आजकल आप जैसे ही किसी को फ़ोन करते हैं तो एक आवाज़ आपका स्वागत करती हैं जो कोरोना बीमारी की जानकारी और जागरूकता से जुडी हैं, जहाँ ये आवाज़ हमें कहती हैं रोग से डरे रोगी से नहीं, फिर भी समाज में कोरोना पीड़ित रोगी तिरस्कार का सामना कर रहे हैं । आम जन में रोग से जुडी भ्रांतियों के कारण कोरोना मरीज़ सामाजिक अलगाव जन्य अवसाद का सामना कर रहे है।
आये दिन कोरोना पीड़ित एवं उनके परिजनों की सामाजिक उपेक्षा और बहिष्कार की खबरे आती रहती है।और तो और जो डॉक्टर्स दिन-रात अपनी जान की परवाह किये बिना रोगियों की देखभाल कर रहे हैं उन्हें भी इस उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
महामारी से जुडी भ्रांतियों की चलते कइयों ने तो बिना जाँच अपने को समाज से काट लिया और किसी से मिलना जुलना भी बंद कर दिया हैं।
इस स्थिति के पीछे सब से बड़ी वजह आम जन में कोरोना से जुडी प्रामाणिक जानकारियों का अभाव है।
भारत में जहाँ एक तरफ कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं वही दूसरी तरफ इस बीमारी को मात देनेवालो की संख्या उससे कही ज्यादा बड़ी है। बावजूद इसके हालात ये हैं की लोग संक्रमण के साथ साथ, इस से जुड़े सामाजिक भेद-भाव से भी झुज रहे है।
कोरोना से लड़ने में सामाजिक दुरी बना कर रखने की बात को कइयों ने भ्रमवश सामाजिक बहिष्कार समझ लिया हैं शरीरिक दुरी कोरोना संक्रमण के खिलाफ मजबूत हथियार हैं लेकिन किसी संक्रमित के लिए सामाजिक बहिष्कार कोरोना, से लड़ने में उसके ज़रूरी आत्मबल को तोड़ देता है।
Etv भारत सुखीभवा ने डॉ आदित्य तिवारीजी, सलाहकार होम्योपैथी और मनोचिकित्सक, एंजेल हॉस्पिटल मुंबई से कोरोना महामारी से जुडी भ्रांतियों को लेकर बात की:
आपके अनुसार कोगो का कोरोना महामारी को लेकर ऐसा रवैया क्यों हैं?
जब भी कभी महामारी फैलती हैं,तो लोग घबरा जाते हैं क्योंकि एक तो वह बहुत जल्दी बहुत लोगो को ग्रसित कर लेती हैं, और साथ ही लोगो में एक तरह का भय पैदा कर देती हैं, जो खुद की और परिवार की सुरक्षा से जुड़ा होता ह। यही कारण हैं की आम जन संक्रमित और उसके परिवार से आनन फानन में दुरी बना लेते हैं।
कोरोना से जुडी भ्रांतियों को दूर करने के क्या रास्ते हो सकते है?
डॉक्टर तिवारी का बताते हैं की सामाजिक जीवन में लोकप्रिय और रोल मॉडल की हैसियत वाले लोगो से बीमारी से जुडी सही जानकारी दिलवाना बहुत कारगर हो सकता है। लोकप्रिय माध्यमों का उपयोग इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकता हैं जैसा की पोलियो, HIV , कुस्त रोग जैसी भय पैदा करनेवाली बिमारियों के संबध में देखा गया था । बड़े पैमाने पर आम जन तक सूचना पहुंचाने की सेलिब्रिटीज मोहिम रोग को लेकर सही समझ बनाने में प्रभावी रही है। सरकारी स्तर पर चलए जा रहे जन-जागरूकता अभियानों को और व्यापक करने की आवश्यकता है। सही माध्यम विश्वसनीय व्यक्ति और सटीक जानकारी के मंत्र से ही कोरोना से जुडी भ्रांतियां दूर की जा सकती है।