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सावधान: एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी न बना दें हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसऑर्डर का शिकार - Family history of hormonal problems

एस्ट्रोजन हार्मोन उम्र के हर पड़ाव पर महिलाओं तथा पुरुषों दोनों के शारीरिक विकास के लिए जरूरी होता है. विशेष तौर पर महिलाओं की बात करें मासिक चक्र की सही आवर्ती तथा गर्भधारण में एस्ट्रोजन हार्मोन विशेष भूमिका निभाता है. इसकी कमी के वजह से महिलाओं को कई समस्याओं को सामना करना है. जिनमें हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर प्रमुख है. इस बारे में इनफर्टिलिटी सेंटर देहरादून की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेणुका शर्मा ने ईटीवी भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी दी.

estrogen hormonal
एस्ट्रोजन हार्मोन
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Published : Dec 28, 2020, 1:45 PM IST

Updated : Sep 7, 2021, 12:24 PM IST

महिला हो या पुरुष दोनों के ही शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. विशेषतौर पर महिलाओं के शरीर में यह ज्यादा मात्रा में बनाता है, क्योंकि मासिक चक्र का नियमित संचालन तथा जनन प्रक्रिया दोनों के लिए है यह काफी महत्वपूर्ण है. साथ ही यह गर्भधारण से लेकर पाचन तक ज्यादातर शारीरिक प्रक्रियाओं तथा गतिविधियों में विकासपरक भूमिका निभाता है. महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के कारण हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर जैसा विकार उत्पन्न हो सकता है, जोकि उनके स्वास्थ्य के साथ साथ गर्भधारण करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. क्या है हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर तथा इसकी कमी महिलाओं के स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करती है, इस बारे में इनफर्टिलिटी सेंटर देहरादून की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा रेणुका शर्मा ने ईटीवी भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी दी.

एस्ट्रोजन हार्मोन की जरूरत

डॉ. रेणुका शर्मा बताती हैं की हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर के बारे में जानने से पहले जरूरी है की यह जान लिया जाए की महिलाओं के शरीर में संतुलित मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन क्यों जरूरी है. एस्ट्रोजन महिलाओं में एक प्राइमरी सेक्स हार्मोन है जोकि उनके शारीरिक विकास और देखरेख के लिए बहुत जरूरी होता है. एस्ट्रोजन हार्मोन हर उम्र की महिलाओं में हड्डियों के विकास तथा उनके स्वास्थ्य, कोलेस्ट्रॉल, प्‍यूबर्टी में पहुंचने वाली लड़कियों के शारीरिक व यौनिक विकास, उनमें तथा गर्भवती महिलाओं में स्तनो के विकास, मोटापा, पाचन, इंसुलिन सेंसिटिविटी तथा ग्लूकोज मेटाबॉलिज्‍म को नियंत्रित करता है. वहीं मासिक चक्र और गर्भावस्था में यूट्रेन लाइनिंग को नियंत्रित करने में मदद करता है.

हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर

हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर यानि शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण न सिर्फ महिलाओं के शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है, बल्कि उनके जनन स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है. डॉ शर्मा बताती हैं की एस्ट्रोजन की कमी से महिलाओं के ओव्‍यूलेशन में गड़बड़ी हो सकती है. वहीं इसके कारण मासिक चक्र में अनियमतता तथा गर्भधारण में समस्या भी हो सकती है. साथ ही उनकी हड्डियां भी कमजोर होकर टूट सकती है.

वहीं जानकार मानते हैं की एस्‍ट्रोजन की कमी से ब्रैस्ट कैंसर का खतरा भी काफी बढ़ जाता है. यहीं नहीं एस्ट्रोजन में कमी हमारी पाचन प्रक्रिया के साथ ही हमारी त्वचा के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. शरीर में इस हार्मोन का स्तर कम होने पर चेहरे पर मुहांसे, झुर्रियां, त्वचा में ढीलापन, झाइयां जैसे समस्याएं होने लगती है, जिसकी वजह से समय से पहले ही त्वचा पर उम्र का असर दिखने लगता है.

शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने का कारण

डॉ. शर्मा बताती हैं की चूंकि एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं की ओवरी में बनता है. इसलिए ज्यादातर मामलों में इस हार्मोन में कमी ओवरी में होने वाली समस्याओं के कारण ही होती है. एस्ट्रोजन की मात्रा को प्रभावित करने वाले कुछ ओवरी से जुड़े रोग इस प्रकार हैं.

  • ओवेरियन सिस्‍ट्स
  • हार्मोनल समस्‍याओं की फैमिली हिस्‍ट्री
  • क्रॉनिक किडनी डिजीज
  • समय से पहले ओवेरियन फेलियर
  • जेनेटिक दोष
  • ऑटोइम्‍यून मे‍डिकल कंडीशन्स
  • टर्नर सिंड्रोम
  • असामान्य रूप से काम करने वाली पिट्यूटरी ग्‍लैंड
  • बहुत ज्‍यादा एक्‍सरसाइज
  • बहुत ज्‍यादा डाइटिंग
  • एनोरेक्सिया या इस तरह के अन्य ईटिंग डिसऑर्डर्स

महिलाओं में एस्‍ट्रोजन की कमी के लक्षण

उम्र के उस दौर में जब महिलाओं के शरीर में ज्यादा परिवर्तन होते है जैसे ऐसी लड़कियां जिन्हें प्यूबर्टी नहीं हुई है और जिनके शरीर का विकास शुरुआती दौर में हो या फिर ऐसी महिलाएं जो मेनोपॉज के नजदीक हैं , उनके शरीर में अक्सर एस्ट्रोजन लेवल कम या ज्यादा हो सकता है। लेकिन सामान्य अवस्था में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी सही नहीं होती है । शरीर में एस्ट्रोजन की कमी को हम निम्न तरीकों से पहचान सकते हैं.

मासिक चक्र में अनियमितता

यूरेथ्रा के पतला होने के कारण बार बार यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) होना.

  • बोन डेंसिटी में कमी
  • जनांग में नमी की कमी
  • व्यवहार पर नियंत्रण न होना
  • सिरदर्द
  • तनाव
  • थकान
  • एकाग्रचित्त होने में परेशानी
  • स्तनों का नरम पड़ना
  • बांझपन
  • अचानक वजन बढ़ना
  • नींद ना आना और बैचेनी

डाइट से पूरी करें एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी

एस्ट्रोजन की कमी के लक्षणों के नजर आते ही जरूरी है, तुरंत चिकित्सक की सलाह ली जाए और शीघ्र इलाज शुरू कराया जाए. डॉ. शर्मा बताती है की नजरदाज करने पर यह समस्या गंभीर भी हो सकती है. इसके अलावा पौष्टिक भोजन करें तथा हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम या योग का अभ्यास करें.

महिला हो या पुरुष दोनों के ही शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. विशेषतौर पर महिलाओं के शरीर में यह ज्यादा मात्रा में बनाता है, क्योंकि मासिक चक्र का नियमित संचालन तथा जनन प्रक्रिया दोनों के लिए है यह काफी महत्वपूर्ण है. साथ ही यह गर्भधारण से लेकर पाचन तक ज्यादातर शारीरिक प्रक्रियाओं तथा गतिविधियों में विकासपरक भूमिका निभाता है. महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के कारण हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर जैसा विकार उत्पन्न हो सकता है, जोकि उनके स्वास्थ्य के साथ साथ गर्भधारण करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. क्या है हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर तथा इसकी कमी महिलाओं के स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करती है, इस बारे में इनफर्टिलिटी सेंटर देहरादून की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा रेणुका शर्मा ने ईटीवी भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी दी.

एस्ट्रोजन हार्मोन की जरूरत

डॉ. रेणुका शर्मा बताती हैं की हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर के बारे में जानने से पहले जरूरी है की यह जान लिया जाए की महिलाओं के शरीर में संतुलित मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन क्यों जरूरी है. एस्ट्रोजन महिलाओं में एक प्राइमरी सेक्स हार्मोन है जोकि उनके शारीरिक विकास और देखरेख के लिए बहुत जरूरी होता है. एस्ट्रोजन हार्मोन हर उम्र की महिलाओं में हड्डियों के विकास तथा उनके स्वास्थ्य, कोलेस्ट्रॉल, प्‍यूबर्टी में पहुंचने वाली लड़कियों के शारीरिक व यौनिक विकास, उनमें तथा गर्भवती महिलाओं में स्तनो के विकास, मोटापा, पाचन, इंसुलिन सेंसिटिविटी तथा ग्लूकोज मेटाबॉलिज्‍म को नियंत्रित करता है. वहीं मासिक चक्र और गर्भावस्था में यूट्रेन लाइनिंग को नियंत्रित करने में मदद करता है.

हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर

हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म डिसॉर्डर यानि शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी के कारण न सिर्फ महिलाओं के शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है, बल्कि उनके जनन स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है. डॉ शर्मा बताती हैं की एस्ट्रोजन की कमी से महिलाओं के ओव्‍यूलेशन में गड़बड़ी हो सकती है. वहीं इसके कारण मासिक चक्र में अनियमतता तथा गर्भधारण में समस्या भी हो सकती है. साथ ही उनकी हड्डियां भी कमजोर होकर टूट सकती है.

वहीं जानकार मानते हैं की एस्‍ट्रोजन की कमी से ब्रैस्ट कैंसर का खतरा भी काफी बढ़ जाता है. यहीं नहीं एस्ट्रोजन में कमी हमारी पाचन प्रक्रिया के साथ ही हमारी त्वचा के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. शरीर में इस हार्मोन का स्तर कम होने पर चेहरे पर मुहांसे, झुर्रियां, त्वचा में ढीलापन, झाइयां जैसे समस्याएं होने लगती है, जिसकी वजह से समय से पहले ही त्वचा पर उम्र का असर दिखने लगता है.

शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने का कारण

डॉ. शर्मा बताती हैं की चूंकि एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं की ओवरी में बनता है. इसलिए ज्यादातर मामलों में इस हार्मोन में कमी ओवरी में होने वाली समस्याओं के कारण ही होती है. एस्ट्रोजन की मात्रा को प्रभावित करने वाले कुछ ओवरी से जुड़े रोग इस प्रकार हैं.

  • ओवेरियन सिस्‍ट्स
  • हार्मोनल समस्‍याओं की फैमिली हिस्‍ट्री
  • क्रॉनिक किडनी डिजीज
  • समय से पहले ओवेरियन फेलियर
  • जेनेटिक दोष
  • ऑटोइम्‍यून मे‍डिकल कंडीशन्स
  • टर्नर सिंड्रोम
  • असामान्य रूप से काम करने वाली पिट्यूटरी ग्‍लैंड
  • बहुत ज्‍यादा एक्‍सरसाइज
  • बहुत ज्‍यादा डाइटिंग
  • एनोरेक्सिया या इस तरह के अन्य ईटिंग डिसऑर्डर्स

महिलाओं में एस्‍ट्रोजन की कमी के लक्षण

उम्र के उस दौर में जब महिलाओं के शरीर में ज्यादा परिवर्तन होते है जैसे ऐसी लड़कियां जिन्हें प्यूबर्टी नहीं हुई है और जिनके शरीर का विकास शुरुआती दौर में हो या फिर ऐसी महिलाएं जो मेनोपॉज के नजदीक हैं , उनके शरीर में अक्सर एस्ट्रोजन लेवल कम या ज्यादा हो सकता है। लेकिन सामान्य अवस्था में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी सही नहीं होती है । शरीर में एस्ट्रोजन की कमी को हम निम्न तरीकों से पहचान सकते हैं.

मासिक चक्र में अनियमितता

यूरेथ्रा के पतला होने के कारण बार बार यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) होना.

  • बोन डेंसिटी में कमी
  • जनांग में नमी की कमी
  • व्यवहार पर नियंत्रण न होना
  • सिरदर्द
  • तनाव
  • थकान
  • एकाग्रचित्त होने में परेशानी
  • स्तनों का नरम पड़ना
  • बांझपन
  • अचानक वजन बढ़ना
  • नींद ना आना और बैचेनी

डाइट से पूरी करें एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी

एस्ट्रोजन की कमी के लक्षणों के नजर आते ही जरूरी है, तुरंत चिकित्सक की सलाह ली जाए और शीघ्र इलाज शुरू कराया जाए. डॉ. शर्मा बताती है की नजरदाज करने पर यह समस्या गंभीर भी हो सकती है. इसके अलावा पौष्टिक भोजन करें तथा हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम या योग का अभ्यास करें.

Last Updated : Sep 7, 2021, 12:24 PM IST
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