जो हर प्रकार के संक्रमण को ठीक कर सकता हो. अलग-अलग प्रकार के संक्रमणों के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स दवाइयों का इस्तेमाल होता है, जो या तो संक्रमण के जनक बैक्टीरिया को मार देते हैं, उसे प्रभावहीन बना देते हैं या बैक्टीरिया को बढ़ने से रोक देते हैं.
एंटीबायोटिक दवाओं के सबसे आम दुष्प्रभाव पाचन तंत्र में देखे जाते हैं, जो कि लगभग 10 में से एक व्यक्ति में होता है.
- उल्टी.
- मतली (ऐसा महसूस होना कि आपको उल्टी हो सकती है).
- दस्त.
- सूजन और अपच.
- पेट में दर्द.
- भूख में कमी.
एंटीबायोटिक्स को लेने के विभिन्न तरीके
- यह गोलियां, कैप्सूल या तरल पदार्थ से भी एंटीबायोटिक्स को लिया जा सकता है. वहीं, इसे क्रीम, स्प्रे या मलहम की तरह अपनी त्वचा पर लगाया भी जाता है. यह आंखों के लिए ऑइंटमेंट, ड्रॉप्स या कान के लिए ईयर ड्रॉप्स भी हो सकता है.
- आमतौर पर अधिक गंभीर संक्रमणों के मामले में इंजेक्शन के माध्यम से या अंतःशिरा (intravenously-I.V) के माध्यम से भी लिया जाता है.
क्या है एंटीबायोटिक प्रतिरोध
पिछले कुछ सालों में एंटीबायोटिक के ज्यादा उपयोग के चलते एंटीबायोटिक प्रतिरोध आम होने लगा है. दरअसल एंटीबायोटिक प्रतिरोध वह अवस्था है पूर्व में ली गई दवाओं या अन्य कारणों के चलते एंटीबायोटिक दवाइयां बैक्टीरिया से छुटकारा पाने या उसके निस्तारण में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पाती हैं. यह स्तिथि जीवाणु संक्रमण के इलाज को काफी कठिन बना सकती है. दरअसल एंटीबायोटिक का अति प्रयोग और दुरुपयोग एंटीबायोटिक प्रतिरोध की समस्या को बढ़ा देते हैं.
एंटीबायोटिक प्रतिरोध की घटनाएं आजकल विश्व में हर जगह नजर आ रहीं है जिससे संक्रामक रोगों का उपचार भी प्रभावित हो रहा है. बहुत सारे संक्रमण जैसे निमोनिया, टीबी, और गोनोरिया का उपचार वर्तमान समय में अपेक्षाकृत मुश्किल हो गया है, क्योंकि इनके उपचार के लिए उपयोग की जाने वाले एंटीबायोटिक अब कम प्रभावी हैं. इसलिए चिकित्सक बताते हैं कि बिना जरूरत एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि इनका अनावश्यक सेवन करने से शरीर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ सकता है.
एंटीबायोटिक प्रतिरोध से बचने के लिए जरूरी बातें
संक्रमण से बचाव के लिए प्रयास करें. क्योंकि उपचार से बेहतर बचाव होता है.
- संक्रमण के ज़ोखिम को कम करने के लिया मूलभूत स्वच्छता बनाए रखें.
- एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल सिर्फ चिकित्सक के निर्देशों के उपरांत ही करें. अपने आप इसका सेवन न करें.
- जानवरों के लिए भी योग्य पशुचिकित्सक की सलाह के उपरांत ही एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें.
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