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हमारा टीका सुरक्षित और विश्वसनीय है - एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला

कोविड-19 टीकाकरण की शुरूआत हो चुकी है और वैक्सीन निर्माता अब दूसरे देशों को भी टीके की खुराक निर्यात कर रहे है. इसी क्रम में भारत भी कई देशों को बड़ी संख्या में वैक्सीन की खुराक दे रहा है. चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 महामारी तभी नियंत्रित हो सकेगी, जब टीकाकरण करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत से अधिक हो.

Covishield / AstraZeneca Vaccine
कोविशिल्ड /एस्ट्राजेनेका वैक्सीन
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Published : Feb 1, 2021, 12:23 PM IST

विशिष्ट दवाओं के सामने आने से पहले कोविड-19 का सामना करने के लिए केवल टीकों पर भरोसा किया जा सकता है. अच्छी खबर यह है कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण शुरू हो गया है. वर्तमान में दुनिया के प्रमुख वैक्सीन निमार्ताओं जैसे कि चीनी साइनोवैक, एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोड, फाइजर/बायोनटेक और मॉडर्ना आदि ने दुनिया को टीके देना शुरू कर दिया है. चीन में उत्पादित टीकों का एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों को निर्यात शुरू किया गया है, और इनका अच्छा प्रभाव साबित हुआ है.

खुशीजनक बात है कि भारत में उत्पादित वैक्सीन की घरेलू मांग को पूरा करने के अलावा पड़ोसी देशों को भी आपूर्ति होने लगी है. उदाहरण के लिए म्यांमार ने भारत से कोविशिल्ड /एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक का आदेश दिया है. प्रति व्यक्ति दो खुराक के आधार पर, यह 1.5 करोड़ लोगों के लिए है. डॉक्टर के मुताबिक टीका लगवाने के बाद औसत 70 प्रतिशत सुरक्षात्मक प्रभाव दिखाया जाएगा. यदि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोगों के मामलों की पुष्टि हो गई है, तो उनमें से अधिकांश बिना लक्षण के हैं और गंभीर नहीं हैं. वर्तमान में ब्रिटेन में 75 लाख से अधिक लोगों को टीके की पहली खुराक मिली है, और भारत को जनवरी से अगस्त 2021 के बीच 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की भी योजना है. चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 महामारी तभी नियंत्रित हो सकेगी जब टीकाकरण करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत से अधिक हो.

म्यांमार के अलावा, भारत मालदीव, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स को भी टीके प्रदान करता है. जब दुनिया के कई देशों में टीके उपलब्ध नहीं हैं, तो भारत की तरफ से टीका प्रावधान प्रशंसनीय है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने मीडिया से कहा कि संस्थान में वैक्सीन की 2 अरब खुराक की वार्षिक उत्पादन क्षमता है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीन निमार्ता माना जाता है. संस्थान का 54 साल का इतिहास है और कर्मचारियों की मात्रा सात हजार तक रहती है. हर साल संस्थान को यूनिसेफ, पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और अन्य बहुत से संगठनों से बड़ी संख्या में वैक्सीन के ऑर्डर मिलते हैं.

लेकिन टीकाकरण करने का मतलब नहीं है कि टीका लगवाने के बाद सब कुछ चिन्तारहित है. टीका लगवाने से एलर्जी प्रतिक्रिया जन्म हो सकती हैं. और कुछ लोगों को सिरदर्द, अंगों में दर्द, कमजोरी, बुखार, उल्टी और फ्लू का लक्षण होगा. इसलिए, टीकाकरण के लिए डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन करना चाहिए. कुछ निश्चित लोगों और बीमार होने वाले लोगों के साथ-साथ, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीका नहीं लगवाना चाहिये. इसके अलावा किसी भी वैक्सीन का सुरक्षात्मक प्रभाव शतप्रतिशत तक नहीं पहुंच सकता है. इसलिए, टीकाकरण के बाद भी मास्क पहनना चाहिए, सामाजिक दूरी बनाए रखना चाहिए, अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए और अकसर खिड़कियां खोलना चाहिए.

विशिष्ट दवाओं के सामने आने से पहले कोविड-19 का सामना करने के लिए केवल टीकों पर भरोसा किया जा सकता है. अच्छी खबर यह है कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण शुरू हो गया है. वर्तमान में दुनिया के प्रमुख वैक्सीन निमार्ताओं जैसे कि चीनी साइनोवैक, एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोड, फाइजर/बायोनटेक और मॉडर्ना आदि ने दुनिया को टीके देना शुरू कर दिया है. चीन में उत्पादित टीकों का एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों को निर्यात शुरू किया गया है, और इनका अच्छा प्रभाव साबित हुआ है.

खुशीजनक बात है कि भारत में उत्पादित वैक्सीन की घरेलू मांग को पूरा करने के अलावा पड़ोसी देशों को भी आपूर्ति होने लगी है. उदाहरण के लिए म्यांमार ने भारत से कोविशिल्ड /एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 3 करोड़ खुराक का आदेश दिया है. प्रति व्यक्ति दो खुराक के आधार पर, यह 1.5 करोड़ लोगों के लिए है. डॉक्टर के मुताबिक टीका लगवाने के बाद औसत 70 प्रतिशत सुरक्षात्मक प्रभाव दिखाया जाएगा. यदि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोगों के मामलों की पुष्टि हो गई है, तो उनमें से अधिकांश बिना लक्षण के हैं और गंभीर नहीं हैं. वर्तमान में ब्रिटेन में 75 लाख से अधिक लोगों को टीके की पहली खुराक मिली है, और भारत को जनवरी से अगस्त 2021 के बीच 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की भी योजना है. चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 महामारी तभी नियंत्रित हो सकेगी जब टीकाकरण करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत से अधिक हो.

म्यांमार के अलावा, भारत मालदीव, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स को भी टीके प्रदान करता है. जब दुनिया के कई देशों में टीके उपलब्ध नहीं हैं, तो भारत की तरफ से टीका प्रावधान प्रशंसनीय है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने मीडिया से कहा कि संस्थान में वैक्सीन की 2 अरब खुराक की वार्षिक उत्पादन क्षमता है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीन निमार्ता माना जाता है. संस्थान का 54 साल का इतिहास है और कर्मचारियों की मात्रा सात हजार तक रहती है. हर साल संस्थान को यूनिसेफ, पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और अन्य बहुत से संगठनों से बड़ी संख्या में वैक्सीन के ऑर्डर मिलते हैं.

लेकिन टीकाकरण करने का मतलब नहीं है कि टीका लगवाने के बाद सब कुछ चिन्तारहित है. टीका लगवाने से एलर्जी प्रतिक्रिया जन्म हो सकती हैं. और कुछ लोगों को सिरदर्द, अंगों में दर्द, कमजोरी, बुखार, उल्टी और फ्लू का लक्षण होगा. इसलिए, टीकाकरण के लिए डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन करना चाहिए. कुछ निश्चित लोगों और बीमार होने वाले लोगों के साथ-साथ, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीका नहीं लगवाना चाहिये. इसके अलावा किसी भी वैक्सीन का सुरक्षात्मक प्रभाव शतप्रतिशत तक नहीं पहुंच सकता है. इसलिए, टीकाकरण के बाद भी मास्क पहनना चाहिए, सामाजिक दूरी बनाए रखना चाहिए, अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए और अकसर खिड़कियां खोलना चाहिए.

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