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लंबे समय तक मानसिक तनाव बढ़ा सकता है ह्रदयरोगियों के लिए समस्या - how to reduce stress

ऐसे लोग जिनका ह्रदय कमजोर होता है या जिन्हे पहले से किसी प्रकार की ह्रदय संबंधी समस्या हो, तो उनमें कई बार शारीरिक समस्याओं से ज्यादा मानसिक तनाव हार्ट अटैक, स्ट्रोक तथा अन्य गंभीर कार्डियोवस्कुलर संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकता है. हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि लंबे समय से चला आ रहा तनाव ह्रदय रोगियों के लिए बड़ा खतरा हो सकता है.

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लंबे समय तक मानसिक तनाव बढ़ा सकता है ह्रदयरोगियों के लिए समस्या
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Published : Jan 11, 2022, 5:27 PM IST

आमतौर पर माना जाता है कि दिल की बीमारियों के लिए उच्च रक्तचाप, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मधुमेह, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता जिम्मेदार होते हैं. आमतौर पर चिकित्सक भी ह्रदय रोगों से बचाव तथा ह्रदय रोग होने की अवस्था में भी अन्य घातक समस्याओं से बचने के लिए इन्ही शारीरिक समस्याओं से बचाव की बात कहते हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि यदि व्यक्ति लंबे समय तक तनाव से पीड़ित हो तो भी उसमें ह्रदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है.

ह्रदय रोगों से पीड़ित लोगों पर हुआ शोध

जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने 900 से ज्यादा ऐसे लोगों पर अध्धयन किया था जो पहले से ह्रदय रोगो से ग्रस्त थे. शोध में उनके ह्रदय की स्तिथि और समस्याओं पर उनकी शारीरिक अवस्था व मानसिक तनाव के प्रभाव का आंकलन किया गया था. जिसमें पाया गया की ऐसे ह्रदय रोगियों जो लंबे समय से मानसिक तनाव से पीड़ित थे , उनमें मायोकार्डियल इस्किमिया होने का जोखिम काफी ज्यादा था.

दरअसल मायोकार्डियल इस्किमिया एक ऐसी स्तिथि है जिसमें दिल में रक्त प्रवाह कम हो जाता है. जिससे ह्रदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है . ऐसे में ह्रदय घात तथा उसके चलते मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है.

गौरतलब है कि इसी संबंध में पहले हुए एक शोध में भी यह बात सामने आई थी की मानसिक तनाव हार्ट अटैक का बड़ा कारण बन सकता है. उक्त शोध में 52 देशों के 24 हजार से ज्यादा लोगों की शारीरिक व मानसिक अवस्था का अध्धयन किया गया था. उक्त शोध में सामने आया था कि जिन लोगों को मनोवैज्ञानिक तनाव की समस्या थी उनमें ह्रदय रोगों के जोखिम ज्यादा थे.

शोध के निष्कर्ष
शोध के निष्कर्षों में शोधकर्ताओं ने बताया है कि तनाव को कम करने से ह्रदय रोगियों के लिए ह्रदयघात तथा स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है. जिसके लिए तनाव घटाने वाले वाले प्रोग्राम्स जैसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन, योग और ताइ ची जैसे अभ्यास काफी कारगर हो सकते हैं. इन उपायों से शरीर का पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है, जिससे मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है.

शोध के निष्कर्षों में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. माइकल ओसबोर्न बताते हैं कि कई बार नौकरी छूटने , किसी प्रियजन की मृत्यु या उसे खो देने या फिर किसी प्रकार का नुकसान होने के चलते तथा लगातार आर्थिक समस्या के कारण लोगों को मानसिक तनाव की समस्या हो सकती है. डॉ. ओसबोर्न के अनुसार नियमित रूप से व्यायाम करने से भी मानसिक तनाव कम किया जा सकता है. इसके अलावा सही मात्रा में नींद से भी ह्रदय रोगों का खतरा तथा ह्रदय रोगियों की स्तिथि खराब होने का खतरा कम होता है. इसके अलावा सोने से पहले स्मार्टफोन और कंप्यूटर या लैपटॉप के इस्तेमाल से भी परहेज करना चाहिए क्योंकि यह भी नींद पर प्रभाव डालते हैं.

पढ़ें: स्ट्रोक के बाद निम्न रक्तचाप बन सकता है मृत्यु का कारण : शोध

आमतौर पर माना जाता है कि दिल की बीमारियों के लिए उच्च रक्तचाप, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मधुमेह, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता जिम्मेदार होते हैं. आमतौर पर चिकित्सक भी ह्रदय रोगों से बचाव तथा ह्रदय रोग होने की अवस्था में भी अन्य घातक समस्याओं से बचने के लिए इन्ही शारीरिक समस्याओं से बचाव की बात कहते हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि यदि व्यक्ति लंबे समय तक तनाव से पीड़ित हो तो भी उसमें ह्रदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है.

ह्रदय रोगों से पीड़ित लोगों पर हुआ शोध

जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने 900 से ज्यादा ऐसे लोगों पर अध्धयन किया था जो पहले से ह्रदय रोगो से ग्रस्त थे. शोध में उनके ह्रदय की स्तिथि और समस्याओं पर उनकी शारीरिक अवस्था व मानसिक तनाव के प्रभाव का आंकलन किया गया था. जिसमें पाया गया की ऐसे ह्रदय रोगियों जो लंबे समय से मानसिक तनाव से पीड़ित थे , उनमें मायोकार्डियल इस्किमिया होने का जोखिम काफी ज्यादा था.

दरअसल मायोकार्डियल इस्किमिया एक ऐसी स्तिथि है जिसमें दिल में रक्त प्रवाह कम हो जाता है. जिससे ह्रदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है . ऐसे में ह्रदय घात तथा उसके चलते मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है.

गौरतलब है कि इसी संबंध में पहले हुए एक शोध में भी यह बात सामने आई थी की मानसिक तनाव हार्ट अटैक का बड़ा कारण बन सकता है. उक्त शोध में 52 देशों के 24 हजार से ज्यादा लोगों की शारीरिक व मानसिक अवस्था का अध्धयन किया गया था. उक्त शोध में सामने आया था कि जिन लोगों को मनोवैज्ञानिक तनाव की समस्या थी उनमें ह्रदय रोगों के जोखिम ज्यादा थे.

शोध के निष्कर्ष
शोध के निष्कर्षों में शोधकर्ताओं ने बताया है कि तनाव को कम करने से ह्रदय रोगियों के लिए ह्रदयघात तथा स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है. जिसके लिए तनाव घटाने वाले वाले प्रोग्राम्स जैसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन, योग और ताइ ची जैसे अभ्यास काफी कारगर हो सकते हैं. इन उपायों से शरीर का पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र सक्रिय होता है, जिससे मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है.

शोध के निष्कर्षों में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. माइकल ओसबोर्न बताते हैं कि कई बार नौकरी छूटने , किसी प्रियजन की मृत्यु या उसे खो देने या फिर किसी प्रकार का नुकसान होने के चलते तथा लगातार आर्थिक समस्या के कारण लोगों को मानसिक तनाव की समस्या हो सकती है. डॉ. ओसबोर्न के अनुसार नियमित रूप से व्यायाम करने से भी मानसिक तनाव कम किया जा सकता है. इसके अलावा सही मात्रा में नींद से भी ह्रदय रोगों का खतरा तथा ह्रदय रोगियों की स्तिथि खराब होने का खतरा कम होता है. इसके अलावा सोने से पहले स्मार्टफोन और कंप्यूटर या लैपटॉप के इस्तेमाल से भी परहेज करना चाहिए क्योंकि यह भी नींद पर प्रभाव डालते हैं.

पढ़ें: स्ट्रोक के बाद निम्न रक्तचाप बन सकता है मृत्यु का कारण : शोध

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