वैसे तो महामारी के बाद से लोगों में अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन फिर स्वयं को पूरी तरह से स्वस्थ मानने तथा खुद को किसी भी प्रकार की बीमारी होने की आशंका से भी इनकार करने वाले लोगों की कमी दुनिया भर में नही है. हाल ही में हुए एक ऑनलाइन सर्वे में सामने आया है कि ऐसी प्रवत्ति महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होती है. इसी साल 9 से 11 मई के बीच अमेरिका में हुए इस सर्वे में 18 वर्ष व उससे ज्यादा उम्र के 893 महिलाओं व पुरुषों को शामिल किया गया था .
सर्वे के नतीजे
ऑरलैंडो हेल्थ की ओर से द हैरिस पोल द्वारा कराए गए इस सर्वे में सामने आया कि अधिकांश पुरुष स्वयं को दूसरों के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ मानते हैं. यहाँ तक की इस सोच के साथ कि उन्हे कोई गंभीर रोग हो ही नही सकता वे किसी भी उम्र में खुद की सालना शारीरिक जांच करवाना भी जरूरी नही मानते हैं.
गौरतलब है कि दुनिया के सभी चिकित्सक साल में एक बार सम्पूर्ण शारीरिक जांच की सलाह देते हैं, जिससे किसी प्रकार के शारीरिक रोग व समस्या होने की अवस्था में शुरुआत में ही उसके बारें में जानकारी प्राप्त की जा सकें और सही समय पर उसका इलाज करवाया जा सकें. सामान्य अवस्था में 35 साल से ज्यादा आयु वाले लोगों के लिए सालना शारीरिक जांच को जरूरी माना जाता है.
इस सर्वे में पाया गया कि 65 प्रतिशत पुरुष खुद को दूसरों की तुलना में स्वस्थ मानते हैं. वहीं लगभग 33 प्रतिशत पुरुष सालना शारीरिक जांच यानी हेल्थ चेकअप को जरूरी नहीं मानते हैं. इसके अलावा लगभग 38 प्रतिशत पुरुष किसी तरह की समस्या या रोग के लक्षण नजर आने की अवस्था में सबसे पहले चिकित्सक से परामर्श लेने की बजाय अक्सर इंटरनेट या मीडिया से जानकारी लेते हैं तथा उनसे संबंधित लेखों तथा जानकारी के अनुसार अपनी समस्या के लिए खुद ही इलाज करना या अन्य तरीकों से देखभाल करना शुरू कर देते हैं . इस सर्वे में पांच में से दो पुरुषों ने यह भी कहा कि वे खुद से ज्यादा अपने पालतू पशुओं का ध्यान रखते हैं.
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जरूरी है सालाना शारीरिक जांच
इस सर्वे के संबंध में जारी सूचना में ओरलैंडो हेल्थ फिजिशियन एसोसिएट्स के फैमिली मेडिसिन स्पेशलिस्ट तथा शोधकर्ता थामस केली ने बताया है कि जैसा कि सर्वे में सामने आया है कि अधिकांश पुरुषों ने स्वयं को दूसरों के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ माना है, ऐसा होना सांख्यिकीय रूप से संभव नही है.
आमतौर पर ज्यादातर लोग किसी बीमारी के शुरुआती लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से नही लेते हैं, उन्हे आम हल्की फुल्की समस्या करार देते हैं और उनकी अनदेखी कर देते हैं. वहीं कई बार यदि समस्या ज्यादा परेशान करने भी लगे तो सबसे पहले चिकित्सक से संपर्क करने करने की बजाय इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर खुद ही अपना इलाज करना शुरू कर देते हैं, जो उनकी सेहत के लिए काफी खतरनाक हो सकता है.
वैसे भी ऐसे बहुत से रोग तथा समस्याएं होती हैं जिनके शुरुआती लक्षण नजर आते ही नही है ,और जब तक शरीर की जांच ना हो उनके बारें में पता भी नही चलता है. और जब तक इन रोगों के लक्षण नजर आने लगते हैं तब तक काफी देर हो जाती है. इसलिए कम से कम साल में एक बार शरीर की जांच कराना जरूरी हो जाता है.
थामस केली बताते हैं कि स्वास्थ्य को लेकर इस तरह की अनदेखी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकती है. खासतौर रक्तचाप तथा कोलन कैंसर जैसी समस्याओं में इस तरह की सोच तथा लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है. ह्रदय रोग, रक्तचाप या किसी अन्य कारण से अचानक बिगड़े स्वास्थ्य या स्तिथि के गंभीर होने जैसी अवस्था का सामना करने से बेहतर है की इस सत्य को स्वीकार किया जाय कि किसी भी व्यक्ति को कोई भी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है , तथा उनसे बचने तथा सचेत रहने के लिए साल में कम से कम एक बार शरीर की सम्पूर्ण जांच करवाना बेहतर होता है.