सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. देश के कई हिस्सों में ठंड ने अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी है. ठंड की शुरुआत यानी गुलाबी सर्दी का दौर लोगों को आमतौर पर इस असमंजस में रखता है कि वे गरम कपड़े पहने या नही. क्योंकि आमतौर इस मौसम में दिन में गरम कपड़े पहनने पर ज्यादा गर्मी लगती है, वहीं यदि गरम कपड़े न पहने हो तो घर या दफ्तर के अंदर जाने पर ठंड लगती है. ऐसे में ज्यादातर लोग यही सोचते हैं की काश उन्हे ठंड ज्यादा महसूस ही ना हो. बहुत से लोग शरीर में प्राकृतिक गर्माहट के लिए विशेष आहार तथा बार बार गरम चाय या काफी का भी सहारा लेते हैं जो शरीर में एसिडिटी का कारण बन सकते है.
शरीर में बगैर कोई पार्श्वप्रभाव, प्राकृतिक रूप से गर्माहट लाने में कुछ योग तथा व्यायाम भी काफी मददगार होते हैं. चूंकि योग शरीर में रक्त के संचार को बढ़ाता है ऐसे में योग के नियमित अभ्यास से शरीर में प्राकृतिक रूप से गर्मी आती है. योग प्रशिक्षक मीनू वर्मा की सलाह पर ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों के साथ साँझा कर रहा है कुछ ऐसे ही योग आसनों की जानकारी जिनके नियमित अभ्यास से ठंड के मौसम में भी शरीर में प्राकृतिक रूप से गर्माहट बनी रहेगी.
सूर्यभेदी प्राणायाम
ठंड के मौसम में सूर्यभेदी प्राणायाम करना फायदेमंद होता है. इससे पिंगला नाड़ी का शोधन होता है. इस प्राणायाम को करने से पेट में जठराग्नि तीव्र होती है जिससे शरीर में ज्यादा ऊर्जा बनती है.
कैसे करें:
- सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं. अब दाहिने हाथ की अनामिका एवं छोटी ऊंगुली से बाईं नाक को बंद करें और दाहिने नाक से सांस लें.
- अब नाक की दाईं तरफ को अपने अंगूठे से बंद करें. ठुड्डी को सीने की तरफ ले जाने का प्रयास करें और कुछ सेकंड के लिए सांस को रोकने की कोशिश करें.
- अब अंगूठे से दाहिने नाक को बंद करके बाईं नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें.
- इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं.
भस्त्रिका प्राणायाम
सर्दियों में भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास फायदेमंद होता है. इस प्राणायाम में सांस की तीव्र गति शरीर में गर्मी लाती है. इसके नियमित अभ्यास से जब शरीर अंदर से गर्म रहता है तो सर्दी की आम समस्या जैसे एलर्जी, सांस से संबंधित रोगों, गले में खराश, सर्दी-जुकाम, खांसी, साइनस आदि कफ उत्पन्न करने वाली बीमारियों में भी राहत मिलती है.
कैसे करें :
- गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं. अब तेज गति से सांस अंदर लें तथा तेज गति से ही सांस बाहर छोड़ें.
- ध्यान रहे सांस लेते समय पेट फूलना चाहिए और छोड़ते समय पेट अंदर की तरह पिचकना चाहिए.
शीर्षासन
यह आसन हठ योगा के अंतर्गत आता है तथा इसके स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं. इस आसन में जब शरीर उलटा हो जाता है तो हाइपोथैलेमस और मस्तिष्क की पीनियल ग्रंथियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ जाता है और रक्त का प्रवाह बढ़ने से शरीर के भीतर गर्माहट फैलाने लगती है.
कैसे करें :
- सबसे पहले दीवार से सटा कर योगा मैट रखें. अब मैट पर अपने हाथों की उंगलियों को आपस में लॉक करके रखे और अपने सिर को दोनों हथेलियों के बीच रखें.
- शीर्षासन करने के लिए अब पैरों को सिर के पास लाते हुए कमर और गर्दन को सीधा कर लें. इस अवस्था में आपका शरीर का आकार अंग्रेजी अक्षर V जैसा होने चाहिए .ध्यान रखें कि आपकी कमर, कंधे और गर्दन बिल्कुल सीधी रेखा में हो.
- अब धीरे-धीरे शरीर का संतुलन बनाते हुए अपने एक पैर को ऊपर की तरफ सीधा करने की कोशिश करें. इस दौरान आप दीवार का सहारा भी ले सकते हैं. अब अपना शारीरिक संतुलन बनाएं रखते हुए धीरे-धीरे दूसरा पैर भी ऊपर की तरफ सीधा कर लें.
- इस अवस्था में आपकी गर्दन, कमर, कूल्हे और पैर बिल्कुल सीधी रेखा में आ जाएंगे. अब अपनी क्षमतानुसार कुछ सेकेंड से 5 मिनट तक इसी अवस्था में रहें और गहरी सांस लें.
- इसके बाद धीरे-धीरे अपने पैरों को नीचे की तरफ लाएं.
वीरभद्रासन
यह आसन मांसपेशियों के विकास और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है. इस आसन में संतुलन और ताकत के संयोजन के चलते शरीर में प्राकृतिक रूप से गर्मी उत्पन्न होती है.
कैसे करें :
- सबसे पहले सीधे खड़े हो जाये और अपने दायें पैर को जितना हो सके आगे ले जाने का प्रयास करें. अब अपने दायें पैर के घुटने को मोड़ते हुए पैर के पंजे की सीध में ले आएं . ध्यान रहे की इस दौरान बायें पैर का घुटना सीधा ही रहना चाहिए.
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को आसमान की तरफ ऊपर उठायें और हाथों की हथेलियों को आपस में मिलाकर नमस्ते की मुद्रा बनाएं.
- हाथों के साथ अपनी गर्दन को भी थोड़ा ऊपर उठायें और सामान्य रूप से साँस लेते रहें. इस अवस्था में 20 से 25 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें. और पुनः सीधे खड़े हो जाएं.
- अब दूसरे पैर से भी ये ही प्रक्रिया दोहराएं.
नौकासन
यह आसन आपके पेट तथा कूल्हे को मजबूत करता है. उस आसन के दौरान उत्पन्न मांसपेशियों की उत्तेजना, शरीर में गर्मी उत्पन्न करती है.
कैसे करें :
- इसके लिए मैट पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने हाथों को जांघों पर रखें. अब गहरी सांस लेते हुए पांव को ऊपर की तरफ उठायें और फिर कंधों की और से थोड़ा उठते हुए हाथों को पैरों की तरफ ले जाने का प्रयास करें.
- कुछ पल इस मुद्रा में रहें और पुनः अपनी पहली अवस्था में आ जाएं.
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