किडनी स्टोन्स, गॉलब्लैडर स्टोन्स, अस्थमा, मानसिक रोग, नींद ना आना, त्वचा रोग इस तरह के रोगों में होम्योपैथी इलाज पद्धति बहुत अधिक प्रभावी और कारगर साबित हुई है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तरह के रोगों में एक सप्ताह के अंदर मरीज को रिजल्ट दिखाई देने लगता है. इसके बावजूद भी बहुत सारे देशों और बहुत सारी जगहों पर होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को पूर्ण रूप से मान्यता नहीं है. और कुछ देशों में तो होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति पर प्रतिबंध भी है. इसी विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए आईएएनएस ने होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर रजीना (Homeopathic physician Dr Rajina ) से बातचीत की. Homeopathic medicines are effective . Homeopathy system . Popularity of homeopathy system.
इस विधा के जानकार बताते हैं कि इस पद्धति में रोग या समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किया जाता है. नए, पुराने, जटिल तथा सामान्य लगभग सभी प्रकार के रोगों व समस्याओं में होम्योपैथी चिकित्सा को काफी कारगर माना जाता है. इसे बच्चों, बड़ों व बुजुर्गों, हर उम्र के महिलाओं व पुरुषों के लिए सुरक्षित चिकित्सा पद्धति माना जाता है. यहां तक कि गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए भी इसे पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है. वहीं इसके किसी प्रकार के पार्श्व प्रभाव (Homeopathy effect) भी देखने सुनने में नही आते हैं.
21वीं सदी में मेटा-विश्लेषणों की एक श्रृंखला ने दिखाया है कि होम्योपैथी के चिकित्सीय दावों में वैज्ञानिक औचित्य का अभाव है. नतीजतन, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निकायों ने स्वास्थ्य देखभाल में होम्योपैथी के लिए सरकारी धन को वापस लेने की सिफारिश की है. ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, स्विटजरलैंड और फ्ऱांस के राष्ट्रीय निकायों के साथ-साथ यूरोपीय अकादमियों की विज्ञान सलाहकार परिषद (Science Advisory Council) और Russian Academy of Sciences ने निष्कर्ष निकाला है कि होम्योपैथी अप्रभावी है. National Health Service England अब होम्योपैथिक उपचारों के लिए धन उपलब्ध नहीं कराती है. और स्वास्थ्य विभाग से होम्योपैथिक उपचारों को निषिद्ध दवाओं की सूची में जोड़ने के लिए कहा है. फ्रांस ने 2021 में फंडिंग हटा दी, जबकि स्पेन ने भी स्वास्थ्य केंद्रों से होम्योपैथी चिकित्सा पर प्रतिबंध लगाने के कदमों की घोषणा की.
होम्योपैथी देर से रिजल्ट नहीं देती : Homeopathic physician Dr Rajina कहती है कि होम्योपैथी के बारे में एक मिथ है के होम्योपैथी धीमी से काम करती है. इस पद्धति के इलाज से मरीज को बहुत देर में फायदा होता है. जबकि ऐसा नहीं है बल्कि बहुत सारे लोग होम्योपैथी पर तब आते है, जब उनका रोग बहुत पुराना हो जाता है. आगे Dr Rajina Homeopathic physician ने बताया अब अगर किसी को 3 साल 10 साल पुरानी बीमारी है, तो ऐसे मरीज को यदि homeopathy पद्धति से ठीक होने में 2 से 3 महीने भी लग रहे हैं. लेकिन वह ठीक हो रहा है. तो होम्योपैथी पद्धति मरीज को देर में रिजल्ट नहीं देती बल्कि मरीज ही अपने बहुत पुराने रोग को लेकर आता है. इसलिए मरीज को रिजल्ट देर में मिलता है.
Dr Rajina ने बताया कि बहुत से लोगो को गलतफहमी है कि Homeopathy system का विश्व में ज्यादा चलन में नहीं है. जबकि ऐसा नहीं है पूरे विश्व की अगर बात करें आज की तारीख में 40 प्रतिशत लोग होम्योपैथी पद्धति पर कन्वर्ट हो रहे हैं. एक खास बात है जिसके बारे में आज कल डॉक्टर भी कम बात कर रहे हैं कि मनुष्य की बॉडी आजकल antibiotic resistant हो रही है. एंटीबायोटिक्स ने मनुष्य की बॉडी पर काम करना बंद कर दिया है, कुछ painkillers ने भी बॉडी पर काम करना बंद कर दिया है. इसकी एक वजह यह है कि एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाइयों का लोगों ने बहुत अधिक तादाद में और गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इस वजह से कुछ एंटीबायोटिक्स अब मनुष्य की बॉडी पर काम ही नहीं करती इसलिए भी बहुत से लोग होम्योपैथी पद्धति से इलाज कराने की ओर आगे बढ़ रहे हैं और उनको इससे लाभ भी हो रहा है. ऐसा नहीं है कि होम्योपैथिक पद्धति एक जानी मानी और कारगर पद्धति नहीं है बल्कि होम्योपैथिक पद्धति से इलाज कराने वालों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ ही रही.
प्रमुख लोग जिन्हें होम्योपैथी पर विश्वास : Dr Rajina Homeopathic physician ने आगे बताया बहुत से ऐसे प्रमुख लोग रहे जिन्हें होम्योपैथिक पद्धति पर बहुत विश्वास रहा: महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, रविंद्र नाथ टैगोर, एपीजे अब्दुल कलाम, क्वीन एलिजाबेथ, बिल क्लिंटन, और अशोक कुमार दादा मुनी तो होम्योपैथी के चिकित्सक भी रहे हैं. होम्योपैथी पद्धति प्रकृति (Homeopathy system) पर आधारित है जो “विषस्य विषमौषधम” सिद्धांत पर कार्य करती है. जिसके अनुसार विष को ही विष की औषधि माना जाता है. इस पद्धति में जिन तत्वों के ज्यादा मात्रा में सेवन से शरीर में समस्या उत्पन्न होती है उन्हीं से तथा उसी प्रकार की प्रकृति वाले तत्वों से रोग या समस्या के निवारण का प्रयास किया जाता है. जिसके लिए पेड़-पौधों, खनिजों और धातुओं के अर्क या टिंचर के अलावा प्रकृति से मिलने वाले तत्वों से दवाओं को तैयार किया जाता है.
जरूरी हैं सावधानियों व नियमों का पालन : दिल्ली के कंसल्टेंट होम्योपैथी फिजिशियन डॉ आर आर सिंह (Dr. R R Singh Homeopathy Physician Delhi) बताते हैं कि होम्योपैथिक दवाओं में मीठी गोलियों या उनसे बने पाउडर पर बहुत ही नियंत्रित मात्रा में अर्कों तथा दवाओं का इस्तेमाल करके दवाएं तैयार की जाती हैं. वहीं कई बार यह दवाएं लिक्विड भी होती हैं. लेकिन इन दवाओं के सेवन के दौरान मरीज को जीवनशैली व आहार शैली से जुड़ी तथा कुछ अन्य प्रकार की सावधानियों की बरतने की हिदायत दी जाती है. ऐसा ना करने पर दवा का असर नही होता है या अपेक्षाकृत काफी कम होता है. वह बताते हैं कि दवाओं के सेवन के साथ परहेज इस चिकित्सा पद्धति के सबसे जरूरी नियमों में से एक है. इसलिए बहुत जरूरी होता है कि इन दवाइयों के सेवन की शुरुआत करने से पहले चिकित्सक से जरूरी परहेज तथा सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी ले ली जाय, अन्यथा दवाएं लेने के बावजूद उनका असर नहीं होगा.
सावधानियां (Precautions)
- वह बताते हैं कि इसके अलावा भी बहुत सी बातें हैं जिनका होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के दौरान ध्यान रखने की जरूरत होती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.
- होम्योपैथिक दवाओं को हमेशा सामान्य तापमान में रखना चाहिए. यानी ना ज्यादा ठंडे और ना ही ज्यादा गर्म तापमान में . अन्यथा इन दवाओं का असर प्रभावित हो सकता है.
- इन दवाओं के सेवन के दौरान कच्चे प्याज, लहसुन और कॉफी का सेवन से बचना चाहिए.
- इस चिकित्सा पद्धति में दवा खाने के आधा घंटे पहले तक तथा दवा खाने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी ना खाने का नियम है. ऐसा ना करने पर होम्योपैथिक दवाओं का असर प्रभावित होता है.
- निर्धारित या तय अवधि के बाद या काफी समय से रखी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए.
- इन दवाओं के सेवन की अवधि के दौरान पान, तंबाकू-गुटखा और धूम्रपान नहीं करना चाहिए.
- होम्योपैथिक दवाओं को सीधे धूप के संपर्क में या ऐसे स्थानों पर नही रखना चाहिए जहां ज्यादा खुशबू हो.
- इन दवाओं को सीधे हाथों से नही छूना चाहिए. यदि दवा कागज की पुड़िया में हो तो सीधे उसी से या अगर दवाई की बोतल में हो तो उसके ढक्कन में गिनकर डालकर ही खानी चाहिए. इसके अलावा इन दवाओं को मेटल के बर्तन में नही रखना चाहिए. यदि संभव हो होम्योपैथिक दवाओं को हमेशा कांच के बर्तन या बोतल में ही रखना चाहिए.
- दवा को यदि टिंचर के रूप में दिया गया हो तो हमेशा बताई गई बूंदों में ही उनका सेवन करना चाहिए.
- दवाई का सेवन हमेशा बताए गए समय, मात्रा तथा निर्धारित अंतराल पर करना चाहिए. कई लोग दवाओं का ओवरलैप कर देते हैं. यानी पहली खुराक ही काफी देर से कहते हैं जिससे दो बार की दवाओं के बीच सही अंतराल नही रह पाता है. इसके अलावा चूंकि यह दवाइयाँ मीठी गोलियों में मिलती हैं इसलिए कई बार लोग इसका सेवन बताई गई मात्रा से ज्यादा मात्रा में कर लेते हैं. जो सही नही है.
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