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गंभीर समस्या है हार्ट ब्लॉकेज

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Published : Feb 21, 2022, 5:14 PM IST

हार्ट ब्लॉकेज एक ऐसी समस्या है जिसमें ह्रदय की नसों में रुकावट उत्पन्न होने लगती है और ह्रदय का रक्त को पंप करने का कार्य प्रभावित होने लगता है. यह कोई सामान्य  समस्या नही है. इसलिए बहुत जरूरी है कि इसका पता चलते ही इसका इलाज तत्काल शुरू किया जाय क्योंकि ध्यान ना देने पर पीड़ित की जान को खतरा भी हो सकता है.

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गंभीर समस्या है हार्ट ब्लॉकेज

आजकल ह्रदय में ब्‍लॉकेज की समस्या आमतौर पर सुनने में आने लगी है. ज्यादातर लोग हार्ट में ब्‍लॉकेज नाम से परिचित तो होते हैं लेकिन यह समस्या क्या है इसके बारें में लोगों को ज्यादा जानकारी नही होती है. हार्ट में ब्‍लॉकेज कई कारणों से हो सकती है . क्या है ये कारण और आखिर यह समस्या क्या होती हैं इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने दिल्ली के सेवानिवृत्त कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक सी.बत्रा से बात की.

क्यों होता है हार्ट ब्‍लॉकेज

डॉ विवेक बताते हैं कि हार्ट ब्‍लॉकेज तब होता है जब ह्रदय की नसों में किसी कारण के रुकावट आ जाती है. इस अवस्था में हृदय रुक रुककर कार्य करता है. यह समस्या होने पर हृदय में मौजूद इलेक्ट्रिकल सिस्टम प्रभावित होता है. जिसके चलते ह्रदय में रक्त के पम्प होने की प्रक्रिया तथा रक्त संचार पर असर पड़ने लगता है. वह बताते हैं कि ह्रदय में ब्‍लॉकेज अन्य प्रकार की कोरोनरी आर्टरी डिजीज से अलग होती है.

ह्रदय में ब्‍लॉकेज कई कारणों से हो सकती है.चिकित्सीय कारणों की बात करें तो कुछ लोगों में हार्ट में ब्‍लॉकेज की समस्‍या जन्‍मजात होती है. कई बार गर्भस्‍थ शिशु का हृदय यदि जन्म से पहले ठीक तरह से विकसित ना हुआ हो तो बच्चे में जन्म से ही यह समस्या हो सकती है.

इसके अलावा कई बार ऐसे लोग ज‍िनकी हार्ट सर्जरी हुई हो या जिन्हे किसी प्रकार का ह्रदय रोग हो, उन्हे भी यह समस्या हो सकती है. यही नही कई बार कुछ दवाओं के पार्श्व प्रभावों के चलते , रक्त में क्‍लॉट होने की स्‍थ‍ित‍ि या फिर किसी संक्रमण या बीमारी के चलते भी ह्रदय की नसों में ब्‍लॉकेज की समस्या को सकती है.

आजकल के दौर में वयस्कों में ज्यादातर आसीन जीवनशैली के पार्श्व प्रभावों के चलते यह समस्या नजर आती है. जीवनशैली जनित कारणों की बात करें तो अवस्थ खानपान या स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली गलत आदतों जैसे असक्रिय जीवनशैली, नींद की कमी, ज्यादा नशा या धूमपान तथा कुछ अन्य कारणों के चलते शरीर में उत्पन्न खराब कोलेस्ट्रॉल, वसा तथा फाइबर टिश्यू आदि सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ मिलकर ह्रदय की नसों में रुकावट पैदा करने लगते हैं. जिससे ह्रदय की नसों की दीवारें प्रभावित होने लगती हैं और उनमें ब्‍लॉकेज होने लगती है.

हार्ट ब्‍लॉकेज के लक्षण

डॉ विवेक बताते हैं कि आमतौर पर ह्रदय की नसों में ब्‍लॉकेज होने पर दिल की धड़कन अनियमित होने लगती है. यानी वह सामान्‍य से धीमी गति में चलने लगती है. इसके अलावा ह्रदय की नसों में रूकावट होने पर जब ह्रदय में खून सही तरह से पंप नही हो पाता है तो पीड़ित को सांस लेने में दिक्‍कत, छाती में दर्द व असहजता तथा चक्कर आने जैसे लक्षण परेशान करने लगते हैं. साथ ही उन्हे व्यायाम करने तथा सीढ़ी चढ़ने आदी में भी परेशानी महसूस होने लगती है.

कैसे बचे

डॉ विवेक बताते हैं ऐसे लोग जिन्हे किसी प्रकार का ह्रदय रोग हो या जिनके ह्रदय की सर्जरी हुई हो उन्हे अपने चिकित्सक की सलाह का कड़ाई से पालन करना चाहिए. नियमित जांच और दवाइयों के अलावा उचित और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए. धूम्रपान या शराब से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा चिकित्सक की सलाह पर तथा उनके द्वारा बताये गए व्यायामों का अभ्यास भी नियमित रूप से करना चाहिए.

इसके अलावा सांस लेने में समस्या या ह्रदय में भारीपन तथा दर्द जैसी किसी भी परेशानी को नजरअंदाज नही करना चाहिए. साथ ही उन्हे अपने रक्तचाप, मधुमेह , थायराइड के स्‍तर तथा वजन को भी नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए.

डॉ विवेक बताते हैं कि कई बार हार्ट में ब्‍लॉकेज का पता लगने पर लोग इलाज कराने से डरते हैं. वहीं कुछ लोग अंधविश्वास का शिकार हो इलाज के लिए चिकित्सीय मदद की बजाय कुछ अलग ही प्रकार के तरीकों को अपनाने लगते हैं जो समस्या के इलाज में देरी करते हैं और उन्हे कई बार बहुत ज्यादा बढ़ा भी देते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है की समस्या का पता चलते ही तत्काल चिकित्सक की सलाह पर इलाज शुरू कर देना चाहिए.

हार्ट में ब्‍लॉकेज होने पर क‍िन बातों का ध्‍यान रखें

डॉ विवेक बताते हैं की ह्रदय की नसों में ब्‍लॉकेज होने पर कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी हो जाता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

  • तले-भुने व ज्यादा मिर्च मसालेदार आहार , बाजार में म‍िलने वाले स्‍नैक्‍स , प्रोसेस्ड़ आहार, जंक फूड, ज्यादा फैट वाले डेयरी उत्पाद तथा ज्‍यादा नमक वाले आहार से परहेज करें. इस अवस्था में चिकित्सक कुछ विशेष प्रकार की सब्जियों, अनाज तथा फलों के सेवन के कुछ समय तक परहेज की बात कहते हैं. ऐसे आहार की पुरी जानकारी लेकर चिकित्सक के निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है.
  • चिकित्सक से नियमित जांच कराएं तथा बीपी, डायब‍िटीज, थायराइड को नियंत्रित रखने का प्रयास करें.
  • बताई गई दवाइयों का नियमित सेवन करें.

पढ़ें: लंबे समय तक मानसिक तनाव बढ़ा सकता है ह्रदयरोगियों के लिए समस्या

आजकल ह्रदय में ब्‍लॉकेज की समस्या आमतौर पर सुनने में आने लगी है. ज्यादातर लोग हार्ट में ब्‍लॉकेज नाम से परिचित तो होते हैं लेकिन यह समस्या क्या है इसके बारें में लोगों को ज्यादा जानकारी नही होती है. हार्ट में ब्‍लॉकेज कई कारणों से हो सकती है . क्या है ये कारण और आखिर यह समस्या क्या होती हैं इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने दिल्ली के सेवानिवृत्त कार्डियोलॉजिस्ट डॉ विवेक सी.बत्रा से बात की.

क्यों होता है हार्ट ब्‍लॉकेज

डॉ विवेक बताते हैं कि हार्ट ब्‍लॉकेज तब होता है जब ह्रदय की नसों में किसी कारण के रुकावट आ जाती है. इस अवस्था में हृदय रुक रुककर कार्य करता है. यह समस्या होने पर हृदय में मौजूद इलेक्ट्रिकल सिस्टम प्रभावित होता है. जिसके चलते ह्रदय में रक्त के पम्प होने की प्रक्रिया तथा रक्त संचार पर असर पड़ने लगता है. वह बताते हैं कि ह्रदय में ब्‍लॉकेज अन्य प्रकार की कोरोनरी आर्टरी डिजीज से अलग होती है.

ह्रदय में ब्‍लॉकेज कई कारणों से हो सकती है.चिकित्सीय कारणों की बात करें तो कुछ लोगों में हार्ट में ब्‍लॉकेज की समस्‍या जन्‍मजात होती है. कई बार गर्भस्‍थ शिशु का हृदय यदि जन्म से पहले ठीक तरह से विकसित ना हुआ हो तो बच्चे में जन्म से ही यह समस्या हो सकती है.

इसके अलावा कई बार ऐसे लोग ज‍िनकी हार्ट सर्जरी हुई हो या जिन्हे किसी प्रकार का ह्रदय रोग हो, उन्हे भी यह समस्या हो सकती है. यही नही कई बार कुछ दवाओं के पार्श्व प्रभावों के चलते , रक्त में क्‍लॉट होने की स्‍थ‍ित‍ि या फिर किसी संक्रमण या बीमारी के चलते भी ह्रदय की नसों में ब्‍लॉकेज की समस्या को सकती है.

आजकल के दौर में वयस्कों में ज्यादातर आसीन जीवनशैली के पार्श्व प्रभावों के चलते यह समस्या नजर आती है. जीवनशैली जनित कारणों की बात करें तो अवस्थ खानपान या स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली गलत आदतों जैसे असक्रिय जीवनशैली, नींद की कमी, ज्यादा नशा या धूमपान तथा कुछ अन्य कारणों के चलते शरीर में उत्पन्न खराब कोलेस्ट्रॉल, वसा तथा फाइबर टिश्यू आदि सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ मिलकर ह्रदय की नसों में रुकावट पैदा करने लगते हैं. जिससे ह्रदय की नसों की दीवारें प्रभावित होने लगती हैं और उनमें ब्‍लॉकेज होने लगती है.

हार्ट ब्‍लॉकेज के लक्षण

डॉ विवेक बताते हैं कि आमतौर पर ह्रदय की नसों में ब्‍लॉकेज होने पर दिल की धड़कन अनियमित होने लगती है. यानी वह सामान्‍य से धीमी गति में चलने लगती है. इसके अलावा ह्रदय की नसों में रूकावट होने पर जब ह्रदय में खून सही तरह से पंप नही हो पाता है तो पीड़ित को सांस लेने में दिक्‍कत, छाती में दर्द व असहजता तथा चक्कर आने जैसे लक्षण परेशान करने लगते हैं. साथ ही उन्हे व्यायाम करने तथा सीढ़ी चढ़ने आदी में भी परेशानी महसूस होने लगती है.

कैसे बचे

डॉ विवेक बताते हैं ऐसे लोग जिन्हे किसी प्रकार का ह्रदय रोग हो या जिनके ह्रदय की सर्जरी हुई हो उन्हे अपने चिकित्सक की सलाह का कड़ाई से पालन करना चाहिए. नियमित जांच और दवाइयों के अलावा उचित और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए. धूम्रपान या शराब से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा चिकित्सक की सलाह पर तथा उनके द्वारा बताये गए व्यायामों का अभ्यास भी नियमित रूप से करना चाहिए.

इसके अलावा सांस लेने में समस्या या ह्रदय में भारीपन तथा दर्द जैसी किसी भी परेशानी को नजरअंदाज नही करना चाहिए. साथ ही उन्हे अपने रक्तचाप, मधुमेह , थायराइड के स्‍तर तथा वजन को भी नियंत्रण में रखने का प्रयास करना चाहिए.

डॉ विवेक बताते हैं कि कई बार हार्ट में ब्‍लॉकेज का पता लगने पर लोग इलाज कराने से डरते हैं. वहीं कुछ लोग अंधविश्वास का शिकार हो इलाज के लिए चिकित्सीय मदद की बजाय कुछ अलग ही प्रकार के तरीकों को अपनाने लगते हैं जो समस्या के इलाज में देरी करते हैं और उन्हे कई बार बहुत ज्यादा बढ़ा भी देते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है की समस्या का पता चलते ही तत्काल चिकित्सक की सलाह पर इलाज शुरू कर देना चाहिए.

हार्ट में ब्‍लॉकेज होने पर क‍िन बातों का ध्‍यान रखें

डॉ विवेक बताते हैं की ह्रदय की नसों में ब्‍लॉकेज होने पर कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी हो जाता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

  • तले-भुने व ज्यादा मिर्च मसालेदार आहार , बाजार में म‍िलने वाले स्‍नैक्‍स , प्रोसेस्ड़ आहार, जंक फूड, ज्यादा फैट वाले डेयरी उत्पाद तथा ज्‍यादा नमक वाले आहार से परहेज करें. इस अवस्था में चिकित्सक कुछ विशेष प्रकार की सब्जियों, अनाज तथा फलों के सेवन के कुछ समय तक परहेज की बात कहते हैं. ऐसे आहार की पुरी जानकारी लेकर चिकित्सक के निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है.
  • चिकित्सक से नियमित जांच कराएं तथा बीपी, डायब‍िटीज, थायराइड को नियंत्रित रखने का प्रयास करें.
  • बताई गई दवाइयों का नियमित सेवन करें.

पढ़ें: लंबे समय तक मानसिक तनाव बढ़ा सकता है ह्रदयरोगियों के लिए समस्या

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