21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत के साथ-साथ दुनिया के अधिकांश देशों में “योग के साथ रहें, घर पर रहें” थीम पर मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते उत्पन्न परिस्तिथियों में इस बार डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है।
गौरतलब हैं की महामारी के इस दौर में बहुत जरूरी हो गया है की लोग अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा और बेहतर प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए प्रयास करें । इसके लिए योग एक बेहतरीन विकल्प है। इसीलिए महामारी के मद्देनजर लोगों को घर पर ही नियमित योग करने का संदेश देने के साथ इस विशेष योग उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। ETV भारत सुखीभवा ने भी योग उत्सव के अवसर पर योग के प्रसार में अपना योगदान देने के उद्देश से चोईतराम कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट इंदौर में योग विभाग के एच.ओ.डी डॉ हेमंत शर्मा से बात की और जाना की कैसे योग की मदद से लोग कोरोना से ठीक होने के उपरांत अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं।
कोविड 19 से ठीक होने बाद कैसे मदद करता है योग
योग क्षेत्र से जुड़े जानकार ही नही बल्कि कई शोध भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं की नियमित योग अभ्यास से न सिर्फ कोरोना के दौरान बल्कि कोरोना से ठीक होने के उपरांत होने वाली समस्याओं में भी राहत मिलती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के द्वारा किए गए एक विस्तृत शोध में यह बताया गया कि योग में प्राणायाम के जरिए हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है।
योग गुरु डॉ हेमंत बताते हैं की कोरोना से ठीक होने के उपरांत भी हमारे शरीर के मुख्य अंदरूनी अंग प्रभावित रहते हैं। इसके अतिरिक न सिर्फ हमारे हार्मोन में असंतुलन आता है, बल्कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आती है। जो की हमारे शरीर की ऊर्जा (प्राणिक ऊर्जा) को प्रभवित करती है।
ऐसे में योग हमारी देह(शरीर) को सुगठित , इंद्रियों को सुव्यवस्थित तथा मन को सुंस्कारित करने का कार्य करता है। इनमें शरीर को सुगठित करने में आसन, इंद्रियों को सुगठित करने में प्राणायाम, तथा मन को सुंस्कारीत करने में ध्यान मदद करता है।
वर्तमान समय में लोग महामारी के चलते आसपास फैले तनाव व संत्रास से बहुत ज्यादा प्रभावित है। जिसके कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा असर भी हो रहा है और उनमें चिंता, भय , अनिद्रा, जैसे मनोविकार पनपने लगते हैं। यहीं नही कोविड19 से ठीक होने के उपरांत भी लोगों में फेफड़ों और ह्रदय संबंधी समस्याओं सहित उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे समस्याएं भी गंभीर रूप में नजर आ रही है। ऐसे में योग अभ्यास और यौगिक जीवन शैली अपनाकर पीड़ित न सिर्फ अपने शरीर में ऊर्जा का संचरण कर सकते हैं बल्कि इन परेशानियों से भी राहत पा सहते है।
कैसे और कौन से योग होते है मददगार
डॉ हेमंत बताते हैं की कोरोना के इस दौर में लोगों में अवसाद के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। ऐसे में नियमित ध्यान यानी प्रार्थना से क्रोध तथा अनिद्रा सहित अन्य मनोविकारों में तथा भ्रामरी प्राणायाम, ब्रह्म मुद्रा, मार्जारी आसन, भुजंगासन तथा सेतुबंध आसन के नियमित अभ्यास से स्वसन संबंधी तथा ह्रदय संबंधी कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त कोरोना काल में घर में बैठे-बैठे बहुत से लोगों में मोटापे की समस्या भी होने लगी है जो कई और बीमारियों का भी कारण बन रही है। ऐसे अवस्था में सुव्यवस्थित भोजन के साथ ही सूर्य नमस्कार, पश्चिमोतासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, मंडूकासन , तथा प्राणायाम का नियमित अभ्यास के इस समस्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। वहीं
डॉ हेमन्त बताते हैं बहुत से योग आसन है जिनका कोरोना से ठीक हो चुके लोग नियमित अभ्यास कर सकते हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
अनुलोम विलोम
- एक शांत वातावरण में योग मैट या किसी भी आसन पर बैठ जाएं।
- अब अपने बाएं हाथ के अंगूठे से, बायीं नाक के छिद्र को बंद करके, दायीं नाक के छिद्र से सांस लें।
- अब दायीं नाक के छिद्र को अपनी एक उंगली से बंद करें और बायीं नाक के छिद्र को खोलकर, इसके जरिए सांस छोड़ें।
- दूसरी ओर से भी इस प्रक्रिया को दोहराएं।
- कोरोना वायरस के संक्रमण से बचे रहने के लिए इस प्राणायाम को रोज सुबह करीब पांच मिनट तक करें।
- भस्त्रिका प्राणायाम
- सबसे पहले किसी योग मैट पर बैठ जाएं।
- अब एक गहरी सांस लें।
- अब पेट पर जोर देते हुए सांस छोड़ें।
- इस प्रणायाम को करीब 3-5 मिनट तक करें।
- आप इसे सुबह और शाम दोनों समय कर सकते हैं।
ब्रह्म मुद्रा
- सिद्धासन या वज्रासन में बैठकर कमर तथा गर्दन को सीधा रखते हुए गर्दन को धीरे-धीरे दायीं ओर ले जाते हैं।
- कुछ सेकंड दायीं ओर रुकते हैं, उसके बाद गर्दन को धीरे-धीरे बायीं ओर ले जाते हैं।
- कुछ सेकंड तक बायीं ओर रुककर फिर दायीं ओर ले जाते हैं। फिर वापस आने के बाद गर्दन को ऊपर की ओर ले जाते हैं, उसके बाद नीचे की तरफ ले जाते हैं।
- फिर गर्दन को बारी बारी से घड़ी की सुइयों की दिशा और उसके विपरीत दिशा में घुमाएँ। इस तरह यह एक चक्र पूरा हुआ।
- इस अभ्यास को अपनी सुविधानुसार चार से पाँच चक्रों में कर सकते हैं।
मार्जरी आसन
- अपने घुटनों और हाथों के बल बैठ कर शरीर को एक मेज़ की तरह बना लें ।
- गर्दन सीधी नज़रें सामने रखें।
- अब सांस लेते हुए अपनी ठोड़ी को ऊपर कि ओर और सर को पीछे की ऒर ले जाएँ।
- अपनी नाभि को जमीन की ऒर तथा कमर के निचले हिस्से को छत की ओर ले जाएँ।
- इस स्थिति को बनाएँ रखें ओर लंबी गहरी साँसें लेते और छोड़ते रहें।
- अब यही प्रक्रिया विपरीत स्थिति में करेंगे यानी साँस छोड़ते हुए ठोड़ी को छाती से लगाएं ओर पीठ को धनुष आकार मेँ जितना उपर हो सके उतना उठाएं।
- इस स्थिति को कुछ समय तक बनाएँ रखें और फिर पहले कि तरह मेज़नुमा स्तिथि मेँ आ जाएँ।
- इस प्रक्रिया को पाँच से छह बार दोहराएं ।
भुजंगासन
- आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं और अपनी हथेलियों को कंधे के सीध में लाएं।
- दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा एवं तना हुआ रखें।
- अब साँस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं।
- ध्यान रहे की कमर पर ज़्यदा खिंचाव न आये।
- योगाभ्यास को धारण करते समय धीरे धीरे स्वाँस लें और धीरे धीरे स्वाँस छोड़े।
- जब अपनी पहली अवस्था में आना हो तो गहरी स्वाँस छोडते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आएं।
- इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।
- शुरुवाती दौर में इसे 3 से 4 बार करें।
डॉ हेमंत बताते हैं हैं योग में विभिन्न आसनों का अभ्यास शारीरक व मानसिक स्वास्थ्य में फायदा पहुंचता बशर्ते वह सही ढंग से क्या गया हो। बगैर जानकारी के योग आसनों का अभ्यास नुकसान भी पहुँच सकता है इसलिए बहुत जरूरी है हमेश किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक के निर्देश में ही योग सिखा जाय।
इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए drhemantyoga@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।