कहते है चिंता चिता समान होती है. चिकित्सक तथा जानकार सभी मानते हैं की चिंता बहुत सी बीमारियों का कारण बन सकती है. आमतौर पर चिंता या एंग्जायटी विकारों से ग्रस्त होने पर दी जाने वाली दवा के कुछ पार्श्व प्रभाव हो सकते हैं, जिन्हे लेकर लोगों के मन में डर और भ्रम रहते हैं. इसलिए आमतौर पर लोग चिंता तथा अन्य मनोविकारों की स्तिथि में आयुर्वेदिक, हर्बल तथा अन्य प्राकृतिक उपचारों या औषधियों के सेवन को प्राथमिकता देते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही हर्बल दवाइयों तथा आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनके बारें में किए गए विभिन्न शोधों और अध्ध्यनों में यह साबित हो चुका है की वे एंग्जायटी को कम करने में सक्षम हो सकते हैं. हमारे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. पी वी रंगनायकुलु, बताते हैं की आयुर्वेद में अश्वगंधा और वेलेरियन हर्ब, एंग्जायटी के निवारण में उपयोग में लायी जाती है.
- अश्वगंधा
अश्वगंधा एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है . जिसे अंग्रेजी में 'एडेप्टोजेन्स' कहा जाता है. यह शरीर में विभिन्न तंत्रों तथा उन हार्मोन को प्रभावित करता हैं जिन्हे तनाव उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. एंग्जायटी तथा अवसाद में अश्वगंधा के उपयोग को लेकर वर्ष 2019 में एक छोटा क्लिनिकल परीक्षण किया गया था. 8 सप्ताह की अवधि वाले इस अध्ययन में कथित तनाव या एंग्जायटी वाले 58 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था. इस दौरान अलग-अलग समूहों में प्रतिभागियों को तीन तरह के उपचार दिए गए, जिसके चलते एक समहू को प्रतिदिन 250 मिलीग्राम (mg), दूसरे समूह को प्रति दिन या 600 मिलीग्राम अश्वगंधा का अर्क दिया गया. वहीं एक समूह को प्लेसबो (मानसिक समस्या में दी जाने वाली दवाई) की खुराक दी गई. इनमें अश्वगंधा लेने वाले प्रतिभागियों ने प्लेसीबो समूह की तुलना में तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन “कोर्टिसोल” कम पाया गए. साथ ही इन प्रतिभागियों की नींद की गुणवत्ता में भी सुधार देखा गया. वहीं 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लेने वाले प्रतिभागियों ने तनाव के स्तर में काफी हद तक कमी नजर आई. - कैमोमाइल
कैमोमाइल एक फूल से तैयार होने वाली वाली जड़ी बूटी है, जिसकी चाय देश विदेश में आजकल काफी चलन में है. दरअसल कैमोमाइल दो प्रकार की होती है- रोमन कैमोमाइल और जर्मन कैमोमाइल. इन दोनों का ही लोग औषधीय रूप से उपयोग कर सकते हैं. 2016 के एक नैदानिक परीक्षण ने सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD) के दीर्घकालिक उपचार के रूप में कैमोमाइल की प्रभावकारिता और सुरक्षा की जांच की गई थी.
इस परीक्षण में सभी 93 प्रतिभागियों को 12 सप्ताह तक प्रतिदिन 1,500 मिलीग्राम कैमोमाइल प्राप्त हुआ. 26 हफ्तों के बाद आधे प्रतिभागियों ने कैमोमाइल के स्थान पर प्लेसबो लेना शुरू किया वहीं आधे प्रतिभागियों ने कैमोमाइल लेना जारी रखा. परीक्षण के उपरांत शोधकर्ताओं ने पाया की जिन प्रतिभागियों ने कैमोमाइल लेना जारी रखा था, उनमें प्लेसीबो लेने वालों के मुकाबले प्राथमिक तौर पर ज्यादा अंतर नहीं नजर आया लेकिन जब उनकी समस्या रिलैप्स हुई तो उनमें पहले के मुकाबले तथा सामान्य अवस्था के मुकाबले कम गंभीर लक्षण नजर आए.
यह जानना भी जरूरी है कुछ लोगों को कैमोमाइल से एलर्जी हो सकती है. इस एलर्जी का जानने के लिए ध्यान दें की कहीं आपको रैगवीड, गुलदाउदी, गेंदा तथा गुलबहार से किसी तरह की समस्या तो नहीं होती है. इसके अलावा कैमोमाइल चाय या सप्लीमेंट का सेवन चिकित्सीय सलाह के उपरांत ही करन चाहिए क्योंकि कैमोमाइल कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है जैसे रक्त पतला करने के लिए ली जाने वाली वार्फरिन और एंटीरिजेक्शन ड्रग साइक्लोस्पोरिन. - वेलेरियन (तगर)
वेलेरियन एक जड़ी बूटी है, जो कि यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में उगाई जाती है. इसका बोटेनिकल नाम वैलेरियन ऑफिसिनैलिस है. यूं तों इसका इस्तेमाल भोजन और पेय पदार्थों में फ्लेवर डालने के लिए किया जाता है, लेकिन नींद संबंधी विकार, विशेष रूप से सोने में असमर्थता (insomnia), चिंता और तनाव, नर्वस अस्थमा, उत्तेजना, हाइपोकॉन्ड्रिया, सिरदर्द या माइग्रेन, डिप्रेशन तथा ध्यान केंद्रित करने में समस्या होने पर इसका इस्तेमाल काफी फायदा पहुंचता है. वैसे तो इस संबंध में किए गए शोध के नतीजों में यह फायदे नजर आए हैं, लेकिन चूंकि पूरक और एकीकृत स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीसीआईएच/NCCIH) इन नतीजों को अपना पूरा समर्थन नहीं देता इसलिए विशेषज्ञ यह निर्धारित करने के लिए की क्या वेलेरियन चिंता या अवसाद को कम कर सकता है, ज्यादा शोध करने की आवक्षयकता पर जोर देते हैं. एनसीसीआईएच के अनुसार कुछ विशेष परिस्तिथ्यों में लोगों को इस बूटी से परहेज करना चाहिए जैसे गर्भवती या दूध पिलाने वाली माताएं तथा 3 साल से कम उम्र के बच्चे. इसके साथ ही यह जानना भी बहुत जरूरी है की शराब के साथ इस बूटी का सेवन खतरनाक प्रभाव दिखा सकता है. - गैलफिमिया ग्लौका
गैलफिमिया ग्लौका मेक्सिको मूल के एक पौधे की प्रजाति है जिसका उपयोग लोग पारंपरिक रूप से चिंता को कम करने के लिए ट्रैंक्विलाइज़र के रूप में करते हैं. वर्ष 2012 के एक नैदानिक परीक्षण में जीएडी के उपचार के रूप में जी ग्लौका की प्रभावकारिता की जांच की गई थी. इस शोध में कुछ प्रतिभागियों को 12 सप्ताह के लिए जी ग्लौका तथा कुछ प्रतिभगियों को चिकित्सीय परामर्श पर एंटी-एंग्जायटी दवा, लोराज़ेपम डी गई थी. 3 हफ्तों की अवधि वाले इस शोध में परीक्षण के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की अगले 3 सप्ताह तक निगरानी करना जारी रखी. जिसके उपरांत परिणामों से पता चला है कि जिन प्रतिभागियों ने 0.175 मिलीग्राम जी ग्लौका की दैनिक खुराक प्राप्त की, उनमें लोराज़ेपम लेने वालों की तुलना में जीएडी के लक्षणों में अधिक कमी देखी गई. वहीं 2018 में हुई एक समीक्षा में भी चिंता के इलाज के रूप में जी ग्लौका के प्रमाण आशाजनक माने गए. - कावा-कावा
कावा कावा का वैज्ञानिक नाम पाइपर मेथिस्टिकम है. प्रशांत द्वीप समूह में, लोग तनाव को दूर करने और मनोदशा को बदलने के उद्देश्य से कावा के बने पेय पदार्थ का सेवन करते हैं. 2013 के एक प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षण ने जीएडी के इलाज के रूप में कावा की प्रभावकारिता की जांच की गई थी . 6 सप्ताह के अध्ययन में 75 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था. जिन्हे अलग-अलग तीन तरह के उपचार दिए गए थे . इनमें से कुछ को 120 मिलीग्राम तथा कुछ को 240 मिलीग्राम मात्रा में प्रति दिन कावा अर्क तथा कुछ को एक प्लेसबो की खुराक दी गई थी. कावा लेने वाले प्रतिभागियों ने प्लेसबो प्राप्त करने वालों की तुलना में चिंता में उल्लेखनीय कमी दिखाई.
सुरक्षा के मानक
डॉ पी.वी रंगनायकुलु बताते हैं कि हालांकि आयुर्वेद में चिंता या अन्य मनो विकारों के इलाज के रूप में सिर्फ अश्वगंधा तथा वेलेरियन का उल्लेख मिलता है, लेकिन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न प्रकार के हर्ब्स का इस्तेमाल चिंता में कमी या उससे मुक्ति पाने में किया जाता है। लेकिन बहुत जरूरी है कि किसी भी प्रकार की दवाई को लेने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य लिया जाए।