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आम त्वचा रोग नहीं है सिरोसिस : विश्व सिरोसिस दिवस

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Published : Oct 29, 2020, 12:35 PM IST

Updated : Oct 30, 2020, 12:10 PM IST

सिरोसिस ऐसी बीमारी है, जिसका असर दुनिया के हर कोने में नजर आता है. लेकिन लोगों में इसके प्रति जागरूकता बहुत कम है. दुनिया भर में लोगों को सिरोसिस के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 29 अक्टूबर को 'विश्व सिरोसिस दिवस' मनाया जाता है.

World Psoriasis Day
विश्व सिरोसिस दिवस

मौसम की मार और अस्वस्थता का असर कई बार हमारी त्वचा पर नजर आता है, जो सामान्य है. लेकिन यदि त्वचा का रंग बिल्कुल बदल जाए या वहां धब्बे पड़ने लगे, और त्वचा सख्त हो जाए तो यह चिंतनीय स्थिति है. त्वचा की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक हैं, सिरोसिस तथा लिवर सिरोसिस, जो पूरी दुनिया में बहुत आम है. लेकिन इसके बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है. दुनिया भर के लगभग 130 देशों में लोगों को सिरोसिस के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 29 अक्टूबर को 'विश्व सिरोसिस दिवस' मनाया जाता है. इस वर्ष इस विशेष दिवस को 'इन्फोर्मेड यानी अवगत' थीम पर मनाया जा रहा है.

क्या है सिरोसिस

नेशनल सिरोसिस फाउंडेशन के अनुसार सिरोसिस प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या उत्पन्न होने पर होने वाली बीमारी है, जिसके चलते शरीर की त्वचा पर असर नजर आता है. इस रोग में त्वचा पर कोशिकाएं तेजी से जमा होने लगती हैं. सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेजी से बनने लगती है, जिसमें घाव बन जाता है. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है.

सिरोसिस के प्रकार

सिरोसिस के पांच प्रकार माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं.

⦁ प्लेक सिरोसिस : इसमें त्वचा पर लाल उभरे हुए पैच होते है.

⦁ गुट्टेट सिरोसिस : यह स्किन पर छोटे लाल धब्बे का कारण बनता है. यह समस्या ज्यादातर किसी भी प्रकार के रोग के उपरांत होती है.

⦁ इन्वर्स सिरोसिस : इस प्रकार का सिरोसिस आमतौर पर त्वचा की सिलवटों में होता है. रोग होने पर त्वचा पर बहुत ज्यादा खुजली होने लगती है. साथ ही त्वचा पर लाल रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं.

⦁ पुस्तुलर सिरोसिस : इस प्रकार के सिरोसिस से हथेलियों और तलवों पर मवाद भर जाता है. ये एक ही समय में दर्दनाक और खुजलीदार होते हैं. यह फ्लू-प्रकार के लक्षणों का कारण बनता है, जिसमें बुखार, चक्कर आना, भूख कम लगना आदि शामिल हैं.

⦁ एरिथ्रोडर्मिक सिरोसिस : यह एक गंभीर सनबर्न जैसा दिखता है, क्योंकि यह त्वचा को चमकदार लाल बनाता है. इस प्रकार के सिरोसिस में तेज हृदय गति, खुजली और दर्द होता है.

सिरोसिस के लक्षण

⦁ त्वचा पर लाल या किसी अन्य रंग के पैच.

⦁ त्वचा का सूज जाना.

⦁ त्वचा पर होने वाले धब्बों में तेज खुजली या दर्द आना.

⦁ त्वचा पर चकत्ते दाग धब्बों से खून आना या त्वचा का पत्थर जैसा सख्त हो जाना.

⦁ नाखूनों और पैरों की उंगलियों पर निशान होना.

सिरोसिस के कारण

मुख्यतः रोग प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी के कारण होने वाली इस रोग के लिए कुछ अन्य कारकों को भी जिम्मेदार माना जाता है, जो इस प्रकार हैं;

  1. रोग प्रतिरोधक प्रणाली या इम्यून सिस्टम : हमारा इम्यून सिस्टम हमें संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करती है. लेकिन अगर कुछ गलत हो जाता है, तो हमारा सिस्टम इसके विपरीत काम करना शुरू कर देता है. शोधकर्ताओं का मानना है की जब हमारा इम्यून सिस्टम ज्यादा सक्रिय होकर काम करता है, तो यह शरीर के अंदर सूजन पैदा करता हैं. ऐसी अवस्था में त्वचा में अतिरिक्त कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है, जो त्वचा पर एक धब्बे की तरह नजर आने लगती हैं. त्वचा पर दिखने वाले ये धब्बे या कोशिकाएं सिरोसिस या सोरायसिस कहलाती हैं. यह रंग में लाल है और त्वचा में सूजन का कारण बनता है.
  2. हार्मोन असंतुलन : प्यूबर्टी या मेनोपॉज के दौरान या उपरांत भी त्वचा पर इस तरह की समस्याएं देखने में आने लगती हैं. गर्भवती महिलाओं में सोरायसिस होने की आशंका ज्यादा रहती है.
  3. दवाइयां: कुछ विपरीत दवाइयों के शरीर पर नकारात्मक असर के चलते भी त्वचा पर सिरोसिस की आशंका बढ़ जाती है.
  4. सूरज की रोशनी: थोड़ी सी धूप स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, क्योंकि यह शरीर को प्राकृतिक विटामिन डी प्रदान करती है. लेकिन कभी-कभी, सनबर्न से स्थिति और खराब हो सकती है, इसलिए धूप में बाहर जाने से पहले अपनी त्वचा की उचित देखभाल करने की सलाह दी जाती है.

मौसम की मार और अस्वस्थता का असर कई बार हमारी त्वचा पर नजर आता है, जो सामान्य है. लेकिन यदि त्वचा का रंग बिल्कुल बदल जाए या वहां धब्बे पड़ने लगे, और त्वचा सख्त हो जाए तो यह चिंतनीय स्थिति है. त्वचा की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक हैं, सिरोसिस तथा लिवर सिरोसिस, जो पूरी दुनिया में बहुत आम है. लेकिन इसके बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है. दुनिया भर के लगभग 130 देशों में लोगों को सिरोसिस के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 29 अक्टूबर को 'विश्व सिरोसिस दिवस' मनाया जाता है. इस वर्ष इस विशेष दिवस को 'इन्फोर्मेड यानी अवगत' थीम पर मनाया जा रहा है.

क्या है सिरोसिस

नेशनल सिरोसिस फाउंडेशन के अनुसार सिरोसिस प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या उत्पन्न होने पर होने वाली बीमारी है, जिसके चलते शरीर की त्वचा पर असर नजर आता है. इस रोग में त्वचा पर कोशिकाएं तेजी से जमा होने लगती हैं. सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेजी से बनने लगती है, जिसमें घाव बन जाता है. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है.

सिरोसिस के प्रकार

सिरोसिस के पांच प्रकार माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं.

⦁ प्लेक सिरोसिस : इसमें त्वचा पर लाल उभरे हुए पैच होते है.

⦁ गुट्टेट सिरोसिस : यह स्किन पर छोटे लाल धब्बे का कारण बनता है. यह समस्या ज्यादातर किसी भी प्रकार के रोग के उपरांत होती है.

⦁ इन्वर्स सिरोसिस : इस प्रकार का सिरोसिस आमतौर पर त्वचा की सिलवटों में होता है. रोग होने पर त्वचा पर बहुत ज्यादा खुजली होने लगती है. साथ ही त्वचा पर लाल रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं.

⦁ पुस्तुलर सिरोसिस : इस प्रकार के सिरोसिस से हथेलियों और तलवों पर मवाद भर जाता है. ये एक ही समय में दर्दनाक और खुजलीदार होते हैं. यह फ्लू-प्रकार के लक्षणों का कारण बनता है, जिसमें बुखार, चक्कर आना, भूख कम लगना आदि शामिल हैं.

⦁ एरिथ्रोडर्मिक सिरोसिस : यह एक गंभीर सनबर्न जैसा दिखता है, क्योंकि यह त्वचा को चमकदार लाल बनाता है. इस प्रकार के सिरोसिस में तेज हृदय गति, खुजली और दर्द होता है.

सिरोसिस के लक्षण

⦁ त्वचा पर लाल या किसी अन्य रंग के पैच.

⦁ त्वचा का सूज जाना.

⦁ त्वचा पर होने वाले धब्बों में तेज खुजली या दर्द आना.

⦁ त्वचा पर चकत्ते दाग धब्बों से खून आना या त्वचा का पत्थर जैसा सख्त हो जाना.

⦁ नाखूनों और पैरों की उंगलियों पर निशान होना.

सिरोसिस के कारण

मुख्यतः रोग प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी के कारण होने वाली इस रोग के लिए कुछ अन्य कारकों को भी जिम्मेदार माना जाता है, जो इस प्रकार हैं;

  1. रोग प्रतिरोधक प्रणाली या इम्यून सिस्टम : हमारा इम्यून सिस्टम हमें संक्रमण से सुरक्षित रखने में मदद करती है. लेकिन अगर कुछ गलत हो जाता है, तो हमारा सिस्टम इसके विपरीत काम करना शुरू कर देता है. शोधकर्ताओं का मानना है की जब हमारा इम्यून सिस्टम ज्यादा सक्रिय होकर काम करता है, तो यह शरीर के अंदर सूजन पैदा करता हैं. ऐसी अवस्था में त्वचा में अतिरिक्त कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है, जो त्वचा पर एक धब्बे की तरह नजर आने लगती हैं. त्वचा पर दिखने वाले ये धब्बे या कोशिकाएं सिरोसिस या सोरायसिस कहलाती हैं. यह रंग में लाल है और त्वचा में सूजन का कारण बनता है.
  2. हार्मोन असंतुलन : प्यूबर्टी या मेनोपॉज के दौरान या उपरांत भी त्वचा पर इस तरह की समस्याएं देखने में आने लगती हैं. गर्भवती महिलाओं में सोरायसिस होने की आशंका ज्यादा रहती है.
  3. दवाइयां: कुछ विपरीत दवाइयों के शरीर पर नकारात्मक असर के चलते भी त्वचा पर सिरोसिस की आशंका बढ़ जाती है.
  4. सूरज की रोशनी: थोड़ी सी धूप स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, क्योंकि यह शरीर को प्राकृतिक विटामिन डी प्रदान करती है. लेकिन कभी-कभी, सनबर्न से स्थिति और खराब हो सकती है, इसलिए धूप में बाहर जाने से पहले अपनी त्वचा की उचित देखभाल करने की सलाह दी जाती है.
Last Updated : Oct 30, 2020, 12:10 PM IST
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