नई दिल्ली : आईआईटी ने एक खास पौधे की कोशिकाओं को मेटाबॉलिक रूप से इंजीनियर किया है. इस पौधे की कोशिका Cancer treatment में विशेष सहायक है. इससे कैंसर की दवा का निर्माण होता है. कैम्पटोथेसिन (सीपीटी) टोपोटेकेन और इरिनोटेकन जैसी उच्च मूल्य वाली महत्वपूर्ण Cancer रोधी दवाओं के लिए एक मुख्य अणु है. हालांकि, जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई ने इन पौधों को लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में धकेल दिया है.
शोधकर्ताओं ने Cancer के उपचार में इस्तेमाल होने वाले कैम्पटोथेसिन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अब नॉथापोडिट्स निमोनियाना के पौधों की कोशिकाओं को मेटाबोलिक रूप से इंजीनियर किया है. इसका उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है. IIT ने कहा कि यह Cancer treatment medicine के उत्पादन को एक बड़ा बढ़ावा दे सकता है क्योंकि कैंप्टोथेसिन, तीसरा सबसे अधिक मांग वाला अल्कलॉइड, भारत में व्यावसायिक रूप से नॉथापोडिट्स निमोनियाना से निकाला जाता है, जो एक लुप्तप्राय पौधा है.
IIT Madras की प्लांट सेल टेक्नोलॉजी लैब के शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटेशनल टूल का उपयोग कर एन. निमोनियाना प्लांट कोशिकाओं के लिए एक जीनोम-स्केल मेटाबोलिक मॉडल विकसित किया है. बाजार की मांग को पूरा करने के लिए व्यापक रूप से अत्यधिक कटाई के कारण इसके प्रमुख संयंत्र स्रोत अब लाल-सूचीबद्ध हैं. अकेले पिछले दशक में एन. निमोनियाना की आबादी में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है.
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IIT researchers harness plant cells to produce anti-#Cancer drug
— IANS (@ians_india) December 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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आईआईटी ( IIT Madras and IIT Mandi ) की इस रिसर्च परियोजना की प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर स्मिता श्रीवास्तव भूपत और ज्योति मेहता ने कहा, ''बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग सिद्धांतों के साथ मेटाबॉलिक इंजीनियरिंग का एकीकरण, प्राकृतिक संसाधन के अलावा न्यूनतम समय और लागत में इसकी बढ़ती बाजार मांग को पूरा करने के लिए, कैंप्टोथेसिन के उन्नत और टिकाऊ उत्पादन को सुनिश्चित कर सकता है."
अध्ययन के सह अन्वेषक प्रोफेसर कार्तिक रमन ने कहा, ''पौधों की कोशिकाओं की मॉडल-आधारित तर्कसंगत इंजीनियरिंग के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म तकनीक को कई अन्य उच्च-मूल्य वाले फाइटोकेमिकल्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है.'' आईआईटी के शोध पत्र के पहले लेखक, पीएचडी छात्र सरयू मुरली ने कहा, “घरेलू प्रयोगात्मक डेटा का उपयोग कर इस मॉडल का पुनर्निर्माण और क्यूरेट किया गया था.
एन. निमोनियाना पादप कोशिकाओं में कैंप्टोथेसिन उत्पादन को अधिकतम करने के लिए ओवरएक्प्रेशन और डाउनरेगुलेशन के लिए उपयुक्त एंजाइम लक्ष्यों की पहचान और रैंक करने के लिए कम्प्यूटेशनल टूल का उपयोग किया गया था. हमने प्रयोगात्मक रूप से मॉडल द्वारा अनुमानित एक एंजाइम की अतिअभिव्यक्ति को मान्य किया, जिसके कारण अपरिवर्तित पौधे सेल लाइन की तुलना में एन निमोनियाना की 5 गुना उच्च कैंप्टोथेसिन-उपज देने वाली सेल लाइन का विकास हुआ."
IIT Madras ने कहा कि कैंसर दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2020 में लगभग 10 मिलियन मौतें हुईं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (आईसीएमआर-एनसीआरपी 2020) के अनुसार, भारत में 2025 तक मामलों की संख्या 15.7 लाख तक बढ़ने की उम्मीद है. हर दिन कैंसर की बढ़ती घटनाओं के साथ, कैंसर रोधी दवा के उत्पादन में वृद्धि की मांग बढ़ रही है.