भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अनाज और दालें हमारे भोजन का मुख्य हिस्सा हैं. कोई भी भारतीय भोजन मुलायम और स्वादिष्ट रोटी के बिना पूरा नहीं होता. चाहे दाल हो या सब्जी, हमारा खाना मुलायम रोटी के बिना अधूरा है.
ईटीवी भारत, सुखीभवा ने डॉ कृति एस धीरवानी, एमडी, एमएससी से इसी विषय पर बात की. ये मुंबई के सनशाइन होम्योपैथी क्लिनिक में होम्योपैथ कंसंलटेंट और क्लीनिकल न्यूट्रीशनिष्ट व विशेषज्ञ हैं.
देश में प्राचीन काल से विभिन्न भारतीय व्यंजनों में आटे की उपयोगिता अहम है, वैसे देखा जाए तो सभी साबुत अनाज में पोषक तत्व और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, लेकिन हमारे दैनिक भोजन में विभिन्न प्रकार के आटे को आसानी से शामिल किया जा सकता है.
आटे का इस्तेमाल सिर्फ रोटी, पराठा या पूरी के अलावा, नाश्ते में जैसे डोसा, इडली, ढोकला, पैनकेक बनाने में किया जा सकता है. इतना ही नहीं मिठाइयां जैसे कुकीज और केक बनाने में भी आटे का इस्तेमाल किया जाता है.
आटा, साबुत अनाज की तुलना में पचने में भी आसान होता है. बुजुर्गों के दांत अक्सर कमजोर होते हैं. उन्हें साबुत अनाज की तुलना में आसानी से विभिन्न आटे से बना दलिया खिलाया जा सकता है.
भारत में विभिन्न प्रकार के आटे उपलब्ध हैं, लेकिन सवाल उठता है कि कौन सा आटा स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्यादा फायदेमंद है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसा कोई भी आटा नहीं जो दूसरे से बेहतर हो, कहने का मतलब है कि प्रत्येक आटे के अपने फायदे और विशेष पोषक गुण होते हैं.
यहां विभिन्न आटे की एक सूची दी जा रही जिसे आप सभी को अवश्य जानना चाहिए. ये गेहूं, चावल, बाजरा आदि जैसे साबुत अनाज को पीस कर बनाया जाता है. इसका इस्तमाल विशेष कर रोटी बनाने के लिए किया जाता है.
गेहूं का आटा
हमारे देश में सबसे अधिक पैदा होनी वाली फसल गेहूं है और इससे बना आटा भारतीय भोजन का सबसे जरूरी हिस्सा है और सबसे स्वास्थ्यवर्धक भी माना गया है. परंपरागत रूप से इसे चक्की में पीसकर तैयार किया जाता है. यह फोलिक एसिड, मैंगनीज, मैग्नीशियम, सेलेनियम, विटामिन ई, विटामिन बी 6, कॉपर और जिंक जैसे विभिन्न पोषक तत्वों का एक मुख्य स्रोत है. इस आटे से चपाती, पराठा, मालपुआ, आटे का हलवा, राजस्थानी दाल बाटी आदि बहुत सारे भारतीय स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन बनाए जाते हैं.
मक्के का आटा
अपने स्वाद और उच्च पोषक तत्व के साथ, 'मक्के का आटा' भारतीय भोजन का प्रमुख हिस्सा है. यह फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट, मैग्नीशियम, विटामिन बी, ओमेगा 6 और वनस्पति प्रोटीन से भरा है.
एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर, मक्के का आटा आंखों की रोशनी के लिए बेहतर माना जाता है. इतना ही नहीं यह कैंसर और एनीमिया की रोकथाम में भी मदद करता है. हालांकि, अधिक मात्रा में इस आटे का सेवन करने से पचाने में भी दिक्कत हो सकती है.
चावल का आटा
मिल्ड सफेद चावल या ब्राउन राइस से तैयार चावल के आटे का उपयोग गेहूं के आटे के विकल्प के रूप में भी किया जाता है. यह कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है, इसमें बहुत कम वसा और मध्यम मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है. हालांकि सफेद चावल को पीसने की प्रक्रिया में इसमें मौजूद अधिकांश पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. जबकि, ब्राउन राइस का आटा फाइबर, विटामिन बी, फास्फोरस और मैंगनीज से भरपूर होता है.
गेहूं के चोकर का आटा (Wheat Bran Atta):
गेहूं का चोकर अघुलनशील फाइबर का एक अच्छा स्रोत माना जाता है, जो पाचन शक्ति को मजबूत करता है और कब्ज की शिकायत को दूर करता है.
यह एक प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है.
फाइबर से भरपूर होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने में प्रभावी है और साथ ही नियासिन, विटामिन बी 6, आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर जैसे पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत के रूप में जाना जाता है.
अनाज से तैयार आटे (cereal flours) से किसे परहेज रखना चाहिए
इसके इतने सारे पोषण गुणों और फायदे के बावजूद, अनाज से तैयार आटे का सेवन हर किसी को नहीं करना चाहिए.
गेहूं और जौ से तैयार आटे में ग्लूटेन होता है, यह एक विशेष प्रकार का प्रोटीन है जो सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है.
ऐसे में जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी हो या सीलिएक रोग वाले लोगों को इस आटे के सेवन से बचना चाहिए. क्योंकि इससे उन्हें अपच, थकान और जोड़ों के दर्द जैसी परेशानियां हो सकती हैं.