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स्वस्थ जीवन की पॉलिसी गर्भनाल रक्त संरक्षण

आधुनिक जीवन शैली में जहां एक ओर नई तकनीक का इजात हो रहा है, वहीं दूसरी ओर छोटी उम्र से ही बीमारियां हमें घेर लेती हैं. इससे बचाव के लिए बच्चे के जन्म के दौरान काटे जाने वाले गर्भनाल को संरक्षित करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. इससे उसे भविष्य में किसी भी रक्त संबंधी विकारों से लड़ने और निरोगी बनाने में मदद मिलेगा.

Umbilical cord blood conservation
गर्भनाल रक्त संरक्षण
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Published : Jul 28, 2020, 4:13 PM IST

Updated : Jul 29, 2020, 10:03 AM IST

अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी हमारी पहली पसंद होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपने बच्चे को बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचाने के लिए एक और पॉलिसी ले सकते हैं. जिसमें आपको ब्याज तो नहीं मिलेगा, लेकिन भविष्य में यदि आपका बच्चा रक्त कैंसर, अप्लास्टिक एनीमिया तथा थैलेसीमिया जैसे अनुवांशिक रक्त विकार का रोगी बनता है, तो अपने स्वास्थ्य को बेहतर तथा निरोगी करने का मौका उसे मिल सकता है. इस जीवन पॉलिसी का नाम है गर्भनाल रक्त संरक्षण यानि कॉर्ड ब्लड स्टोरेज है.

क्या है कॉर्ड ब्लड या गर्भनाल रक्त

जुलाई का महीना पूरे देश में ब्लड जागरूकता माह के तौर पर मनाया जा रहा है. कॉर्ड ब्लड यानि गर्भनाल रक्त क्या होता है और गंभीर बीमारियों में उससे कैसे फायदा मिल सकता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा ने महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेणुका गुप्ता से बात की. डॉ. गुप्ता ने बताया कि जन्म के बाद शिशु की गर्भनाल रक्त में विशेष कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें स्टेम सेल या मूल कोशिका कहा जाता है. समय पड़ने पर ये कोशिकाएं रक्त कोशिकाओं के रूप में विकसित हो सकती है. ये शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने के साथ ही पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचा कर खून के थक्के बनाने में मदद कर सकती है.

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि हालांकि अभी तक हमारे देश में ऐसे केस की संख्या कम रही हैं, जहां रक्त विकारों या स्टेम सेल प्रत्यारोपण में संग्रहित गर्भनाल रक्त का इस्तेमाल किया गया हो. इसका दो कारण हैं, एक तो लोगों में जागरूकता की कमी और दूसरा संग्रहित कोशिकाओं के संरक्षण से बाहर निकलने से लेकर उसके उपचार में लाये जाने के बीच की समयावधि का कम होना.

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि गर्भनाल को लेकर बहुत से वैज्ञानिक शोध में लगे हुए हैं. हालांकि वर्तमान में अभी तक सीमित रोग ही हैं, जिनमें इसका उपयोग फायदेमंद है, लेकिन चिकित्सकों और वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में जैसे-जैसे शोध और अनुसंधान होते रहेंगे, कॉर्ड ब्लड या गर्भनाल रक्त कोशिकाएं कई गंभीर बीमारियों के इलाज में क्रांति ला सकता है. इन बीमारियों में तमाम रक्त विकारों सहित, सेरेब्रल पाल्सी, टाइप-1 मधुमेह, हाइड्रोसेफेलस तथा अपक्षयी रोग जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि शामिल हैं.

कैसे होता है गर्भनाल संग्रहण

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि बच्चे के जन्म के उपरांत जब उनकी गर्भनाल को काटा जाता है, तो उसी समय चिकित्सक नाल के उस हिस्से की अंबिकल नस से रक्त बाहर निकालते है, जो प्लेसेंटा से जुड़ा होता है. इस रक्त को एक विशेष बैग में एकत्रित किया जाता है. अतिशीघ्रता से होने वाली इस प्रक्रिया में 60 मिलीलीटर से लेकर 150 मिलीलीटर तक रक्त एकत्रित किया जाता है. इस रक्त को बैग में सील करने के 48 घंटों के अंदर ही ब्लड बैंक की प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है. जहां इसे दीर्घकालीन समय के लिए संसाधित और प्रशीतित यानि फ्रिज किया जाता है. आम तौर पर यह रक्त 21 सालों के लिए संग्रहित किया जाता है, लेकिन यदि व्यक्ति चाहे तो उसे आगे के लिए भी संग्रहित कराया जा सकता है.

अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी हमारी पहली पसंद होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप अपने बच्चे को बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचाने के लिए एक और पॉलिसी ले सकते हैं. जिसमें आपको ब्याज तो नहीं मिलेगा, लेकिन भविष्य में यदि आपका बच्चा रक्त कैंसर, अप्लास्टिक एनीमिया तथा थैलेसीमिया जैसे अनुवांशिक रक्त विकार का रोगी बनता है, तो अपने स्वास्थ्य को बेहतर तथा निरोगी करने का मौका उसे मिल सकता है. इस जीवन पॉलिसी का नाम है गर्भनाल रक्त संरक्षण यानि कॉर्ड ब्लड स्टोरेज है.

क्या है कॉर्ड ब्लड या गर्भनाल रक्त

जुलाई का महीना पूरे देश में ब्लड जागरूकता माह के तौर पर मनाया जा रहा है. कॉर्ड ब्लड यानि गर्भनाल रक्त क्या होता है और गंभीर बीमारियों में उससे कैसे फायदा मिल सकता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा ने महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेणुका गुप्ता से बात की. डॉ. गुप्ता ने बताया कि जन्म के बाद शिशु की गर्भनाल रक्त में विशेष कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें स्टेम सेल या मूल कोशिका कहा जाता है. समय पड़ने पर ये कोशिकाएं रक्त कोशिकाओं के रूप में विकसित हो सकती है. ये शरीर में मौजूद संक्रमण से लड़ने के साथ ही पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचा कर खून के थक्के बनाने में मदद कर सकती है.

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि हालांकि अभी तक हमारे देश में ऐसे केस की संख्या कम रही हैं, जहां रक्त विकारों या स्टेम सेल प्रत्यारोपण में संग्रहित गर्भनाल रक्त का इस्तेमाल किया गया हो. इसका दो कारण हैं, एक तो लोगों में जागरूकता की कमी और दूसरा संग्रहित कोशिकाओं के संरक्षण से बाहर निकलने से लेकर उसके उपचार में लाये जाने के बीच की समयावधि का कम होना.

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि गर्भनाल को लेकर बहुत से वैज्ञानिक शोध में लगे हुए हैं. हालांकि वर्तमान में अभी तक सीमित रोग ही हैं, जिनमें इसका उपयोग फायदेमंद है, लेकिन चिकित्सकों और वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में जैसे-जैसे शोध और अनुसंधान होते रहेंगे, कॉर्ड ब्लड या गर्भनाल रक्त कोशिकाएं कई गंभीर बीमारियों के इलाज में क्रांति ला सकता है. इन बीमारियों में तमाम रक्त विकारों सहित, सेरेब्रल पाल्सी, टाइप-1 मधुमेह, हाइड्रोसेफेलस तथा अपक्षयी रोग जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि शामिल हैं.

कैसे होता है गर्भनाल संग्रहण

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि बच्चे के जन्म के उपरांत जब उनकी गर्भनाल को काटा जाता है, तो उसी समय चिकित्सक नाल के उस हिस्से की अंबिकल नस से रक्त बाहर निकालते है, जो प्लेसेंटा से जुड़ा होता है. इस रक्त को एक विशेष बैग में एकत्रित किया जाता है. अतिशीघ्रता से होने वाली इस प्रक्रिया में 60 मिलीलीटर से लेकर 150 मिलीलीटर तक रक्त एकत्रित किया जाता है. इस रक्त को बैग में सील करने के 48 घंटों के अंदर ही ब्लड बैंक की प्रयोगशाला में भेज दिया जाता है. जहां इसे दीर्घकालीन समय के लिए संसाधित और प्रशीतित यानि फ्रिज किया जाता है. आम तौर पर यह रक्त 21 सालों के लिए संग्रहित किया जाता है, लेकिन यदि व्यक्ति चाहे तो उसे आगे के लिए भी संग्रहित कराया जा सकता है.

Last Updated : Jul 29, 2020, 10:03 AM IST
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