हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप एक ऐसी समस्या या अवस्था है जो रोगी के शरीर में ह्रदय, गुर्दों तथा शरीर के अन्य अंगों से जुड़े कई गंभीर रोगों के जन्म का कारण बनती है। यही नहीं हाइपरटेंशन के रोगी को किसी भी रोग या शारीरिक समस्या होने की अवस्था में अति गंभीर श्रेणी में रखा जाता है।
हाइपरटेंशन की समस्या लोगों में काफी आम है। दुनिया भर में लोग हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप शब्द से वाकिफ तो है लेकिन इसकी जटिलताओं तथा इसके चलते स्वास्थ्य पर पड़ने वाल गंभीर परिणामों के बारें में लोगों को ज्यादा जानकारी नही है।दुनिया भर में लोगों को हाइपरटेंशन के बारें में जागरूक करने के उद्देश्य से “विश्व हाइपरटेंशन लीग “ द्वारा 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष यह विशेष दिवस “मैज़र ब्लड प्रेशर एक्युरेटली, कंट्रोल इट, लिव लोंगर” यानी उच्च रक्तचाप की सही जांच करें, उस पर नियंत्रण रखें तथा लंबा जीवन जिए थीम पर मनाया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग 1.13 बिलियन लोग उच्च रक्तचाप अवस्था से पीड़ित है, जिनमें से लगभग दो तिहाई लोग मध्य तथा निम्न आमदनी वाले देशों में रहते हैं। वहीं वर्ष 2015 के आंकड़ों के अनुसार हर चार में से एक पुरुष तथा 5 में से एक महिला उच्च रक्तचाप का शिकार होती है। जानकार मानते है की वर्तमान पारिसतिथ्यों में यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। चिकित्सक तथा जानकार इस अवस्था से बचने के लिए लोगों को नियमित तौर पर रक्तचाप की जांच करने की सलाह देते हैं।
क्या है हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन एक ऐसी चिकित्सिय अवस्था है जब रक्त धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक कार्य करने की आवश्यकता पड़ती है। जिससे हमारे शरीर का रक्तचाप जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है।
रक्तचाप को मापने के लिए ब्लड प्रेशर मशीन की मदद ली जाती है जिसमें आम तौर पर दो प्रकार की रीडिंग होती हैं। पहली जिसे सिस्टोलिया या प्रकुंचन भी कहा जाता है। यह रीडिंग दिल के धड़कने पर रक्त धमनियों पर पड़ने वाले दबाव के बारे में बताती है तथा दूसरी जो डिस्टोनिक कही जाती है, ह्रदय की धड़कने के बीच के अंतराल के दौरान रक्त धमनियों पर पड़ने वाले दबाव के बारे में बताती है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार यदि यदि अलग-अलग दिनों में दो बार जांचे गए रक्तचाप में दोनों बार सिस्टोलिक रक्तचाप ≥140 एमएम एचजी तथा डिस्टोलिक रक्तचाप ≥90 एमएम एचजी से ज्यादा हो तो यह उच्च रक्तचाप की स्थिति कहलाती है। यदि किसी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप होने की पुष्टि होती है तो चिकित्सक द्वारा उसकी जांच और इलाज जरूरी हो जाता है।
कैसे करें उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण
वी.आई.एन.एन अस्पताल हैदराबाद के फिजिशियन डॉक्टर राजेश वुक्काला ने ईटीवी भारत सुखी भव के पाठकों के लिए उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए कुछ विशेष नियमों के बारे में जानकारी दी है । जो इस प्रकार है।
दिनचर्या
उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखने के लिए बहुत जरूरी है कि स्वस्थ दिनचर्या का पालन किया जाए। जिसके लिए प्रातः जल्दी उठना तथा रात को समय पर सोन चाहिए । खाने के लिए समय निर्धारित किया जाना चाहिए तथा उसी के अनुसार भोजन ग्रहण किया जाना चाहिए । इसके अलावा नियमित तौर पर किसी भी प्रकार के व्यायाम का भी अभ्यास किया जाए।
कैफिन से दूरी
किसी भी माध्यम से लिए जा रहे कैफीन के इस्तेमाल में कमी अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। जहां तक संभव हो कैफीन लेने से परहेज करना चाहिए क्योंकि यह शरीर के रक्तचाप को बढ़ाता है। हालांकि शरीर पर कैफीन का प्रभाव काफी हद तक व्यक्ति की शारीरिक अवस्था पर भी निर्भर करता है।
जंक फूड से परहेज
उच्च रक्तचाप से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि जंक फूड को ना कहा जाए। जहां तक संभव हो जंक फूड से परहेज करना चाहिए । जंक फूड में जरूरत से ज्यादा मात्रा में चीनी, कैलोरी तथा रिफाइंड कार्ब होते हैं जो शरीर में रक्त चाप को बढ़ाते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए घर पर बने, हल्के पौष्टिक तथा सुपाच्य भोजन को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
व्यायाम
डॉ राजेश बताते हैं कि शरीर को स्वस्थ रखने तथा शरीर के सभी अंगों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत जरूरी है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए। उच्च रक्तचाप की अवस्था में मेडिटेशन, योगा तथा चलने का अभ्यास काफी फायदेमंद होता है। मेडिटेशन से दिमाग के तनाव में कमी आती है तथा हमारा चित्त शांत तथा ऊर्जावान महसूस करता है। नियमित रूप से व्यायाम हमारे हृदय के स्वास्थ्य को भी बनाए रखता हैं।
सही हो बॉडी मास इंडेक्स
हमारे शरीर का बॉडी मास इंडेक्स यानी कद के अनुसार सही वजन की प्रणाली को संतुलित रखना बहुत जरूरी है। कद के अनुपात में वजन की अधिकता ना सिर्फ हमारे हृदय के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि शरीर में और भी कई समस्याओं को जन्म देती है।
भोजन में सोडियम की मात्रा कम हो
अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि भोजन में सोडियम यानी नमक की मात्रा कम हो। जरूरत से ज्यादा नमक हमारी रक्त धमनियों को प्रभावित करता है। इसलिए खाने में नमक कम ले साथ ही ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें नमक की आवश्यकता नहीं होती है जैसे सलाद, फल आदि, उन में नमक ना डालें।
धूम्रपान और शराब के सेवन से परहेज
धूम्रपान तथा शराब का सेवन भी हमारे शरीर में रक्त चाप को बढ़ाता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि जहां तक संभव हो इन दोनों ही बुरी आदतों से बचा जाए। यदि ऐसा ना भी कर पाए तो इन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है।
डॉ राजेश बताते हैं कि पिछले 3 दशकों में लोगों में लगातार बढ़ते तनाव के चलते उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या भी बढ़ी है। जहां पहले यह माना जाता था कि उच्च रक्तचाप आमतौर पर 50 से ज्यादा उम्र वाले व्यक्तियों को होता है वही वर्तमान समय में युवाओं में भी तनाव तथा उच्च रक्तचाप की समस्या नजर आ रही है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि लोग अपने तनाव को नियंत्रण में रखने के तरीकों को जाने तथा अपनाएं जिससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर ना हो या कम हो।
कैसे मांपे सही रक्तचाप
रक्तचाप को मांपते समय कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, जो इस प्रकार हैं।
- रक्तचाप को मांपते समय हिले-डूले नहीं।
- रक्तचाप को मांपते समय अपनी बाजू को किसी कुशन या तकिए पर इस तरह आराम से रखे कि वह आपके दिल की सिधाई में हो।
- रक्तचाप मशीन के कफ यानी बाजू पर लगाने वाले कपड़े को रक्तचाप मांपते समय हमेशा बाजू की त्वचा के संपर्क में ही रखें। कपड़े के ऊपर कफ का इस्तेमाल करने पर मशीन को सही रक्तचाप मांपने में समस्या होती है।
- रक्तचाप मांपते समय हमेशा कुर्सी पर बैठे, जिससे आपकी पीठ सीधी हो और कुर्सी के पीछे के हिस्से से टीकी हो तथा आपके पांव जमीन पर आराम से रखे हो।
- रक्तचाप मांपते समय कभी भी अपने दोनों पांव को एक के ऊपर एक करके ना रखें यानी पाव क्रॉस मुद्रा में नहीं होने चाहिए।
- रक्तचाप की जांच करते समय आपका ब्लैडर खाली होना चाहिए। यानी पेशाब करने के उपरांत ही रक्तचाप की जांच करनी चाहिए।
- किसी भी शारीरिक गतिविधियां या व्यायाम के तत्काल बाद रक्तचाप की जांच नहीं करनी चाहिए। किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि के लगभग 10 मिनट बाद ही रक्तचाप की जांच होनी चाहिए।
कोविड-19 और हाइपरटेंशन
चिकित्सक मानते हैं कोविड-19 के इस दौर में हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप जैसी कोमोरबीटी से पीड़ित लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। गौरतलब है कि कोमोरबीटी से पीड़ित लोगों को इस संक्रमण के होने के लिहाज से तथा संक्रमण होने के उपरांत गंभीरता की आशंका के चलते ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है। वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग ने कोविड-19 के मद्देनजर लोगों को कुछ सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए सलाह दी है, जो इस प्रकार हैं।
- चिकित्सक द्वारा बताई गई उच्च रक्तचाप की दवाइयों को नियमित तौर पर लेते रहें।
- यदि संभव हो तो प्रतिदिन अपने घर में रक्तचाप की जांच करते रहें। हालांकि यह कभी कम कभी ज्यादा हो सकता है, लेकिन किसी भी अवस्था में दवाइयों को बिना चिकित्सीय सलाह के कम या बंद नहीं करना चाहिए।
- यह जानना भी जरूरी है कि निम्न रक्तचाप शरीर में पानी की कमी के चलते भी हो सकता है । इसलिए नियमित तौर पर जरूरी मात्रा में पानी पीते रहे। शरीर में पानी की सही मात्रा की पूर्ति के लिए पानी के अलावा फल, दूध ,जूस आदि का सेवन भी किया जा सकता है।
- कोविड-19 के दौर में ज्यादातर लोग अधिकांश समय संक्रमण के प्रभाव से बचने के लिए अपने घरों में रहने को प्राथमिकता देते हैं, जिसके चलते उनकी शारीरिक सक्रियता काफी हद तक कम हो जाती है। ऐसी अवस्था में घर पर ही व्यायाम या ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे शारीरिक सक्रियता बनी रहे। इसके साथ ही सामाजिक दूरी बनाकर आसपास वॉक भी की जा सकती है।