गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है। यह मौसम आमतौर पर त्वचा संबंधी संक्रमणों का मौसम भी कहलाता है। विशेषकर फंगस यानी कवक के कारण होने वाले इन संक्रमणों के चलते खुजली के कारण कई बार लोग दूसरों के बीच मजाक का कारण तो बनते ही है, वही समस्या गंभीर होने पर उन्हे कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। ETV भारत सुखीभवा को फंगस के चलते होने वाले संक्रमणों के बारे में जानकारी देते हुए मारमगाओ पोस्ट ट्रस्ट अस्पताल तथा एसएमआरसी वासकों में डर्मेटोंलोजिस्ट डॉ. उमा एस कामत बताती है की इन संक्रमणों का इलाज यदि सही समय से ना किया जाए, तो यह गंभीर रूप भी ले सकती है।
क्या है कवक यानी फंगस संक्रमण?
डॉ. कामत बताती हैं की हमारे वातावरण में बहुत प्रकार के जीव, बैक्टीरिया तथा फंगस यानी कवक रहते हैं, जो हवा, मिट्टी, पौधों और पानी कहीं भी हो सकते हैं। वहीं कुछ मानव शरीर में भी रहते हैं। ये घटक विभिन्न माध्यमों के द्वारा उत्पन्न होकर हवा के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। सामान्य परिस्थिति में यह कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन यदि हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो, तो यह कवक संक्रमण के तौर पर हमारे शरीर को प्रभावित करने लगते हैं। मोटापे तथा मधुमेह जैसे रोग से पीड़ित लोगों में कवक संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। वहीं कई बार ऐसी परिस्थितियों में जब परिवार के किसी सदस्य को यह संक्रमण हो, तो दूसरे सदस्यों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. कामत बताती हैं की लंबे समय तक एंटी बायोटिक या अन्य दवाईयां लेने वालों और आमतौर पर दूसरों का निजी समान इस्तेमाल करने वालों में भी यह संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
फंगस यानि कवक संक्रमण के कुछ प्रचलित प्रकार निम्नलिखित है;
रिंगवार्म यानी दाद
दाद के नाम से प्रचलित रिंगवार्म फंगस यानी कवक के कारण होने वाला त्वचा का संक्रमण है, जो की बहुत ही आम होता है। इस संक्रमण के त्वचा पर लाल रंग के रिंग (छल्ले) जैसे चकत्ते हो जाते हैं, जो शरीर में कहीं पर भी हो सकते हैं; जैसे सिर, पैर, पेट और जांघ के बीच का हिस्से आम हैं। कई बार यह संक्रमण संक्रामक भी हो सकता है।
एथलीट फुट
पैरों में फंगल संक्रमण की समस्या को एथलीट फुट के नाम से जाना जाता है। इस संक्रमण के कारण उंगलियों के बीच की त्वचा तथा तलवे के प्रभावित हिस्सों की त्वचा खुश्क तथा खुरदरी तथा खुजलीदार हो जाती है। कई बार इस संक्रमण के चलते इन स्थानों पर छाले भी पड़ जाते हैं। लंबे समय तक बंद जूते तथा पैरों में लगातार पसीना आने के कारण यह संक्रमण होता है।
जॉक इच
इस संक्रमण को टीनिया क्रूरिस के नाम से भी जाना जाता है । इस तरह का संक्रमण ज्यादातर त्वचा के उन हिस्सों पर रहता है, जो लगातार कपड़ों से ढके होते हैं। इस स्थिति में शरीर पर छाले जैसे दिखने वाले चक्कते और घमोरियां दिखाई देंगी। आमतौर पर यह पुरुषों में उनके गुप्तांगों विशेषकर श्रोणि के पास जांघों पर ज्यादा होता है। यह समस्या ज्यादातर पुरुषों व युवा लड़कों को ज्यादा होती है। ये संक्रमण आमतौर पर ज्यादा कसे हुए कपड़े पहनने से होता है।
सिर पर फंगल संक्रमण
सिर पर संक्रमण के गोल आकार की वजह से इन्हें रिंगवर्म भी कहते हैं। इस संक्रमण में सिर की त्वचा पर स्केली पैच यानी दरिद्र (खुश्क ,खुरदुरे तथा खुजलीदार) पैच बनने लगते हैं। जिनके कारण पैच तथा उसके आसपास की त्वचा पर ज्यादा खुजली होने लगती है। जिसके चलते कई बार त्वचा में दर्द होने लगता है। यह संक्रमण होने पर लंबे समय तक एंटी फंगल दवाईयां लेनी पड़ सकती है।
टिनिया वर्सीकोलर
यह संक्रमण मलेसेजिया फंगस के कारण होता है। टिनिया वर्सीकोलर की वजह से त्वचा पर खासकर सीने पर, गर्दन पर, पीठ और हाथों पर पैच नजर आते हैं। जिनमें कई बार खुजली की समस्या भी होती है। यह ज्यादातर गर्मियों के मौसम में होता है। सही इलाज लेने पर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
नाखूनों में संक्रमण
इस संक्रमण में हाथ तथा पैरों के नाखूनों पर असर पड़ता है। जिसके चलते उनका रंग हल्का पीला तथा भूरा होने लगता है। इस संक्रमण में नाखून मोटे होने लगते हैं। ऐसे कार्य जिनमें नाखून ज्यादा देर तक पानी में रहते हो, या जो लोग खेती-बाड़ी या बागवानी का काम करते हो, उनमें यह संक्रमण होने की आशंका ज्यादा रहती है।
कब हो जाता है चिकित्सीय परामर्श जरूरी
शरीर के किसी भी हिस्से में कवक संक्रमण के लक्षण नजर आने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। डॉ. कामत बताती हैं की कई बार लोग त्वचा पर संक्रमण नजर आने पर ज्यादातर बिना डॉक्टर की सलाह लिए अपने आप ही कोई भी त्वचा की क्रीम लगा लेते हैं, जो सही नहीं है क्योंकि कई दवाइयों में स्टेरॉइड भी होते हैं, जो त्वचा के ऊपर से तो संक्रमण का असर हटा देते हैं, लेकिन समस्या को जड़ से समाप्त नहीं कर पाते हैं। फंगस के कारण उत्पन्न त्वचा संबंधी समस्याओं के जड़ से निपटारण के लिए चिकित्सक द्वारा बताए गए इलाज को बताई गई अवधि तक लेना बहुत जरूरी है।
उपचार
- चिकित्सक द्वारा बताई गई एंटी फंगल दवाइयों तथा क्रीम का नियमित उपयोग।
- संक्रमण की गंभीरता के आधार पर ही उपचार लेने की अवधि निर्धारित की जाती है। इसलिए दवाइयों का कोर्स पूरा करना जरूरी है।
- इस तरह के संक्रमण कई बार संक्रामक यानि फैलने वाले हो सकते है। इसलिए यदि परिवार में किसी अन्य सदस्य में भी संक्रमण की लक्षण नजर आए तो चिकित्सक से परामर्श लें।
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बचाव
डॉ. कामत बताती हैं की कुछ विशेष बातों को ध्यान में रख कर त्वचा पर होने वाले कवक संक्रमणों से बचा जा सकता है। जिनमें से कुछ इस प्रकार है;
- त्वचा को सूखा और स्वच्छ रखें।
- कसरत या चलने जैसी किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि, जिसमें पसीना आए, उसके बाद स्नान जरूर करें।
- सूती कपड़े पहने।
- दूसरों के कपड़ों और कंघी सहित अन्य निजी सामान का उपयोग ना करें।
- पानी पर्याप्त मात्रा में पीयें ताकि त्वचा सूखी ना रखें।