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कोविशिल्ड खुराक के बीच बढ़े अंतराल से प्रभावकारिता पर असर पड़ने की संभावना नहीं : विशेषज्ञ

कोविशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक (डोज) के बीच के अंतर को पहले के 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करना एक उचित दृष्टिकोण है और इससे वैक्सीन की प्रभावशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।

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Gap Between Covishield Doses
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Published : May 15, 2021, 12:57 PM IST

Updated : May 15, 2021, 2:11 PM IST

डॉ. एन. के. अरोड़ा की अध्यक्षता वाले कोविड वर्किंग ग्रुप ने गुरुवार को कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक के बीच के अंतर को बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने की सिफारिश की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस सिफारिश को स्वीकार भी कर लिया है।

कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपू टी. एस. ने कहा, '' टीके की प्रभावकारिता पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। वैक्सीन की पहली खुराक द्वारा विकसित प्रतिरक्षा स्मृति लंबे समय तक रहने की संभावना होगी।''

एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से निर्मित वैक्सीन को शुरूआत में 4-6 सप्ताह के अंतराल पर देना निर्धारित किया गया था।

हालांकि इस साल अप्रैल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और कोविड के लिए वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर इसमें संशोधन करके 6-8 सप्ताह का अंतराल घोषित किया गया।

दोनों सिफारिशें, जिनमें खुराक के अंतराल में संशोधन की बात कही गई थी, वे एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में किए गए परीक्षणों पर आधारित थीं, जिसमें 17,178 प्रतिभागी शामिल हुए थे।

मार्च में लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन में लंबी अंतराल वाले टीकाकरण रणनीति का समर्थन किया गया है। इससे पता चला है कि 12 सप्ताह या उससे अधिक के अंतराल पर दी जाने वाली दो मानक खुराक के बाद कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 81.3 प्रतिशत तक देखी गई है, जबकि 6 सप्ताह से कम समय के अंतराल में प्रभावकारिता महज 55.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

शोधकतार्ओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह भी दावा किया गया कि एंटीबॉडी उन लोगों में दो गुना अधिक देखी गई, जिन्होंने 12 सप्ताह की अवधि के बाद दूसरी खुराक प्राप्त की। यह उन लोगों की तुलना में दोगुनी देखी गई, जिन्होंने छह सप्ताह के अंतराल में ही दूसरी डोज ले ली थी।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के न्यूरोलॉजी के निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, तीन महीने में टीकाकरण की नीति टीके की प्रभावशीलता से कोई समझौता नहीं करती है, बल्कि यह अंतराल इसे और बेहतर बनाता है।

डॉ. दीपू ने कहा, चूंकि दूसरी खुराक सिर्फ एक बूस्टर खुराक है, यह शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को बढ़ाएगी, जो टीके की पहली खुराक के परिणामस्वरूप बनी थी। इसलिए कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी बढ़ जाएगी।

उन्होंने कहा कि फ्लू जैसी हल्की प्रतिकूल घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन कोई बड़ी प्रतिकूल घटना होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ पहले से मौजूद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने का काम करेगी।

वहीं दोनों खुराक में अंतराल बढ़ने से एक और फायदा गिनवाते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि टीके की प्रभावकारिता में सुधार के अलावा यह परिवर्तन बड़ी संख्या में लोगों को टीकाकरण की अनुमति भी प्रदान करेगा।

(आईएएनएस)

डॉ. एन. के. अरोड़ा की अध्यक्षता वाले कोविड वर्किंग ग्रुप ने गुरुवार को कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक के बीच के अंतर को बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने की सिफारिश की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस सिफारिश को स्वीकार भी कर लिया है।

कोच्चि स्थित अमृता अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपू टी. एस. ने कहा, '' टीके की प्रभावकारिता पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। वैक्सीन की पहली खुराक द्वारा विकसित प्रतिरक्षा स्मृति लंबे समय तक रहने की संभावना होगी।''

एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से निर्मित वैक्सीन को शुरूआत में 4-6 सप्ताह के अंतराल पर देना निर्धारित किया गया था।

हालांकि इस साल अप्रैल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और कोविड के लिए वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों पर इसमें संशोधन करके 6-8 सप्ताह का अंतराल घोषित किया गया।

दोनों सिफारिशें, जिनमें खुराक के अंतराल में संशोधन की बात कही गई थी, वे एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में किए गए परीक्षणों पर आधारित थीं, जिसमें 17,178 प्रतिभागी शामिल हुए थे।

मार्च में लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन में लंबी अंतराल वाले टीकाकरण रणनीति का समर्थन किया गया है। इससे पता चला है कि 12 सप्ताह या उससे अधिक के अंतराल पर दी जाने वाली दो मानक खुराक के बाद कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 81.3 प्रतिशत तक देखी गई है, जबकि 6 सप्ताह से कम समय के अंतराल में प्रभावकारिता महज 55.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

शोधकतार्ओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह भी दावा किया गया कि एंटीबॉडी उन लोगों में दो गुना अधिक देखी गई, जिन्होंने 12 सप्ताह की अवधि के बाद दूसरी खुराक प्राप्त की। यह उन लोगों की तुलना में दोगुनी देखी गई, जिन्होंने छह सप्ताह के अंतराल में ही दूसरी डोज ले ली थी।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के न्यूरोलॉजी के निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, तीन महीने में टीकाकरण की नीति टीके की प्रभावशीलता से कोई समझौता नहीं करती है, बल्कि यह अंतराल इसे और बेहतर बनाता है।

डॉ. दीपू ने कहा, चूंकि दूसरी खुराक सिर्फ एक बूस्टर खुराक है, यह शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को बढ़ाएगी, जो टीके की पहली खुराक के परिणामस्वरूप बनी थी। इसलिए कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी बढ़ जाएगी।

उन्होंने कहा कि फ्लू जैसी हल्की प्रतिकूल घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन कोई बड़ी प्रतिकूल घटना होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ पहले से मौजूद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने का काम करेगी।

वहीं दोनों खुराक में अंतराल बढ़ने से एक और फायदा गिनवाते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि टीके की प्रभावकारिता में सुधार के अलावा यह परिवर्तन बड़ी संख्या में लोगों को टीकाकरण की अनुमति भी प्रदान करेगा।

(आईएएनएस)

Last Updated : May 15, 2021, 2:11 PM IST
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