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कोविड-19 के बावजूद नवजात को उसकी मां से दूर रखना हो सकता है जानलेवा - स्वास्थ्य

लेंचेट ई-क्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार जन्म के बाद नवजात का उसके माता-पिता के साथ होना बहुत जरूरी है, भले ही परिस्थिति चाहे कैसी भी हो। यहां तक कि कोविड-19 के दौर में भी नवजात बच्चों को उनके माता-पिता से दूर नहीं रखना चाहिए। विशेष तौर पर उन बच्चों को जिनका वजन जन्म के समय कम हो या फिर जिन्होंने समय से पूर्व जन्म लिया हो।

Keeping newborn away from mother can be fatal
नवजात को मां से दूर रखना जानलेवा
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Published : Mar 17, 2021, 5:35 PM IST

नवजातों के स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा उनकी मृत्यु दर में कमी के लिए कंगारू केयर पद्धती के नियमों का पालन हर परिस्थिति में जरूरी है, फिर चाहे माता या नवजात शिशु में से कोई भी कोरोना संक्रमित हो या उनमें संक्रमण फैलने की आशंका हो। लेंचेट ई-क्लिनिकल मेडिसिन में कोविड-19 के चलते जन्मी संवेदनशील परिस्थितियों में नवजातों के स्वास्थ्य पर आधारित एक शोध में इस दौरान उत्पन्न हुई परिस्थिति जन्य समस्याओं के चलते नवजातों की देखभाल में आई समस्याओं पर एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में मैटरनल, न्यूबॉर्न चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ एंड एजिंग विभाग में निदेशक, डॉ. अंशु बनर्जी बताती है कि कोविड-19 के दौर में जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए अवरोध के चलते उन बच्चों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ा, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते उनकी काफी ज्यादा जरूरत थी। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस शोध में लगभग 62 देशों में नवजातों को विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाली स्वास्थ्य प्रदाता कंपनियों के लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य कर्मियों ने माना कि कोविड-19 के दौरान जन्म के उपरांत बड़ी संख्या में मां और बच्चे के बीच में दूरी रखने का प्रयास किया गया, जिसके चलते ना सिर्फ संक्रमण को लेकर संवेदनशील बच्चों बल्कि सामान्य स्वास्थ्य वाले बच्चों को भी उनकी माता से दूर रखा गया। और जहां तक संभव हुआ उनके बीच त्वचा के आपसी संपर्क तथा यहां तक की स्तनपान के लिए भी दोनों को मिलने नहीं दिया गया।

हालांकि विभिन्न शोधों के द्वारा यह बात साबित हो चुकी थी कि बच्चों को जन्म के समय कोरोना संक्रमण होने का खतरा काफी कम रहता है। यहां तक की जिन संक्रमित बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण पाए भी जाते हैं, उनमें भी जान की हानि का खतरा काफी कम रहता है। इस संबंध में किए गए एक नए शोध के अनुसार दुनिया भर में कोविड-19 के कारण होने वाली नवजातों की मृत्यु दर का संभावित आंकड़ा 2000 से भी कम है।

कोविड-19 के दौरान दुनिया भर के कई देशों में संक्रमण की आशंका के चलते जन्म के उपरांत कोरोना संक्रमित, या ऐसे नवजात जिन्हें संक्रमण की आशंका हो, को उन्हें उनके माता-पिता से दूर नर्सरी में रखा गया। यही नहीं कई स्थानों पर संक्रमण के डर के चलते स्वस्थ नवजातों को भी उनकी मां से दूर रखा गया। जिससे जन्म के बाद नवजातों को होने वाली समस्याओं में इजाफा हुआ। और समय से पहले जन्म लेने वाले या कम वजन वाले कमजोर बच्चों में जीवन भर के लिए कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की आशंका बढ़ गई। विशेष तौर पर गरीब देशों की श्रेणी में आने वाले देशों में ऐसे बच्चों की मृत्यु दर में काफी इजाफा हुआ, जिन्हें जन्म के उपरांत उनकी मां उसे दूर रखा गया था।

इस शोध में शोधकर्ताओं ने माना की कंगारू मदर केयर पद्धति के नियम, कि जन्म के उपरांत नवजात को ज्यादा से ज्यादा समय उसके माता-पिता के साथ बिताना चाहिए, में यदि अवरोध उत्पन्न होता है, तो जन्म के उपरांत बच्चे को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे बच्चों के लिए, जिनका वजन जन्म के समय कम हो या जिनका जन्म समय से पहले हुआ है, जन्म के उपरांत मां की त्वचा के साथ संपर्क में रहना बहुत जरूरी है। रिपोर्ट में माना गया की यदि कंगारू मदर केयर के सभी नियमों को माना जाए, तो 1,25,000 से ज्यादा बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है।

आंकड़ों की बात करें तो यह साबित हो चुका है कि यदि कंगारू मदर केयर के नियमों का पालन किया जाए, तो प्रतिवर्ष विभिन्न कारणों से होने वाली बच्चों की मृत्यु दर में 40 फीसदी तक की कमी आ सकती है। यही नहीं हाइपोथर्मिया के केस में लगभग 40 फीसदी तक की कमी तथा जन्म के उपरांत बच्चों को होने वाले संक्रमण में लगभग 65 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

शोध में प्रकाशित नवजात स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों तथा उनसे जुड़े विभिन्न आंकड़ों के अनुसार हर साल जन्म के समय कम वजन वाले लगभग 21 मिलियन तथा समय से पूर्व जन्म लेने वाले लगभग 15 मिलियन बच्चे जन्म लेते हैं, जिन्हें जन्म के उपरांत विभिन्न संक्रमणों तथा रोगों के कारण गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, शारीरिक व मानसिक विकास में देरी और यहां तक की विकलांगता जैसी परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। समस्याएं गंभीर होने पर बड़ी संख्या में नवजात अपनी जान भी गंवा देते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रिपोर्ट के आधार पर किसी भी परिस्थिति में माता को उसके नवजात से अलग ना करने की पुरजोर वकालत की है। यहां तक की कोविड-19 जैसी परिस्थिति में भी माता तथा उसके नवजात बच्चे के बीच स्तनपान को ना रोकने तथा नियमित तौर पर त्वचा से त्वचा के संपर्क को बनाए रखने के लिए भी डब्ल्यूएचओ की तरफ से इस संबंध में काम कर रहे चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों से निवेदन किया गया है।

नवजातों के स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा उनकी मृत्यु दर में कमी के लिए कंगारू केयर पद्धती के नियमों का पालन हर परिस्थिति में जरूरी है, फिर चाहे माता या नवजात शिशु में से कोई भी कोरोना संक्रमित हो या उनमें संक्रमण फैलने की आशंका हो। लेंचेट ई-क्लिनिकल मेडिसिन में कोविड-19 के चलते जन्मी संवेदनशील परिस्थितियों में नवजातों के स्वास्थ्य पर आधारित एक शोध में इस दौरान उत्पन्न हुई परिस्थिति जन्य समस्याओं के चलते नवजातों की देखभाल में आई समस्याओं पर एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में मैटरनल, न्यूबॉर्न चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ एंड एजिंग विभाग में निदेशक, डॉ. अंशु बनर्जी बताती है कि कोविड-19 के दौर में जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए अवरोध के चलते उन बच्चों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ा, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते उनकी काफी ज्यादा जरूरत थी। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस शोध में लगभग 62 देशों में नवजातों को विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाली स्वास्थ्य प्रदाता कंपनियों के लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य कर्मियों ने माना कि कोविड-19 के दौरान जन्म के उपरांत बड़ी संख्या में मां और बच्चे के बीच में दूरी रखने का प्रयास किया गया, जिसके चलते ना सिर्फ संक्रमण को लेकर संवेदनशील बच्चों बल्कि सामान्य स्वास्थ्य वाले बच्चों को भी उनकी माता से दूर रखा गया। और जहां तक संभव हुआ उनके बीच त्वचा के आपसी संपर्क तथा यहां तक की स्तनपान के लिए भी दोनों को मिलने नहीं दिया गया।

हालांकि विभिन्न शोधों के द्वारा यह बात साबित हो चुकी थी कि बच्चों को जन्म के समय कोरोना संक्रमण होने का खतरा काफी कम रहता है। यहां तक की जिन संक्रमित बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण पाए भी जाते हैं, उनमें भी जान की हानि का खतरा काफी कम रहता है। इस संबंध में किए गए एक नए शोध के अनुसार दुनिया भर में कोविड-19 के कारण होने वाली नवजातों की मृत्यु दर का संभावित आंकड़ा 2000 से भी कम है।

कोविड-19 के दौरान दुनिया भर के कई देशों में संक्रमण की आशंका के चलते जन्म के उपरांत कोरोना संक्रमित, या ऐसे नवजात जिन्हें संक्रमण की आशंका हो, को उन्हें उनके माता-पिता से दूर नर्सरी में रखा गया। यही नहीं कई स्थानों पर संक्रमण के डर के चलते स्वस्थ नवजातों को भी उनकी मां से दूर रखा गया। जिससे जन्म के बाद नवजातों को होने वाली समस्याओं में इजाफा हुआ। और समय से पहले जन्म लेने वाले या कम वजन वाले कमजोर बच्चों में जीवन भर के लिए कई गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की आशंका बढ़ गई। विशेष तौर पर गरीब देशों की श्रेणी में आने वाले देशों में ऐसे बच्चों की मृत्यु दर में काफी इजाफा हुआ, जिन्हें जन्म के उपरांत उनकी मां उसे दूर रखा गया था।

इस शोध में शोधकर्ताओं ने माना की कंगारू मदर केयर पद्धति के नियम, कि जन्म के उपरांत नवजात को ज्यादा से ज्यादा समय उसके माता-पिता के साथ बिताना चाहिए, में यदि अवरोध उत्पन्न होता है, तो जन्म के उपरांत बच्चे को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे बच्चों के लिए, जिनका वजन जन्म के समय कम हो या जिनका जन्म समय से पहले हुआ है, जन्म के उपरांत मां की त्वचा के साथ संपर्क में रहना बहुत जरूरी है। रिपोर्ट में माना गया की यदि कंगारू मदर केयर के सभी नियमों को माना जाए, तो 1,25,000 से ज्यादा बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है।

आंकड़ों की बात करें तो यह साबित हो चुका है कि यदि कंगारू मदर केयर के नियमों का पालन किया जाए, तो प्रतिवर्ष विभिन्न कारणों से होने वाली बच्चों की मृत्यु दर में 40 फीसदी तक की कमी आ सकती है। यही नहीं हाइपोथर्मिया के केस में लगभग 40 फीसदी तक की कमी तथा जन्म के उपरांत बच्चों को होने वाले संक्रमण में लगभग 65 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

शोध में प्रकाशित नवजात स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों तथा उनसे जुड़े विभिन्न आंकड़ों के अनुसार हर साल जन्म के समय कम वजन वाले लगभग 21 मिलियन तथा समय से पूर्व जन्म लेने वाले लगभग 15 मिलियन बच्चे जन्म लेते हैं, जिन्हें जन्म के उपरांत विभिन्न संक्रमणों तथा रोगों के कारण गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, शारीरिक व मानसिक विकास में देरी और यहां तक की विकलांगता जैसी परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। समस्याएं गंभीर होने पर बड़ी संख्या में नवजात अपनी जान भी गंवा देते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रिपोर्ट के आधार पर किसी भी परिस्थिति में माता को उसके नवजात से अलग ना करने की पुरजोर वकालत की है। यहां तक की कोविड-19 जैसी परिस्थिति में भी माता तथा उसके नवजात बच्चे के बीच स्तनपान को ना रोकने तथा नियमित तौर पर त्वचा से त्वचा के संपर्क को बनाए रखने के लिए भी डब्ल्यूएचओ की तरफ से इस संबंध में काम कर रहे चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों से निवेदन किया गया है।

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