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Generic Drugs : कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में भी कारगर हैं जेनेरिक दवाएं-पीजीआई निदेशक - जेनेरिक दवाएं

ब्रांडेड दवाओं की तरह ही जेनेरिक दवाएं भी होती हैं. ये दवाएं ब्रांडेड की तरह प्रभावकारी होते हैं. पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ (पीजीआईएमईआर) के निदेशक विवेक लाल ने कहा कि कैंसर जैसी गंभीर रोगों में भी जेनेरिक दवाएं कारगर है.

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Published : Jun 26, 2023, 7:57 AM IST

Updated : Jun 26, 2023, 8:19 AM IST

चंडीगढ़ : भारतीय दवा उद्योग दुनिया भर में सस्ते वैक्सीन और जेनेरिक दवाइयां उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल है. वॉल्यूम के आधार पर दवाओं के उत्पादन में भारत दवा उद्योग विश्व में तीसरे स्थान पर है. जेनेरिक दवाइयों का भारत से दुनिया भर के 200 से ज्यादा देशों में निर्यात होता है. इसके बाद भी देश में जेनेरिक दवाइयों के प्रति लोगों में काफी भ्रांतियां हैं. पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ (पीजीआईएमईआर) ने निदेशक विवेक लाल ने दावा किया है कि अध्ययनों से पता चला है कि जेनरिक दवाएं कैंसर जैसी घातक बीमारियों में प्रभावी है.

निदेशक विवेक लाल ने कहा कि संस्थान जेनेरिक दवाओं को लिखने और बढ़ावा देने लिए प्रतिबद्ध है. 'प्रत्यारोपण में और प्रत्यारोपण की अस्वीकृति को रोकने में भी, जेनेरिक दवाएं समान रूप से प्रभावी हैं और वह भी ब्रांडेड श्रेणी में अपने समकक्षों की कीमत के पांचवें हिस्से पर. जेनेरिक दवाओं के संबंध में प्रभावकारिता और अन्य गलत धारणाओं के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'पैमाने का आधार सही केमिस्ट से सही जेनेरिक दवाएं खरीदना है.'

  • When the temperatures rise, don't forget to include lemons in your summer routine. Embrace the natural cooling properties and reap the benefits of this refreshing fruit. Stay cool, stay hydrated and enjoy the summer season to the fullest.#PMBJP #healthcare #JanAushadhi pic.twitter.com/6C2TwjMG2H

    — Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana (@pmbjppmbi) June 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जेनेरिक दवाओं की प्रभावकारिता के बारे में चर्चा करते हुए, लाल ने एक प्रकाशित अध्ययन, 'रीलैप्स्ड रिफ्रैक्टरी मल्टीपल मायलोमा में जेनेरिक पोमैलिडोमाइड के साथ वास्तविक दुनिया का अनुभव' के साक्ष्य का हवाला दिया. उन्होंने कहा, भारत में पोमैलिडोमाइड का केवल सामान्य समकक्ष उपलब्ध है, मूल नहीं, क्योंकि यह बहुत महंगा है.

उन्होंने आगे कहा कि एफडीआई केवल सामान्य समकक्ष का उपयोग कर रहा है. अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में उपलब्ध नवीन दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाओं को बेहतर रिजल्ट है. उत्साहजनक अनुभव मल्टीपल मायलोमा जैसे चुनौतीपूर्ण रोगियों में भी जेनेरिक दवा की प्रभावकारिता का प्रमाण मिला है.

पीजीआईएमईआर के निदेशक ने एक अन्य प्रकाशित अध्ययन, 'इक्वाइन एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्युलिन के लिए संसाधन-बाधित सेटिंग्स में लागत और जटिलताएं सीमाएं हैं' का हवाला देते हुए कहा, 'हम अंग प्रत्यारोपण में एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल हैं और हमने गुर्दे के प्रत्यारोपण के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाया है. 21 जून को. प्रत्यारोपण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रोगी को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करना है, अन्यथा रोगी का शरीर किडनी को अस्वीकार कर देता है. उस तैयारी में, किसी मरीज को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दवा एंटीथाइमोसाइट ग्लोब्युलिन, एटीजी नामक दवा है.

'पीजीआई से प्रकाशित इस अध्ययन ने साबित कर दिया है कि जेनेरिक न केवल मरीज को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करने और बाद में अस्वीकृति को रोकने में प्रभावी है, बल्कि आधी खुराक वाला जेनेरिक भी दुनिया भर में उपलब्ध नवीन दवाओं जितना ही प्रभावी है.'

जन औषधि केंद्रों में गुणवत्ता नियंत्रण के बारे में मिथक को दूर करते हुए, लाल ने कहा, 'अमेरिका के बाहर, भारत में दुनिया में एफडीए अनुमोदित कारखानों की अधिकतम संख्या है. हम पीजीआईएमईआर में डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित संयंत्रों से दवाएं लेते हैं और फिर प्रत्येक बैच की नियमित अंतराल पर एनएबीएल प्रयोगशालाओं में जांच की जाती है. इसलिए, जन औषधि केंद्रों पर गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है. जब दवा किसी अन्य फार्मेसी से ली जाती है तो समान गुणवत्ता सुनिश्चित करना मुश्किल होता है क्योंकि फार्मेसी के मालिक की नैतिकता भी गुणवत्ता को प्रभावित करती है.

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आगे प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान जेनेरिक दवाओं की खरीद को प्राथमिकता देता है और इसका प्रमाण यह तथ्य है कि 2022-23 के दौरान, पीजीआईएमईआर द्वारा खरीदी गई कुल दवाओं में 88 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं और केवल 12 प्रतिशत ब्रांडेड दवाएं शामिल थीं.

वित्तीय वर्ष जन औषधि केंद्रों की संख्या बिक्री (करोड़ में)

2016-17 960 32.66
2017-183193140.84
2018-195056140.84
2019-20 6306315.7
2019-206306433.61
2020-217557456.95
2021-228640652.67

(आंकड़े- 31.12.2021 तक)
श्रोत-वार्षिक रिपोर्ट, रसायन और उर्वरक मंत्रालय (2021-22)

'पिछले तीन महीनों (1 अप्रैल से 23 जून) के दौरान सात अमृत फार्मेसी केंद्रों की कुल बिक्री 44 करोड़ रुपये थी, जो देश में किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल में सबसे अधिक है. लाल ने कहा, 'पीजीआईएमईआर के दो जन औषधि केंद्रों, जहां अमृत फार्मेसी की तरह केवल दवाएं हैं, सर्जिकल उपकरण नहीं हैं, की कुल बिक्री इसी अवधि में 72 लाख रुपये रही.'
(एजेंसी इनपुट)

चंडीगढ़ : भारतीय दवा उद्योग दुनिया भर में सस्ते वैक्सीन और जेनेरिक दवाइयां उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल है. वॉल्यूम के आधार पर दवाओं के उत्पादन में भारत दवा उद्योग विश्व में तीसरे स्थान पर है. जेनेरिक दवाइयों का भारत से दुनिया भर के 200 से ज्यादा देशों में निर्यात होता है. इसके बाद भी देश में जेनेरिक दवाइयों के प्रति लोगों में काफी भ्रांतियां हैं. पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ (पीजीआईएमईआर) ने निदेशक विवेक लाल ने दावा किया है कि अध्ययनों से पता चला है कि जेनरिक दवाएं कैंसर जैसी घातक बीमारियों में प्रभावी है.

निदेशक विवेक लाल ने कहा कि संस्थान जेनेरिक दवाओं को लिखने और बढ़ावा देने लिए प्रतिबद्ध है. 'प्रत्यारोपण में और प्रत्यारोपण की अस्वीकृति को रोकने में भी, जेनेरिक दवाएं समान रूप से प्रभावी हैं और वह भी ब्रांडेड श्रेणी में अपने समकक्षों की कीमत के पांचवें हिस्से पर. जेनेरिक दवाओं के संबंध में प्रभावकारिता और अन्य गलत धारणाओं के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'पैमाने का आधार सही केमिस्ट से सही जेनेरिक दवाएं खरीदना है.'

  • When the temperatures rise, don't forget to include lemons in your summer routine. Embrace the natural cooling properties and reap the benefits of this refreshing fruit. Stay cool, stay hydrated and enjoy the summer season to the fullest.#PMBJP #healthcare #JanAushadhi pic.twitter.com/6C2TwjMG2H

    — Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana (@pmbjppmbi) June 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जेनेरिक दवाओं की प्रभावकारिता के बारे में चर्चा करते हुए, लाल ने एक प्रकाशित अध्ययन, 'रीलैप्स्ड रिफ्रैक्टरी मल्टीपल मायलोमा में जेनेरिक पोमैलिडोमाइड के साथ वास्तविक दुनिया का अनुभव' के साक्ष्य का हवाला दिया. उन्होंने कहा, भारत में पोमैलिडोमाइड का केवल सामान्य समकक्ष उपलब्ध है, मूल नहीं, क्योंकि यह बहुत महंगा है.

उन्होंने आगे कहा कि एफडीआई केवल सामान्य समकक्ष का उपयोग कर रहा है. अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में उपलब्ध नवीन दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाओं को बेहतर रिजल्ट है. उत्साहजनक अनुभव मल्टीपल मायलोमा जैसे चुनौतीपूर्ण रोगियों में भी जेनेरिक दवा की प्रभावकारिता का प्रमाण मिला है.

पीजीआईएमईआर के निदेशक ने एक अन्य प्रकाशित अध्ययन, 'इक्वाइन एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्युलिन के लिए संसाधन-बाधित सेटिंग्स में लागत और जटिलताएं सीमाएं हैं' का हवाला देते हुए कहा, 'हम अंग प्रत्यारोपण में एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल हैं और हमने गुर्दे के प्रत्यारोपण के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाया है. 21 जून को. प्रत्यारोपण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रोगी को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करना है, अन्यथा रोगी का शरीर किडनी को अस्वीकार कर देता है. उस तैयारी में, किसी मरीज को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दवा एंटीथाइमोसाइट ग्लोब्युलिन, एटीजी नामक दवा है.

'पीजीआई से प्रकाशित इस अध्ययन ने साबित कर दिया है कि जेनेरिक न केवल मरीज को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करने और बाद में अस्वीकृति को रोकने में प्रभावी है, बल्कि आधी खुराक वाला जेनेरिक भी दुनिया भर में उपलब्ध नवीन दवाओं जितना ही प्रभावी है.'

जन औषधि केंद्रों में गुणवत्ता नियंत्रण के बारे में मिथक को दूर करते हुए, लाल ने कहा, 'अमेरिका के बाहर, भारत में दुनिया में एफडीए अनुमोदित कारखानों की अधिकतम संख्या है. हम पीजीआईएमईआर में डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित संयंत्रों से दवाएं लेते हैं और फिर प्रत्येक बैच की नियमित अंतराल पर एनएबीएल प्रयोगशालाओं में जांच की जाती है. इसलिए, जन औषधि केंद्रों पर गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है. जब दवा किसी अन्य फार्मेसी से ली जाती है तो समान गुणवत्ता सुनिश्चित करना मुश्किल होता है क्योंकि फार्मेसी के मालिक की नैतिकता भी गुणवत्ता को प्रभावित करती है.

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आगे प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान जेनेरिक दवाओं की खरीद को प्राथमिकता देता है और इसका प्रमाण यह तथ्य है कि 2022-23 के दौरान, पीजीआईएमईआर द्वारा खरीदी गई कुल दवाओं में 88 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं और केवल 12 प्रतिशत ब्रांडेड दवाएं शामिल थीं.

वित्तीय वर्ष जन औषधि केंद्रों की संख्या बिक्री (करोड़ में)

2016-17 960 32.66
2017-183193140.84
2018-195056140.84
2019-20 6306315.7
2019-206306433.61
2020-217557456.95
2021-228640652.67

(आंकड़े- 31.12.2021 तक)
श्रोत-वार्षिक रिपोर्ट, रसायन और उर्वरक मंत्रालय (2021-22)

'पिछले तीन महीनों (1 अप्रैल से 23 जून) के दौरान सात अमृत फार्मेसी केंद्रों की कुल बिक्री 44 करोड़ रुपये थी, जो देश में किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल में सबसे अधिक है. लाल ने कहा, 'पीजीआईएमईआर के दो जन औषधि केंद्रों, जहां अमृत फार्मेसी की तरह केवल दवाएं हैं, सर्जिकल उपकरण नहीं हैं, की कुल बिक्री इसी अवधि में 72 लाख रुपये रही.'
(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Jun 26, 2023, 8:19 AM IST
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