कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते मामलों के चलते लोग चिंतित हैं, और इस संक्रमण से बचने के लिए हर कोई हर संभव प्रयास कर रहा है। कोरोना संक्रमण के मुख्य लक्षणों में शरीर में ऑक्सीजन के स्तर में कमी मानी जाती है। इसलिए जानकार घरों में ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए ऑक्सीमीटर रखने तथा इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। जिसके कारण बाजार में पल्स ऑक्सीमीटर की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई। फिलहाल स्थिति यह है की जैसे हर घर में थर्मामीटर होता ही है, वैसे ही आजकल ऑक्सीमीटर भी हर घर की मेडिकल किट का हिस्सा बन गया है। ऑक्सीमीटर किस तरह का उपकरण है और यह किस तरह काम करता है। इस बारे में ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों के साथ विशेष जानकारी सांझा कर रहा है।
क्या है ऑक्सीमीटर तथा उसका उपयोग
ऑक्सीमीटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। जिसमें लगे सेंसर खून में ऑक्सीजन के प्रवाह का स्तर जांचते और बताते हैं। ऑक्सीमीटर को उंगली या कान पर क्लिप की तरह लगाया जाता है। ऑक्सीमीटर त्वचा पर एक विशेष प्रकार की रोशनी की मदद से रक्तकणों की गतिविधियों तथा उनके रंग की जांच के आधार पर ऑक्सीजन के स्तर और उसकी स्थिति को मापता है। ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन के स्तर के साथ-साथ दिल की धड़कनों की गति भी जांचता है।
ऑक्सीमीटर एक छोटी सी मशीन होती है, जो दिखने में किसी क्लिप के समान लगती है। जांच के दौरान ऑक्सीमीटर में अपनी उंगली को बताए गए निर्देशों के अनुसार रखना होता है। बहुत जरूरी है की उंगली मशीन में सही तरह से रखी जाए, और जांच के दौरान उसे हिलाया ना जाए। ऐसा ना करने पर रीडिंग गलत हो सकती है। ऑक्सीमीटर का उपयोग अस्पतालों में ऑपरेशन और इन्टेन्सिव केयर के दौरान भी जरूरी माना जाता है।
कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन मॉनिटरिंग की अहमियत
कोरोना के मरीजों में ऑक्सीजन के स्तर की नियमित जांच और निगरानी बहुत जरूरी होती है। दरअसल, ज्यादातर मामलों में जब कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होता है, तो उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता हैं और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। ऐसे में लोग कोरोना से संक्रमित होने की आशंका को देखते हुए ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन की मात्रा नापी जाती हैं।
चिकित्सकों की माने तो रक्त में यदि ऑक्सीजन की मात्रा 95 प्रतिशत से 100 प्रतिशत की रेंज में हो, तो ये सामान्य मानी जाती है। लेकिन यदि कोरोना संक्रमितों में ऑक्सीजन का स्तर 90 प्रतिशत या उससे कम होता है, तो यह सही संकेत नहीं है। ऑक्सीजन स्तर का लगातार कम होना एक खतरनाक संकेत है, स्थिति ज्यादा खराब होने पर संक्रमित को अस्पताल में भर्ती करवाना जरूरी हो जाता है।
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घर में ऑक्सीमीटर की जरूरत
कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए जानकार लोगों को घर में ऑक्सीमीटर रखने की सलाह इसलिए दे रहे हैं। जिससे वे किसी भी प्रकार का लक्षण नजर आने पर ऑक्सीजन के स्तर की जांच कर सके। यहां यह जानना भी जरूरी है की शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने का मतलब यही नहीं कि आपको कोरोना है ही। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कई अन्य कारणों से भी कम हो सकता है।
चिकित्सकों के अनुसार यह उपकरण कोरोना की जांच नहीं करता है। यह सिर्फ शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का निरीक्षण करता है। विशेषतौर पर जो कोरोना संक्रमित अपने घर में आइसोलेशन में रहते हैं, उनके शरीर में ऑक्सीजन के स्तर की नियमित जांच जरूरी होती है। ऐसे में ऑक्सीमीटर जरूरी होता है। सामान्य और स्वस्थ लोगों के लिए ऑक्सीमीटर की आवश्यकता नहीं होती है।