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मानसिक समस्याएं भी हो सकती है कमर दर्द का कारण

कमर दर्द आज के दौर की सबसे प्रचलित बीमारियों में से एक है। आजकल बच्चे हो या बड़े, बड़ी संख्या में लोगों में यह समस्या देखने तथा सुनने में आती है। एलोपैथिक तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धती के अलावा योग के नियमित अभ्यास तथा उसके सही प्रबंधन से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

Mental states affect physical health
मानसिक अवस्थाओं का शारीरिक स्वास्थ्य पर असर
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Published : Mar 2, 2021, 1:02 PM IST

योग शास्त्र पर आधारित वेदों में कमर दर्द को दो श्रेणी में बांटा जाता है, पहला आधिज यानी तनाव जनित तथा दूसरा अनाधिज यानी तनाव की बजाय किसी अन्य शारीरिक समस्या के कारण उत्पन्न होने वाला दर्द। महर्षि वशिष्ठ ने योग शास्त्र में बताई गई इन अवस्थाओं आधिज व्याधि के तहत स्तर से समझाया है। इसके साथ ही मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के कारण होने वाले कमर दर्द के प्रबंधन को लेकर आधिज व्याधि में विस्तार से जानकारी दी है। योग शास्त्र तथा महर्षि वशिष्ठ द्वारा बताये गए कमर दर्द के कारणों और उनके प्रबंधन के बारे में ETV भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी देते हुए फिजियोथेरेपिस्ट तथा वैकल्पिक चिकित्सा से जुड़ी चिकित्सक डॉ. जहान्वी कथरानी ने योग विज्ञान के अनुसार मानव शरीर की अवस्थाओं के बारे में तथा योग के माध्यम से कमर दर्द से बचाव व उसके निवारण से जुड़ी विभिन्न जानकारियां दी।

योग के अनुसार शरीर का वर्गीकरण

योग शास्त्र में विभिन्न अवस्थाओं के आधार पर शरीर को तीन प्रकारों में वर्गीक्रत किया गया है;

  1. स्थूल शरीर यानी हमारा शरीर
  2. कैजुअल बॉडी (आकस्मिक शरीर) मानसिक, प्राणिक तथा बुद्धि शरीर
  3. सूक्ष्म शरीर यानी आत्मा

आधिज व्याधि

डॉ. जहान्वी बताती हैं कि महर्षि वशिष्ठ द्वारा दी गई आधिज व्याधि संकल्पना के अनुसार कमर दर्द की अवस्थाएं यानी आधिज तथा अनाधिज, तनाव, शारीरिक स्वास्थ्य तथा हड्डियों की अवस्था पर आधारित होती हैं।

आधिज यानी तनाव जनित

योग शास्त्र जानकार तथा प्रशिक्षक व चिकित्सक मानते हैं कि कमर दर्द का कारण कई बार शारीरिक नहीं मानसिक होता हैं। तनाव, चिंता, बेचैनी तथा अवसाद जैसी मानसिक अवस्थाएं कई बार कमर में दर्द का कारण बन सकती है। दरअसल हमारे शरीर में ऊर्जा को प्रवाहित कर प्राणिक ऊर्जा तक संवाहित कर ले जाने वाले चैनल यानी नाड़ी तंत्र के कार्यों में मानसिक समस्याओं के चलते बाधा उत्पन्न होती है, इस कारण से कमर में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। इस श्रेणी में काउंसलिंग तथा विभिन्न प्रकार की योग आधारित शोधन प्रक्रियाओं, प्राणायाम, ध्यान तथा योग आसनों की मदद से कमर दर्द से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है।

अनाधिज यानी तनाव के कारण ना पैदा होने वाली समस्याएं

किसी प्रकार की चोट, मांसपेशियों का क्षतिग्रस्त होना या उनमें कमजोरी, थकान या तनाव, रीढ़ की हड्डी के कॉलम या उसके आसपास की नसों में समस्या सहित विभिन्न प्रकार की शारीरिक दोष जनित समस्याओं के कारण भी कमर में दर्द संभव है। आमतौर पर अनाधिज श्रेणी के अंतर्गत आने वाली समस्याएं ही कमर में दर्द जैसी अवस्थाओं का मुख्य कारण बनती है।

इस श्रेणी के तहत आने वाली अवस्थाओं के कारण उत्पन्न कमर दर्द से मुक्ति के लिए शारीरिक मजबूती विशेषकर कमर की मांसपेशियों तथा लिगामेंट की मजबूती, तथा रीढ़ की हड्डी के कॉलम के सही संरेखण पर जोर दिया जाता है। जिसके लिए योगासन, प्राणायाम तथा दवाइयों की मदद ली जाती है। डॉ. जहान्वी बताती हैं कि हमारी प्रतिदिन की शारीरिक गतिविधियों तथा क्रियाओं, जैसे उठना-बैठना, बैठकर कार्य करना, भोजन करना आदि को विशेषज्ञों द्वारा बताए गए तरीकों के अनुसार किए जाने पर काफी हद तक कमर दर्द जैसी समस्या से राहत पाई जा सकती है।

पढ़े : कमर दर्द में मददगार फिजियोथेरेपी तथा योग

योग शास्त्र के अनुसार कैसे करें कमर दर्द का प्रबंधन

डॉ. जहान्वी बताती हैं कि योग शास्त्र के अनुसार कमर दर्द को प्रभावित करने वाली मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक समस्याओं का प्रबंधन इस प्रकार किया जा सकता है।

  • कपालभाति, जल नीति, वमन पद्दती तथा प्रसन्ना जैसी पद्धतियों के इस्तेमाल से जब टॉक्सिंस यानि विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाता है, तो हमारी मांसपेशियों की ऐंठन काफी हद तक कम हो जाती है। इसके अलावा जल नीति की मदद से साइनस से बलगम काफी हद तक कम किया जा सकता है। इन पद्धतीयों द्वारा उपचार करने पर भी कमर के दर्द में राहत मिलती है।
    Breathing exercises
    ब्रीदिंग एक्सरसाइज
  • नियमित तौर पर प्राणायाम के अभ्यास से भी शरीर की प्राण ऊर्जा को सही दिशा दी जा सकती है। नाड़ी शुद्धि जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है, कमर दर्द की समस्या को कम करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि यह शरीर का संतुलन बनाकर मस्तिष्क को शांत करने में मदद करती है।
    Pranayama practice
    प्राणायाम अभ्यास
  • सिर्फ योगासनों के दौरान ही नहीं नियमित रूप से उठने-बैठने, सोने या किसी भी कार्य को करने के दौरान शरीर के सही पोशचर का ध्यान रख कर भी काफी हद तक कमर दर्द की समस्या से बचा जा सकता है।
    cat cow pose to avoid back pain
    कमर दर्द की समस्या से बचाएं मार्जरी आसन
  • ध्यान केंद्रित करने के अलावा नियमित तौर पर मेडिटेशन का अभ्यास भी काफी हद तक कमर दर्द, विशेषकर रीड की हड्डी तथा उसके आसपास के दर्द में आराम दिलाता है।

इस विषय में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर जहान्वी कथरानी से jk.swasthya108@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

योग शास्त्र पर आधारित वेदों में कमर दर्द को दो श्रेणी में बांटा जाता है, पहला आधिज यानी तनाव जनित तथा दूसरा अनाधिज यानी तनाव की बजाय किसी अन्य शारीरिक समस्या के कारण उत्पन्न होने वाला दर्द। महर्षि वशिष्ठ ने योग शास्त्र में बताई गई इन अवस्थाओं आधिज व्याधि के तहत स्तर से समझाया है। इसके साथ ही मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के कारण होने वाले कमर दर्द के प्रबंधन को लेकर आधिज व्याधि में विस्तार से जानकारी दी है। योग शास्त्र तथा महर्षि वशिष्ठ द्वारा बताये गए कमर दर्द के कारणों और उनके प्रबंधन के बारे में ETV भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी देते हुए फिजियोथेरेपिस्ट तथा वैकल्पिक चिकित्सा से जुड़ी चिकित्सक डॉ. जहान्वी कथरानी ने योग विज्ञान के अनुसार मानव शरीर की अवस्थाओं के बारे में तथा योग के माध्यम से कमर दर्द से बचाव व उसके निवारण से जुड़ी विभिन्न जानकारियां दी।

योग के अनुसार शरीर का वर्गीकरण

योग शास्त्र में विभिन्न अवस्थाओं के आधार पर शरीर को तीन प्रकारों में वर्गीक्रत किया गया है;

  1. स्थूल शरीर यानी हमारा शरीर
  2. कैजुअल बॉडी (आकस्मिक शरीर) मानसिक, प्राणिक तथा बुद्धि शरीर
  3. सूक्ष्म शरीर यानी आत्मा

आधिज व्याधि

डॉ. जहान्वी बताती हैं कि महर्षि वशिष्ठ द्वारा दी गई आधिज व्याधि संकल्पना के अनुसार कमर दर्द की अवस्थाएं यानी आधिज तथा अनाधिज, तनाव, शारीरिक स्वास्थ्य तथा हड्डियों की अवस्था पर आधारित होती हैं।

आधिज यानी तनाव जनित

योग शास्त्र जानकार तथा प्रशिक्षक व चिकित्सक मानते हैं कि कमर दर्द का कारण कई बार शारीरिक नहीं मानसिक होता हैं। तनाव, चिंता, बेचैनी तथा अवसाद जैसी मानसिक अवस्थाएं कई बार कमर में दर्द का कारण बन सकती है। दरअसल हमारे शरीर में ऊर्जा को प्रवाहित कर प्राणिक ऊर्जा तक संवाहित कर ले जाने वाले चैनल यानी नाड़ी तंत्र के कार्यों में मानसिक समस्याओं के चलते बाधा उत्पन्न होती है, इस कारण से कमर में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। इस श्रेणी में काउंसलिंग तथा विभिन्न प्रकार की योग आधारित शोधन प्रक्रियाओं, प्राणायाम, ध्यान तथा योग आसनों की मदद से कमर दर्द से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है।

अनाधिज यानी तनाव के कारण ना पैदा होने वाली समस्याएं

किसी प्रकार की चोट, मांसपेशियों का क्षतिग्रस्त होना या उनमें कमजोरी, थकान या तनाव, रीढ़ की हड्डी के कॉलम या उसके आसपास की नसों में समस्या सहित विभिन्न प्रकार की शारीरिक दोष जनित समस्याओं के कारण भी कमर में दर्द संभव है। आमतौर पर अनाधिज श्रेणी के अंतर्गत आने वाली समस्याएं ही कमर में दर्द जैसी अवस्थाओं का मुख्य कारण बनती है।

इस श्रेणी के तहत आने वाली अवस्थाओं के कारण उत्पन्न कमर दर्द से मुक्ति के लिए शारीरिक मजबूती विशेषकर कमर की मांसपेशियों तथा लिगामेंट की मजबूती, तथा रीढ़ की हड्डी के कॉलम के सही संरेखण पर जोर दिया जाता है। जिसके लिए योगासन, प्राणायाम तथा दवाइयों की मदद ली जाती है। डॉ. जहान्वी बताती हैं कि हमारी प्रतिदिन की शारीरिक गतिविधियों तथा क्रियाओं, जैसे उठना-बैठना, बैठकर कार्य करना, भोजन करना आदि को विशेषज्ञों द्वारा बताए गए तरीकों के अनुसार किए जाने पर काफी हद तक कमर दर्द जैसी समस्या से राहत पाई जा सकती है।

पढ़े : कमर दर्द में मददगार फिजियोथेरेपी तथा योग

योग शास्त्र के अनुसार कैसे करें कमर दर्द का प्रबंधन

डॉ. जहान्वी बताती हैं कि योग शास्त्र के अनुसार कमर दर्द को प्रभावित करने वाली मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक समस्याओं का प्रबंधन इस प्रकार किया जा सकता है।

  • कपालभाति, जल नीति, वमन पद्दती तथा प्रसन्ना जैसी पद्धतियों के इस्तेमाल से जब टॉक्सिंस यानि विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाता है, तो हमारी मांसपेशियों की ऐंठन काफी हद तक कम हो जाती है। इसके अलावा जल नीति की मदद से साइनस से बलगम काफी हद तक कम किया जा सकता है। इन पद्धतीयों द्वारा उपचार करने पर भी कमर के दर्द में राहत मिलती है।
    Breathing exercises
    ब्रीदिंग एक्सरसाइज
  • नियमित तौर पर प्राणायाम के अभ्यास से भी शरीर की प्राण ऊर्जा को सही दिशा दी जा सकती है। नाड़ी शुद्धि जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है, कमर दर्द की समस्या को कम करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि यह शरीर का संतुलन बनाकर मस्तिष्क को शांत करने में मदद करती है।
    Pranayama practice
    प्राणायाम अभ्यास
  • सिर्फ योगासनों के दौरान ही नहीं नियमित रूप से उठने-बैठने, सोने या किसी भी कार्य को करने के दौरान शरीर के सही पोशचर का ध्यान रख कर भी काफी हद तक कमर दर्द की समस्या से बचा जा सकता है।
    cat cow pose to avoid back pain
    कमर दर्द की समस्या से बचाएं मार्जरी आसन
  • ध्यान केंद्रित करने के अलावा नियमित तौर पर मेडिटेशन का अभ्यास भी काफी हद तक कमर दर्द, विशेषकर रीड की हड्डी तथा उसके आसपास के दर्द में आराम दिलाता है।

इस विषय में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर जहान्वी कथरानी से jk.swasthya108@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

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