पिस्ता एक ऐसा सूखा मेवा है जो ना सिर्फ मिठाइयों, खीर, हलवे का जायका तथा उनकी रंगत बढ़ाता है बल्कि उनमें पोषण का तड़का भी लगाता है. आयुर्वेद में भी पिस्ता के गुणों को माना गया है. पुणे महाराष्ट्र के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ एस. कलाकांत बताते हैं कि आयुर्वेद में पिस्ता को कफ-पित्त-वर्द्धक, वात दोष से आराम दिलाने वाला तथा शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है. इसका सेवन शारीरिक कमजोरी को दूर करने में काफी लाभकारी माना जाता है. विशेषकर पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिए इसे काफी फायदेमंद माना जाता है. वह बताते हैं कि आयुर्वेद में सिर्फ पिस्ता ही नही बल्कि उसकी छाल, पत्तों तथा उसके तेल को भी औषधीय उपचारों में उपयोग में लाया जाता है.
पिस्ता के पोषक तत्व
पिस्ता में विटामिन-ए , के , सी, डी, ई व बी-6, मिनरल्स, मैग्नीशियम, आयरन, फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, कैल्शियम, एमिनो एसिड, फोलेट, मैगनीज, पोटेशियम, थियामीन, अनसैचुरेटेड फैट, ओलिक व लिनोलिक एसिड तथा फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं. इसके अलावा पिस्ता में एंटी-डायबिटिक,एंटी-इंफ्लेमेटरी तथा एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं.
पिस्ता के गुण
माडर्न चिकित्सा पद्दति में माना जाता है कि पिस्ता में कार्डियो प्रोटेक्टिव एक्टिविटी और न्यूरोप्रोटेक्टिव एक्टिविटी पाई जाती है. जो ह्रदय और मस्तिष्क संबंधी कई परेशानियों को दूर रखती है . इसके अलावा इसका सेवन आंखो के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. विभिन्न समस्यायों में पिस्ता के फ़ायदों की पुष्टि देश-विदेश में किए गए शोधों में भी हो चुकी है . जिनमें से कुछ की जानकारी इस प्रकार है.
- एनसीबीआई की वेबसाइट पर पिस्ता खाने के सही तरीके और उसके फ़ायदों को लेकर प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में बताया गया है कि पिस्ता के सेवन से लो- डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल ) के स्तर में कमी आ सकती है तथा हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल ) को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. जिससे कोरोनरी हार्ट डिजीज और इस्केमिक हार्ट डिजीज का जोखिम कम हो सकता है. इस शोध में यह भी बताया गया है कि पिस्ता खाने से कैलोरी की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा इसमें एंटीओबीस गुण होते है, जो स्टार्च से होने वाली ब्लॉकेज को कम करने , वसा के अवशोषण और लो एनर्जी डेंसिटी में मदद करते हैं.
- एनसीबीआई की वेबसाइट पर ही प्रकाशित एक अन्य वैज्ञानिक रिसर्च में यह भी बताया गया है कि पिस्ता में कीमो प्रिवेंटिव गुणों पाए जाते हैं. जो कैंसर सेल को पनपने से रोकने में मदद कर सकते हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिस्ता में मौजूद पी-टोकोफेरोल और एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में मदद करते हैं.
- “न्यूट्रिएंट्स” पत्रिका के जुलाई 2020 अंक में प्रकाशित एक अध्धयन में भी इस बात की पुष्टि की गई थी कि पिस्ता को आहार में शामिल करने से वजन घटाने में आसानी से मदद मिल सकती है बशर्ते इसके साथ कैलोरी-प्रतिबंधित आहार का सेवन किया जाए. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो के इस शोध में दो समूहों में लोगों पर तुलनात्मक अध्धयन किया गया था. इस शोध में यह भी सामने आया कि पिस्ता खाने से कमर और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) भी कम होते हैं. वहीँ इसमें पाए जाने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट्स ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन, आँखों की नीली रोशनी और पराबैंगनी प्रकाश से सुरक्षा करते हैं तथा रेटिना को भी स्वस्थ रखते हैं.
- वर्ष 2014 में पेन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक शोध में बताया गया था कि दिन में दो बार पिस्ता खाने से डायबिटीज टाइप 2 को नियंत्रित किया जा सकता है. '' जर्नल ऑफ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित हुए इस शोध में मधुमेह से पीड़ित लोगों पर अध्धयन किया गया था. शोध में यह भी बताया गया था कि पिस्ता के सेवन से तनाव भी दूर होता है और दिल की सेहत भी बरकरार रहती है.
- वहीं रिव्यू ऑफ डायबटिक स्टडीज में प्रकाशित एक शोध में भी यह बताया गया था कि पिस्ता मधुमेह पीड़ितों के लिए दवा सरीखा फायदा देता है. इससे ना सिर्फ रक्तशर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है, इंसुलिन प्रतिरोध पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है साथ ही शरीर को ऊर्जा भी मिलती है.
क्या है विशेषज्ञ की सलाह
खाद्य तथा पोषण विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि यदि नियंत्रित मात्रा में पिस्ता का सेवन किया जाय तो शरीर को उसके कई लाभ मिलते हैं जैसे पिस्ता में पाए जाने वाले गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं, शरीर में आयरन की कमी को दूर करते हैं, तथा हड्डियों व दांतों के स्वास्थ्य में भी सुधार करते हैं. वहीं गर्भवती महिलाओं को भी नियंत्रित मात्रा में अन्य सूखे मेवों के साथ ही पिस्ता खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं . लेकिन यहाँ यह जानना बहुत जरूरी है कि अलग-अलग परिसतिथ्यों में पिस्ता या कोई भी पौष्टिक आहार किसी समस्या या रोग से बचाव करने में मदद तो कर सकते हैं लेकिन वह उसका इलाज नही करते है. किसी भी प्रकार के रोग या समस्या होने की अवस्था में चिकित्सीय इलाज सबसे ज्यादा जरूरी होता है. इसलिए किसी भी प्रकार का रोग होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.
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