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पाचन और कफ के लिए फायदेमंद होते हैं मकर संक्रांति पर बनने वाले पकवान - what foods are eaten on sankranti

मकर संक्रांति, हिंदुओं का ऐसा पावन पर्व है जो स्नान, पूजा पाठ,  दान और खानपान से जुड़ा हुआ होता है. इस पर्व को देश के कई हिस्सों में अलग अलग नामों से मनाया जाता है. इस अवसर पर तिल और गुड़ के लड्डू तथा खिचड़ी खाने का प्रचलन है. मंकर संक्रांति में जिन चीज़ों को खाने में शामिल किया जाता है उसके पीछे आध्यात्मिक के साथ चिकित्सकीय कारण भी हैं.

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पाचन और कफ के लिए फायदेमंद होते हैं मकर संक्रांति पर बनने वाले पकवान
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Published : Jan 14, 2022, 9:07 PM IST

मौसम को लेकर भारतीय मान्यताओं तथा आयुर्वेद के अनुसार हेमंत ऋतु के उपरांत शिशिर ऋतु आती है. जिसे ठंड का मौसम भी माना जाता है. इस मौसम में ठंडी हवाओं तथा वर्षा का ज्यादा प्रकोप होता है . इस मौसम में ना सिर्फ शरीर पर ठंड का असर विभिन्न संक्रमणों के रूप में बल्कि पाचन में समस्या तथा शरीर में ऊर्जा की कमी के रूप में भी नजर आता है. इसलिए आयुर्वेद में इस मौसम में ऐसे पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है जो प्रकृति में स्निग्ध यानी सौम्य हो, पचने में सरल हो, कफ और वात को लेकर असरदार हो. साथ ही जिनकी तासीर गरम हो .

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राजदीप दीवान बताते हैं हमेशा ही आयुर्वेद में अलग अलग मौसमों के अनुसार फायदेमंद आहार को प्राथमिकता दिए जाने की बात कही जाती है. यहां तक कि हमारे ज्यादातर त्यौहारों में आयुर्वेद द्वारा मौसम अनुरूप सुझाए गए आहारों को ही प्राथमिकता दी जाती है. चूंकि मकर संक्रांति भी शिशिर ऋतु में आती है इसलिए प्राचीन मान्यताओं के चलते इस त्यौहार पर बनाए तथा खाए जाने वाले पदार्थ पौष्टिक होने के साथ ही साथ शरीर को गर्म रखने वाले भी होते हैं, जैसे तिल, गुड़, दाल-चावल तथा सब्जियों की खिचड़ी , दही, पापड़ तथा रामदाना आदि. ये आहार न सिर्फ पाचन तंत्र के लिए फायदे मंद होते हैं, बल्कि सर्दी के मौसम में शरीर को कफ और वात से भी राहत देते हैं और शरीर को प्राकृतिक रूप से गरम रखते हैं. आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर देशभर के अलग-अलग हिस्सों में कौन कौन से व्यंजन बनाए जाते हैं.

तिलकुट/तिल के लड्डू/तिलवा

उत्तरभारत तथा बिहार मे संक्रांति के अवसर पर तिलकुट बनाया जाता है. सफेद तिलों को भून कर तथा पीस कर , उनमें गुड़ या भूरा मिलाकर बनाए गए चुरमे को तिलकुट कहा जाता है. इसके अलावा इस अवसर पर भूने हुए तिल को साबूत या पीस कर तथा उसमें मावा या गुड़ मिलाकर उनमें लड्डू बनाए जाने की भी प्रथा है. इसके अलावा कई लोग भूने हुए तिल को चीनी की चाशनी के साथ मिलाकर पंजीरी भी तैयार किया जाता है. डॉ राजदीप बताते हैं कि तिल तथा गुड़ शरीर को प्राकृतिक रूप से गरम रखते हैं तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाने में मदद करते हैं. यह दोनों ही पदार्थ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.

खिचड़ी

मकर संक्रांति के दिन देश के कई हिस्सों में खिचड़ी बनाई जाती है. उत्तर भारत तथा बिहार में तो इस त्यौहार को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. कई स्थानों पर खिचड़ी में दाल-चावल के साथ-साथ मौसमी सब्जियां डाल कर बनाने की परंपरा भी है. डॉ राजदीप बताते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों के खिलाफ खिचड़ी हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होती है.

पोंगल

दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है तथा इस अवसर पर पोंगल बनाने की परंपरा है. पोंगल नमकीन तथा मीठे दोनों तरह से बनाया जाता है. मीठा पोंगल दूध, चावल, काजू और गुड़ से बनाया जाता है तथा नमकीन पोंगल जिसे खारा पोंगल भी कहा जाता है लगभग खिचड़ी जैसा ही होता है।

दही-चूड़ा

बिहार तथा झारखंड के लोग संक्रांति के दिन दही-चूड़ा जरूर खाते हैं. यह एक तरह का मीठा होता है जिसे चूड़ा या चिवडे में दही तथा चीनी या गुड़ मिलाकर बनाया जाता है.

रामदाना के लड्डू

बिहार में इस अवसर पर रामदाने के लड्डू भी बनाए जाते हैं. जिन्हे पके हुए रामदाना या राजगिरा से बनाया जाता है. इसमें काजू, किशमिश और पिसी हुई हरी इलायची मिलाते हैं . पिघले हुए गुड़ या चीनी की चाशनी के साथ मिलाकर इसके लड्डू बनाए जाते हैं. डॉ राजदीप बताते हैं कि यह ना सिर्फ शरीर को प्राकृतिक रूप से गर्मी देते हैं बल्कि भरपूर मात्रा में पोषण भी देते हैं.

घुघुती

उत्तराखंड में संक्रांति के दिन ये खास तौर से बनाई जाती है. इसे आटे और गुड़ के मिश्रण के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है. इसे अलग-अलग आकार दिया जाता है और फिर शुद्ध घी में तला जाता है.

पुरन पोली

महाराष्ट्र में संक्रांत पर पुरन पोली बनाने का रिवाज़ है. इसमें चना दाल और गुड़ को मिलाकर पूरन तैयार किया जाता है. जिसे आटे में भरकर इसकी रोटी बनाई जाती है और फिर इसे घी के साथ परोसा जाता है.

घेवर/ फ़ेनी

राजस्थान में संक्रांति के अवसर पर घेवर तथा फेनी खाने का भी प्रचलन है. इनमें घेवर आटा, दूध, देसी घी तथा चीनी की हल्की चाशनी में बनाया जाता है. वहीं फेनी भी इन्हीं सामग्रियों से बनायी जाती है.

गजक

तिल से बनने वाली गजक भी इस त्यौहार के प्रमुख आहारों में से एक है. इसे तिल , मूंगफली, घी, चीनी या गुड़ तथा सूखे मेवों के साथ बनाया जाता है.

मकर चौला

मकर संक्रांत के अवसर पर मकर चौला ओडिशा में बनाया जाता है. चावल के आटे, नारियल , गन्ना, केला, दूध, चीनी, पनीर, अदरक और अनार मिलाकर इस आहार को बनाया जाता है.

गन्ने के रस की खीर

पंजाब में लोहड़ी के अवसर पर गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है. जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. इसे दूध और भुने हुए सूखे मेवे के साथ मिलाकर बनाया जाता है.

कांगसुबी
मकर संक्रांत के अवसर पर मणिपुर में कांगसुबी बनाई जाती है. यह एक तरह की मिठाई है जिसे तिल और गन्ने के जूस से तैयार किया जाता है .

पढ़ें: तिल, गुड़, खिचड़ी, बढ़ाते हैं सेहत: मकर संक्रांति विशेष

मौसम को लेकर भारतीय मान्यताओं तथा आयुर्वेद के अनुसार हेमंत ऋतु के उपरांत शिशिर ऋतु आती है. जिसे ठंड का मौसम भी माना जाता है. इस मौसम में ठंडी हवाओं तथा वर्षा का ज्यादा प्रकोप होता है . इस मौसम में ना सिर्फ शरीर पर ठंड का असर विभिन्न संक्रमणों के रूप में बल्कि पाचन में समस्या तथा शरीर में ऊर्जा की कमी के रूप में भी नजर आता है. इसलिए आयुर्वेद में इस मौसम में ऐसे पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है जो प्रकृति में स्निग्ध यानी सौम्य हो, पचने में सरल हो, कफ और वात को लेकर असरदार हो. साथ ही जिनकी तासीर गरम हो .

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राजदीप दीवान बताते हैं हमेशा ही आयुर्वेद में अलग अलग मौसमों के अनुसार फायदेमंद आहार को प्राथमिकता दिए जाने की बात कही जाती है. यहां तक कि हमारे ज्यादातर त्यौहारों में आयुर्वेद द्वारा मौसम अनुरूप सुझाए गए आहारों को ही प्राथमिकता दी जाती है. चूंकि मकर संक्रांति भी शिशिर ऋतु में आती है इसलिए प्राचीन मान्यताओं के चलते इस त्यौहार पर बनाए तथा खाए जाने वाले पदार्थ पौष्टिक होने के साथ ही साथ शरीर को गर्म रखने वाले भी होते हैं, जैसे तिल, गुड़, दाल-चावल तथा सब्जियों की खिचड़ी , दही, पापड़ तथा रामदाना आदि. ये आहार न सिर्फ पाचन तंत्र के लिए फायदे मंद होते हैं, बल्कि सर्दी के मौसम में शरीर को कफ और वात से भी राहत देते हैं और शरीर को प्राकृतिक रूप से गरम रखते हैं. आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर देशभर के अलग-अलग हिस्सों में कौन कौन से व्यंजन बनाए जाते हैं.

तिलकुट/तिल के लड्डू/तिलवा

उत्तरभारत तथा बिहार मे संक्रांति के अवसर पर तिलकुट बनाया जाता है. सफेद तिलों को भून कर तथा पीस कर , उनमें गुड़ या भूरा मिलाकर बनाए गए चुरमे को तिलकुट कहा जाता है. इसके अलावा इस अवसर पर भूने हुए तिल को साबूत या पीस कर तथा उसमें मावा या गुड़ मिलाकर उनमें लड्डू बनाए जाने की भी प्रथा है. इसके अलावा कई लोग भूने हुए तिल को चीनी की चाशनी के साथ मिलाकर पंजीरी भी तैयार किया जाता है. डॉ राजदीप बताते हैं कि तिल तथा गुड़ शरीर को प्राकृतिक रूप से गरम रखते हैं तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाने में मदद करते हैं. यह दोनों ही पदार्थ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.

खिचड़ी

मकर संक्रांति के दिन देश के कई हिस्सों में खिचड़ी बनाई जाती है. उत्तर भारत तथा बिहार में तो इस त्यौहार को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. कई स्थानों पर खिचड़ी में दाल-चावल के साथ-साथ मौसमी सब्जियां डाल कर बनाने की परंपरा भी है. डॉ राजदीप बताते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों के खिलाफ खिचड़ी हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होती है.

पोंगल

दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में मनाया जाता है तथा इस अवसर पर पोंगल बनाने की परंपरा है. पोंगल नमकीन तथा मीठे दोनों तरह से बनाया जाता है. मीठा पोंगल दूध, चावल, काजू और गुड़ से बनाया जाता है तथा नमकीन पोंगल जिसे खारा पोंगल भी कहा जाता है लगभग खिचड़ी जैसा ही होता है।

दही-चूड़ा

बिहार तथा झारखंड के लोग संक्रांति के दिन दही-चूड़ा जरूर खाते हैं. यह एक तरह का मीठा होता है जिसे चूड़ा या चिवडे में दही तथा चीनी या गुड़ मिलाकर बनाया जाता है.

रामदाना के लड्डू

बिहार में इस अवसर पर रामदाने के लड्डू भी बनाए जाते हैं. जिन्हे पके हुए रामदाना या राजगिरा से बनाया जाता है. इसमें काजू, किशमिश और पिसी हुई हरी इलायची मिलाते हैं . पिघले हुए गुड़ या चीनी की चाशनी के साथ मिलाकर इसके लड्डू बनाए जाते हैं. डॉ राजदीप बताते हैं कि यह ना सिर्फ शरीर को प्राकृतिक रूप से गर्मी देते हैं बल्कि भरपूर मात्रा में पोषण भी देते हैं.

घुघुती

उत्तराखंड में संक्रांति के दिन ये खास तौर से बनाई जाती है. इसे आटे और गुड़ के मिश्रण के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है. इसे अलग-अलग आकार दिया जाता है और फिर शुद्ध घी में तला जाता है.

पुरन पोली

महाराष्ट्र में संक्रांत पर पुरन पोली बनाने का रिवाज़ है. इसमें चना दाल और गुड़ को मिलाकर पूरन तैयार किया जाता है. जिसे आटे में भरकर इसकी रोटी बनाई जाती है और फिर इसे घी के साथ परोसा जाता है.

घेवर/ फ़ेनी

राजस्थान में संक्रांति के अवसर पर घेवर तथा फेनी खाने का भी प्रचलन है. इनमें घेवर आटा, दूध, देसी घी तथा चीनी की हल्की चाशनी में बनाया जाता है. वहीं फेनी भी इन्हीं सामग्रियों से बनायी जाती है.

गजक

तिल से बनने वाली गजक भी इस त्यौहार के प्रमुख आहारों में से एक है. इसे तिल , मूंगफली, घी, चीनी या गुड़ तथा सूखे मेवों के साथ बनाया जाता है.

मकर चौला

मकर संक्रांत के अवसर पर मकर चौला ओडिशा में बनाया जाता है. चावल के आटे, नारियल , गन्ना, केला, दूध, चीनी, पनीर, अदरक और अनार मिलाकर इस आहार को बनाया जाता है.

गन्ने के रस की खीर

पंजाब में लोहड़ी के अवसर पर गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है. जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. इसे दूध और भुने हुए सूखे मेवे के साथ मिलाकर बनाया जाता है.

कांगसुबी
मकर संक्रांत के अवसर पर मणिपुर में कांगसुबी बनाई जाती है. यह एक तरह की मिठाई है जिसे तिल और गन्ने के जूस से तैयार किया जाता है .

पढ़ें: तिल, गुड़, खिचड़ी, बढ़ाते हैं सेहत: मकर संक्रांति विशेष

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