चेहरे पर दाने या एक्ने नजर आना एक आम समस्या है. लेकिन यह समस्या कई बार बालों की जड़ों में भी नजर आने लगती है. कई लोग इसे सामान्य एक्ने समझ कर इसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. लेकिन उनकी यह अनदेखी कई बार उनके सिर की त्वचा में कई और समस्याओं तथा संक्रमण का कारण बन सकती है. डर्मा क्लिनिक मुंबई की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ सबा शेख बताती हैं कि कई बार किसी रोग, साफ-सफाई के अभाव, मौसम या पसीने की अधिकता के कारण लोगों के सिर में बालों की जड़ों में लाल रंग के खुजलीदार दाने नजर आने लगते हैं , जोकि ज्यादातर स्कैल्प फॉलिकुलाइटिस संक्रमण के कारण होते हैं.
क्यों होता है संक्रमण
डॉ सबा बताती हैं कि स्कैल्प फॉलिकुलाइटिस एक इंफ्लेमेटरी विकार है जो सिर के हेयर फॉलिकल्स को प्रभावित करता है. हालांकि शुरुआती दौर में यह संक्रमण गंभीर संक्रमण की श्रेणी में नही आता है, लेकिन समस्या बढ़ने पर दानों में होने वाली खुजली, जलन तथा दर्द, पीड़ित को काफी परेशान कर सकती है. इस समस्या में आमतौर पर पीड़ित के सिर में बालों की जड़ों में तथा आसपास की त्वचा पर छोटे छोटे लाल रंग के दानें नजर आने लगते हैं. जिनके चलते या जिन्हे खुजलाने पर सिर की त्वचा में जलन व दर्द महसूस होने लगता है तथा घाव होने की आशंका बढ़ जाती है. वहीं ध्यान न देने पर इनमें से पानी या मवाद जैसा चिपचिपा द्रव्य भी निकल सकता है जिससे परेशानियाँ तथा संक्रमण की गंभीरता भी बढ़ सकती है.
कारण
स्कैल्प फॉलिकुलाइटिस के लिए कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है. डॉ सबा बताती हैं की आमतौर वे लोग जो लंबी अवधि तक हेलमेट पहनते हों जिसके चलते उनके बालों में बहुत ज्यादा पसीना आता हो , जो अपने बालों को कस कर बांधते हों या फिर जो लोग बालों में कई तरह के स्टाइलिंग उत्पादों का इस्तेमाल करते हों, उनमें यह समस्या आमतौर पर नजर आती है. वही कई बार जो लोग थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद अपने बालों को हटाने के लिए सिर को शेव करते हों उनमें भी यह समस्या नजर आती है. इसके अलावा कठोर प्रकृति के हेयर केयर उत्पाद जैसे शैंपू, कंडीशनर, हेयर जैल, स्प्रे तथा कलर आदी का इस्तेमाल करने से भी हेयर फॉलिकल्स के बंद होने तथा उसके कारण इस संक्रमण के होने की आशंका बढ़ सकती है.
स्कैल्प फॉलिकुलाइटिस के प्रकार
स्कैल्प फॉलिकुलाइटिस कई प्रकार का हो सकता है , लेकिन इसे मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जाता है सुपरफिशयल और डीप . इनमें सुपरफिशयल फॉलिकुलाइटिस श्रेणी में बैक्टीरियल, स्यूडोफॉलिकुलाइटिस बरबै, तथा स्यूडोमोनास फॉलिकुलाइटिस आते हैं . वहीं डीप फॉलिकुलाइटिस में फोड़े, साइकोसिस बरबै तथा ईसिनोफिलिक फॉलिकुलाइटिस आदि आते हैं.
कैसे करें बचाव
डॉ सबा कहती है कि किसी भी रोग या समस्या से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि सावधानी बरती जाय. इसके अलावा सिर या बालों की देखभाल के लिए उपयोग में आने वाले उत्पादों में यदि एंटिफंगल गुणों से भरपूर सैलिसिलिक एसिड तथा केटोकोनैजोल हो तो वह बालों तथा स्कैल्प को कई प्रकार की समस्याओं से बचा सकते हैं. इसके अलावा सिर की त्वचा को संक्रमण व दानों से मुक्त रखने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना भी फायदेमंद हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- अपने सिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें.
- यदि लंबे समय तक हेलमेट पहनना हो तो पसीने से बचने के लिए उसके नीचे एक सूती रुमाल लगाएं , जिससे बालों की जड़ों में पसीना एकत्रित ना हो , और सूती कपड़ा उसे सोखता रहे.
- यदि व्यायाम करते समय या चलते समय सिर में बहुत ज्यादा पसीना आने लगे तो उसे सूती रुमाल या कपड़े से उसे साफ करते रहना चाहिए. जिससे बालों की जड़ों में बहुत ज्यादा पसीना जमा न हो.
- सिर धोने के लिए हमेशा माइल्ड या हर्बल शैम्पू का इस्तेमाल करें. इसके अलावा विशेषकर गर्मियों के मौसम में नियमित तौर पर बालों को धोते रहें.
- रसायनिक तत्वों वाले हेयर केयर उत्पादों की बजाय प्राकृतिक या हर्बल उत्पादों के इस्तेमाल को प्राथमिकता देनी चाहिए.
- सही व पौष्टिक आहार का सेवन करें.
- डॉ सबा बताती है की संक्रमण चाहे कोई भी हो उसके संकेत मिलते ही चिकित्सक से एक बार परामर्श जरूर लेना चाहिए. जिससे समस्या के कारणों की सटीक जानकारी मिल पाए तथा इलाज में सहूलियत हो.
पढ़ें: क्लेरिफाइंग शैंपू कर सकता है बालों की कई समस्याओं को दूर