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अस्थमा में मददगार हो सकते हैं खमीरयुक्त सोया उत्पाद

हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है की खमीरयुक्त सोया उत्पाद अस्थमा  के कारण सांस की नली में होने वाली सूजन को कम करने में मददगार हो सकते हैं. चूहों पर हुए इस शोध में खमीरयुक्त सोया उत्पादों  के शरीर पर विभिन्न फ़ायदों को लेकर शोध किया गया था.

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अस्थमा में मददगार हो सकते हैं खमीरयुक्त सोया उत्पाद
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Published : Jan 7, 2022, 4:48 PM IST

सोया चनक्स तथा सोया से बने अन्य खाद्य पदार्थों को सेहत विशेषकर ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मिलते हैं. साथ ही माना जाता है कि सोया युक्त खाद्य पदार्थ हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मददगार होते हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि सोया के सेवन से अस्थमा जैसे रोगों में काफी फायदा मिल सकता है.

चूहों पर हुआ परीक्षण

जापान की ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के शोधकर्ताओं ने खमीरयुक्त सोया उत्पादों के फ़ायदों को जानने के लिए एक शोध आयोजित किया, जिसमें अस्थमाग्रस्त चूहों पर परीक्षण किया था. शोध में चूहों को इम्मुबैलेंस उपचार दिया गया था, यानी उन्हे निर्धारित अवधि तक आहार में खमीरयुक्त सोया उत्पाद दिए गए थे. परीक्षण के नतीजों में सामने आया कि इम्मुबैलेंस उपचार के दौरान अस्थमाग्रस्त चूहों के बीएएलएफ यानी ब्रोंकोएलेवोलर लैवेज फ्लूड में इयोसिनोफिल्स उल्लेखनीय रूप से कम हो गए. गौरतलब है कि अस्थमा को प्रभावित करने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं को इयोसिनोफिल्स कहा जाता है.

इसके अतिरिक्त उपचार के दौरान चूहों की वायुनलियों के आसपास सूजन व बलगम में भी कमी पाई गई. इसके अलावा उनके शरीर में इयोसिनोफिल्स से संबंधित सूजन को कम करने में मददगार प्रोटीन भी पाए गए.

पोषक तत्वों से भरपूर होता है सोया

गौरतलब है कि सोया में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं. साथ ही इसे पेड़-पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. इसमें प्रोटीन, आइसोफ्लेवोंस (एक तरह का बायोएक्टिव कंपाउंड), मिनरल, कैल्शियम, कॉपर, जिंक, विटामिन और सेलेनियम सहित कई अन्य प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो हड्डियों तथा ह्रदय के स्वास्थ्य सहित शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं. इसके अतिरिक्त चूंकि इसे बनाते समय इससे फैट और तेल हटा दिया जाता है इसलिए इसके सेवन से शरीर में जमा होने वाले फैट में कमी आती है तथा यह वजन घटाने में भी मदद करता है.

क्या कहते हैं नतीजे

‘न्यूट्रिएंट ’ जर्नल में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि खमीरयुक्त सोया उत्पादों से होने वाला उपचार , जिसे इम्मुबैलेंस उपचार कहा जाता है , अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. इसके साथ ही खमीरयुक्त सोया उत्पादों के इस्तेमाल से अस्थमा से जुड़ी एलर्जी में भी राहत मिल सकती है. इस शोध के निष्कर्षों में शोध के प्रमुख लेखक हिदेकी कादोतानी ने बताया कि शोध में ‘सोया के सेवन और एलर्जी संबंधी बीमारियों के बीच संबंधों को अतीत में महामारी विज्ञान के रूप में उल्लेखित किया गया है. इसके साथ ही इसमें यह बात भी कही गई है कि सोया के कुछ घटक एंटी-एलर्जिक के रूप में भी कार्य करते हैं.

निष्कर्षों में शोध के सह लेखक काजुहिसा असाई ने यह भी बताया है कि इस अध्धयन में पाया गया है की आंत के माइक्रोबायोटा में असंतुलन के चलते प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम और एलर्जिक बीमारियों का खतरा हो सकता है. ऐसे में सोया में पाए जाने वाले खमीरयुक्त फाइबर , एलर्जिक अस्थमा मॉडल पर प्रभावी साबित हो सकते है.’

पढ़ें: योगासन से करें अस्थमा का इलाज़

सोया चनक्स तथा सोया से बने अन्य खाद्य पदार्थों को सेहत विशेषकर ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मिलते हैं. साथ ही माना जाता है कि सोया युक्त खाद्य पदार्थ हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मददगार होते हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि सोया के सेवन से अस्थमा जैसे रोगों में काफी फायदा मिल सकता है.

चूहों पर हुआ परीक्षण

जापान की ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के शोधकर्ताओं ने खमीरयुक्त सोया उत्पादों के फ़ायदों को जानने के लिए एक शोध आयोजित किया, जिसमें अस्थमाग्रस्त चूहों पर परीक्षण किया था. शोध में चूहों को इम्मुबैलेंस उपचार दिया गया था, यानी उन्हे निर्धारित अवधि तक आहार में खमीरयुक्त सोया उत्पाद दिए गए थे. परीक्षण के नतीजों में सामने आया कि इम्मुबैलेंस उपचार के दौरान अस्थमाग्रस्त चूहों के बीएएलएफ यानी ब्रोंकोएलेवोलर लैवेज फ्लूड में इयोसिनोफिल्स उल्लेखनीय रूप से कम हो गए. गौरतलब है कि अस्थमा को प्रभावित करने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं को इयोसिनोफिल्स कहा जाता है.

इसके अतिरिक्त उपचार के दौरान चूहों की वायुनलियों के आसपास सूजन व बलगम में भी कमी पाई गई. इसके अलावा उनके शरीर में इयोसिनोफिल्स से संबंधित सूजन को कम करने में मददगार प्रोटीन भी पाए गए.

पोषक तत्वों से भरपूर होता है सोया

गौरतलब है कि सोया में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं. साथ ही इसे पेड़-पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. इसमें प्रोटीन, आइसोफ्लेवोंस (एक तरह का बायोएक्टिव कंपाउंड), मिनरल, कैल्शियम, कॉपर, जिंक, विटामिन और सेलेनियम सहित कई अन्य प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो हड्डियों तथा ह्रदय के स्वास्थ्य सहित शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं. इसके अतिरिक्त चूंकि इसे बनाते समय इससे फैट और तेल हटा दिया जाता है इसलिए इसके सेवन से शरीर में जमा होने वाले फैट में कमी आती है तथा यह वजन घटाने में भी मदद करता है.

क्या कहते हैं नतीजे

‘न्यूट्रिएंट ’ जर्नल में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि खमीरयुक्त सोया उत्पादों से होने वाला उपचार , जिसे इम्मुबैलेंस उपचार कहा जाता है , अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है. इसके साथ ही खमीरयुक्त सोया उत्पादों के इस्तेमाल से अस्थमा से जुड़ी एलर्जी में भी राहत मिल सकती है. इस शोध के निष्कर्षों में शोध के प्रमुख लेखक हिदेकी कादोतानी ने बताया कि शोध में ‘सोया के सेवन और एलर्जी संबंधी बीमारियों के बीच संबंधों को अतीत में महामारी विज्ञान के रूप में उल्लेखित किया गया है. इसके साथ ही इसमें यह बात भी कही गई है कि सोया के कुछ घटक एंटी-एलर्जिक के रूप में भी कार्य करते हैं.

निष्कर्षों में शोध के सह लेखक काजुहिसा असाई ने यह भी बताया है कि इस अध्धयन में पाया गया है की आंत के माइक्रोबायोटा में असंतुलन के चलते प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम और एलर्जिक बीमारियों का खतरा हो सकता है. ऐसे में सोया में पाए जाने वाले खमीरयुक्त फाइबर , एलर्जिक अस्थमा मॉडल पर प्रभावी साबित हो सकते है.’

पढ़ें: योगासन से करें अस्थमा का इलाज़

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