बड़े बुजुर्गों की बीमारी कहे जाने वाला रोग मधुमेह हर उम्र तथा वर्ग के लोगों में बढ़ रहा है. उस पर मधुमेह की प्रतिवर्ती यानि रिवर्सेबल होने की प्रव्रत्ति ने इसकी गंभीरता को बढ़ा दिया है. आंकड़ों की माने तो हमारे देश भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में डायबिटीज के सबसे अधिक मामले लगभग 4 लाख संज्ञान में आए हैं. हालांकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में यह आंकड़ा सबसे कम केवल 200 रहा है. लेकिन पूरे देश में संयुक्त रूप से मधुमेह के आंकड़ों में लगातार बढ़त चिंता का विषय है. चाहे टाइप 1 हो या टाइप 2, मधुमेह के बढ़ते मामलों की गंभीरता को किसी महामारी से कम नहीं आंकना चाहिए.
मधुमेह के रोगियों विशेषकर बच्चों की बढ़ती संख्या और उसके कारणों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने स्टार अस्पताल, हैदराबाद के एफसीपी विभाग के एमडी, फिजीशियन तथा डायबिटोलोजिस्ट डॉ. दिलीप नंदामूरी से बात की.
डायबिटीज के मामले बढ़ने के कारण
डायबिटीज होने के लिए किसी एक कारक को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है. डॉ. दिलीप बताते हैं की इस रोग के होने और बढ़ने के पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली दोनों से जुड़े हो सकते है.
⦁ जंक फूड या फास्ट फूड का सेवन डायबिटीज के खतरे को काफी ज्यादा बढ़ा देता है. इसमें शक्कर और सेच्यूरेटेड फैट काफी ज्यादा मात्रा में होते हैं, जो ना सिर्फ मधुमेह बल्कि मोटापे के खतरे को भी बढ़ाते है.
⦁ कई बार आलस से भरी और तनावयुक्त जीवनशैली, जिसमें अनुशासन तथा व्यायाम का अभाव हो, मधुमेह का कारण बनती है.
⦁ यदि परिवार में मधुमेह का इतिहास हो यानि परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी किसी ना किसी को मधुमेह का रोग रहा हो, तो भी यह बीमारी हो सकती है.
बच्चों में डायबिटीज
बच्चों में बढ़ते लगातार डायबिटीज के मामलों के बारे में डॉ. दिलीप बताते है की अभी तक बच्चों में ज्यादातर टाइप 1 डायबिटीज ही मिल रही है. जिसका मुख्य कारण किसी प्रकार का संक्रमण या बीमारी और उसके परिणाम स्वरूप पैंकरियास सेल तथा इंसुलिन के उत्पादन पर असर होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले भी काफी संख्या में देखने सुनने में आने लगे है, जिसका मुख्य कारण फास्टलाइफ और फास्ट फूड यानि व्यस्त जीवनशैली और असंतुलित आहार व अस्वस्थ आदतें है. इसके अलावा बच्चे दौड़ने भागने वाले खेलों की बजाय एक जगह बैठ कर कंप्यूटर या मोबाइल में खेलना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे उनके शरीर का कोई व्यायाम नहीं होता है. ये सभी आदतें टाइप 2 डायबिटीज का कारण बनती है.
जीवन पर भारी भी पड़ सकता है डायबिटीज
डॉ. दिलीप बताते हैं की ध्यान ना देने पर मधुमेह हमारे जीवन पर खतरा भी बन सकता है. इस बीमारी की गंभीरता के आधार पर इसे दो भागों में बाटा जा सकता है, माइक्रो वैस्कुलर तथा मैक्रो वैस्कुलर.
माइक्रो वैस्कुलर समस्याएं
⦁ डायबिटीज रेटिनोपेथी यानि दृष्टि संबंधी समस्याएं
⦁ नेपरोपेथि यानि किड्नी संबंधी समस्याएं
⦁ न्यूरोपेथि समस्याएं यानि तंत्रिकाओं संबंधी समस्याएं
मैक्रो वैस्कुलर समायाएं
⦁ इसकेमिक हृदय रोग
⦁ दिल का दौरा/ स्ट्रोक
⦁ परिधीय संवाहिनी रोग यानि पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज
⦁ सेरेब्रल वैस्कुलर रोग
ध्यान देने योग्य बातें
मधुमेह के प्रतिवर्ती यानि रिवर्सेबल होने की प्रवत्ति को ध्यान में रखते हुए बहुत जरूरी की रोगी के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाए. किसी भी अवस्था में उसका वजन निर्धारित वजन से कम नहीं होना चाहिए. जिसके लिए उसका विशेष डाइट चार्ट का पालन करना अनिवार्य है. यदि वजन संतुलित रहता है, तो बगैर इन्सुलिन या दवाइयों के सिर्फ भोजन पर नियंत्रण रख कर डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ के अनुसार साधारण जीवनशैली और भोजन के आदतें टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक समाप्त कर देती हैं. टाइप 2 डायबिटीज से बचने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखा जा सकता है.
⦁ बीएमआई को संतुलित रखें.
⦁ शारीरिक तौर पर सक्रिय रहें, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें.
⦁ शक्कर तथा सेच्यूरेटेड फैट से दूरी बनाएं.
⦁ पोषक, सादा तथा ताजा खाना खाएं.
⦁ तंबाकू तथा अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से बचें.
रोग से बचना है, समय रहते संभल जाएं
हर उम्र में डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी उस खतरे का सूचक है, जो खानपान तथा जीवनशैली में असंतुलन के कारण बढ़ता जा रहा है. इसलिए जरूरी है की समय रहते स्वस्थ आदतों को अपनाया जाए तथा अनुशासित जीवनशैली का पालन किया जाए.