यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन हर उम्र की महिलाओं में आमतौर पर देखी जाने वाली समस्या है. पेशाब करते समय योनि में जलन या दर्द होना, जल्दी-जल्दी मूत्र त्याग करने की इच्छा होना या फिर गॉलब्लैडर या पेट के निचले हिस्से में दर्द होने की समस्या महिलाओं में अमूनन नजर आ ही जाती है. जिसके लिए ज्यादातर मामलों में यूटीआई संक्रमण जिम्मेदार होता है.
महिलाओं में आम समस्या है यूटीआई
यूटीआई संक्रमण कई कारणों से हो सकता है जिनमें से शरीर में पानी की कमी, निजी अंगों की साफ-सफाई में कोताही, असंतुलित आहार या खानपान संबंधी खराब आदतें, नींद में कमी या प्रजनन अंगों या पेशाब के लिए जिम्मेदार अंगों से जुड़े किसी रोग या संक्रमणों को मुख्य माना जाता है. ज्यादातर महिलाएं यूटीआई के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं, जो सही नहीं है. दरअसल ध्यान ना देने पर इस संक्रमण का प्रभाव पेशाब के लिए जिम्मेदार अंगों जैसे किडनी, यूट्रस, ब्लैडर पर भी पड़ने लगता है.
मुंबई की पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर बताती हैं कि इस संक्रमण के लिए जिम्मेदार कारकों से स्वयं को यदि पहले से ही सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाए तो इस संक्रमण के होने की आशंका को ही काफी हद तक कम किया जा सकता है. वह बताती हैं कि हाइजीन से जुड़ी कुछ खास आदतों तथा खानपान का ध्यान रखकर इस संक्रमण से काफी हद तक बचा सकता हैं.
लाभकारी नुस्खे
रुजुता दिवेकर बताती हैं कि ना सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी अपने पूरे दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. विशेषतौर पर महिलाओं में शरीर में पानी की कमी होने से भी यूटीआई होने की आशंका हो सकती है. वह बताती हैं कि 'इनफेक्शियस डिजीज सोसाइटी ऑफ अमेरिका' के एक शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि वे महिलाएं जिन्हें लगातार यूटीआई की समस्या रहती है वे यदि ज्यादा मात्रा में पानी पीना शुरू कर दें, तो उनमें इस समस्या के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है. वह बताती हैं कि एक दिन में कम से कम 6 से 8 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए.
पानी के अलावा मौसम के अनुसार अन्य प्रकार के स्वास्थ्यकारी पेय पदार्थ लेना भी काफी फायदेमंद हो सकता है. जैसे गर्मी के मौसम में नारियल पानी, नींबू पानी तथा गन्ने का जूस आदि का सेवन काफी लाभकारी होता है. दरअसल पानी तथा इस प्रकार के पेय पदार्थों का सेवन करने से यूरिनरी सिस्टम से अवांछित पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं. इसके अलावा जिन महिलाओं को लगातार यूटीआई की समस्या रहती है वह कोकम, बेल, आंवला तथा बुरांश का भी सेवन कर सकते हैं. इनके जूस में विटामिन, मिनरल, इलेक्ट्रॉन तथा एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस प्रकार के पेय पदार्थों का सेवन हमेशा दोपहर के बाद करने से बचना चाहिए.
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रुजुता दिवेकर बताती हैं कि चावल की कांजी और कुलथी की दाल जिसे अंग्रेजी में हॉर्स ग्राम भी कहा जाता हैं, दोनों ही यूटीआई के होने की आशंका को कम करते हैं है. दरअसल चावल की कांजी एक बेहतरीन प्रोबायोटिक होता है और शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को मजबूत बनाता है. वहीं कुलथी की दाल में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि हमारे शरीर से दूषित तत्व यानी टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है. इसके अलावा कि सोने से पहले तलवों यानी पैर के निचले हिस्सों पर घी या काशयाची वाटी से मालिश भी यूटीआई से बचाव में मदद करती है.
अच्छी आदतें अपनाएं
रुजुता दिवेकर बताती हैं कि कई बार महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलन के कारण भी यह समस्या नजर आ जाती है. ऐसे में खानपान, नींद तथा जीवनशैली को थोड़ा दुरुस्त करके ना सिर्फ हार्मोन्स को संतुलित रखा जा सकता है बल्कि यूटीआई के जोखिम को भी कम किया जा सकता है. इसके लिए कुछ आदतों को अपनाना बेहद जरूरी है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
- स्वस्थ हाइजीन के लिए हमेशा पेशाब या मल त्याग करने जाने से पहले तथा बाद में हाथों को अच्छे से धोएं.
- हमेशा धुले हुए, साफ सुथरे और ऐसे कपड़े से बने अंतर्वस्त्र पहने जिनमें पसीना सोखने की क्षमता हो और जिनमें हवा रुके नहीं.
- पेशाब आने पर कभी भी उसे रोकना नहीं चाहिए. ऐसा करने से यूरिनरी सिस्टम पर दबाव बढ़ सकता है. जो यूटीआई का कारण भी बन सकता है. पेशाब आने पर तत्काल मूत्र त्याग करना जरूरी है.
- पेशाब करने के लिए कभी भी जोर नहीं लगाना चाहिए. मूत्र जिस गति में शरीर से बाहर निकल रहा है उसे कम या ज्यादा करने से भी यूरिनरी सिस्टम पर दबाव पड़ सकता है
- घर में या बाहर काम करते समय हमेशा ऐसे कपड़े पहने जिनमे निजी अंगों विशेषकर योनि के आसपास पसीना या नमी जमा ना रह पाए. वरना इन स्थानों पर बैक्टीरियाँ पनपने का खतरा बढ़ जाता है.
- नहाने के बाद पूरे शरीर के साथ निजी अंगों को भी अच्छे से सुखाएं.
- हमेशा जरूरी मात्रा में और अच्छी गुणवत्ता वाली नींद लेने का प्रयास करें.
यह सत्य है कि यूटीआई से बचाव में ये नुस्खें तथा आदतें काफी लाभकारी हो सकते हैं, लेकिन यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह नुस्खे केवल समस्या के होने के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकते हैं. लेकिन समस्या के उपचार के लिए चिकित्सक से परामर्श तथा इलाज बहुत जरूरी होता है.