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खाने पीने की स्वस्थ आदतों से नियंत्रित रखें थायराइड

दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग थायराइड से पीड़ित है। चिंता की बात यह है थायराइड पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। आंकड़ों की माने तो हर 10 में से एक भारतीय हाइपोथायराइडिज़्म से प्रभावित होता है। जानकार मानते है की शरीर में थायराइड की स्तिथि को खानपान तथा जीवनशैली भी काफी प्रभावित करती है।

Control Thyroid with healthy foods
खाने पीने की स्वस्थ आदतों से नियंत्रित रखें थायराइड
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Published : May 26, 2021, 5:05 PM IST

थायराइड एक ऐसी समस्या है जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। जानकारों की माने तो थायराइड शरीर के लगभग हर हिस्से के कार्यों को प्रभावित करता है। इस समस्या के लिए न सिर्फ शारीरिक अवस्थाओं बल्कि खानपान संबंधी असवस्थ आदतों और आसीन जीवनशैली को भी जिम्मेदार माना जाता है। चिकित्सा मानते है की यदि थायराइड से पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयों के नियमित सेवन के साथ खाने पीने की स्वस्थ आदतों को अपनाएं तथा स्वस्थ जीवन शैली का पालन करे को थायराइड के कारण होने वाली समस्याओं से बच सकता है।

क्या है थायराइड

थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि है , जो ट्राईआयोडोथायरॉनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी 4) नामक दो हारमोंस का निर्माण करती है, जो शरीर की मेटाबॉलिक गतिविधियों यानी सामान्य चयापच्य प्रक्रिया को संचालित करते है। तितली के आकार की यह ग्रंथि गर्दन के अंदर और कॉलर बोन के ऊपर होती है।

थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार का माना जाता है, हाइपरथाइरॉएडिज्म तथा हाइपोथाइरॉएडिज्म। यह दोनों की अवस्थाएं शरीर में हार्मोन की मात्रा तथा आयोडिन की मात्रा में कमी या ज्यादा होने के कारण उत्पन्न होती हैं।

अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल कोरमंगला बैंगलुरु की पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर शरण्या श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार शरीर में हार्मोन के स्तर सहित व्यक्ति के वजन, तथा स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कई कारकों के चलते शरीर में हाइपरथाइरॉएडिज्म, हाइपोथाइरॉएडिज्म तथा थायरोडिटीज जैसी अवस्था उत्पन्न होती हैं। जिसके चलते व्यक्ति के शरीर में बालों का झड़ना या गंजापन, वजन में कमी या बढ़ोतरी, अनियमित माहवारी, थकान, बचैनी तथा चिचिड़पन जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

लक्षणों के आधार पर थायराइड को हाइपरथाइरॉएडिज्म तथा हाइपोथाइरॉएडिज्म में वर्गीकृत किया जाता है जो इस प्रकार हैं।

हाइपरथाइरोडिस्म के लक्षण

बेचैनी, हृदय गति का बढ़ जाना, व्याकुल होना, चिड़चिड़ापन बढ़ जाना, ज्यादा पसीना आना, पतला होना , बिना प्रयास के लगातार वजन का घटता जाना तथा कमजोरी हाइपरथाइरॉयडिज़्म के मुख्य लक्षण हैं।

इस अवस्था के चलते व्यक्ति को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं इस प्रकार हैं।

ग्रेव डिजीज : ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपरथॉयराइडिज्म होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबॉडिज का उत्पादन करने लगती है जो टीएसएच को बढ़ाती है। यह आनुवांशिक बीमारी है ।

थायराइड नोड्यूल्स : थायरॉइड नोड्यूल ठोस या तरल पदार्थ से भरी गांठ होते हैं जो थायरॉयड के भीतर बनते हैं। अक्सर लोगों को थायरॉयड नोड्यूल का तब पता नहीं चलता जब तक चिकित्सक इसकी जांच नही करते है।

थाइरॉएडाइटिस: थायराइड ग्रंथि में सूजन आने की अवस्था थाइरॉएडाइटिस कहलाती है।

आयोडिन संबंधी समस्या : शरीर में आयोडीन का जरूरत से ज्यादा निर्माण होना

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

थकान, त्वचा व बालू का रूखा होना, कमजोरी, हद से ज्यादा वजन बढ़ जाना, तनाव, ठंड तथा ठंडी चीजों को लेकर संवेदनशीलता बढ़ जाना हाइपोथायरॉएडिज्म के मुख्य लक्षण हैं। इस अवस्था के चलते उत्पन्न होने वाली शारीरिक समस्या इस प्रकार हैं।

थाइरॉएडाइटिस: थायराइड ग्लैंड में जलन और सूजन

हाशिमोतो थाइरॉएडाइटिस: ऑटोइम्यून अवस्था

पोस्टपार्टम थाइरॉएडाइटिस : बच्चे के जन्म के उपरांत महिलाओं में होने वाली एक अवस्था जो कि अस्थाई होती है।

आयोडीन की कमी

थायराइड ग्रंथि का सही तरीके से काम ना करना।

कोरोना के साएँ में ज्यादा सावधानी बरतें थायराइड मरीज

कोविड-19 के इस दौर में कोरोना के अतिरिक्त सभी स्वास्थ्य सेवाएं दूसरे पायदान पर आ गई है। ऐसे में जरूरी है कि विभिन्न प्रकार की समस्याओं, रोग व अवस्थाओं से जूझ रहे लोग अपनी स्थिति का स्वयं ख्याल रखें तथा जरूरी सावधानियां बरतें। थायराइड के मरीजों के लिए भी बहुत जरूरी है कि वह अपनी जीवनशैली और खान-पान सहित रोजमर्रा की आदतों में कुछ विशेष बातों और नियमों का ध्यान रखें।

नियमित तौर पर योग तथा मेडिटेशन का अभ्यास करें , इससे तनाव में कमी आती है। सही खाएं और स्वस्थ खाएं। प्रोसैस्ड भोजन ज ज्यादा तैलीय तथा मसालेदार भोजन खाने से बचें। हमेशा ताजा,हल्का तथा सरलता से पचने वाला भोजन ही ग्रहण करें। इसके अतिरिक्त भावनाओं के प्रभाव में आकर ज्यादा मात्रा में खाना खाने से भी बचें।

चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयां नियमित तौर पर ले। यदि संभव हो तो सभी दवाइयों का स्टॉक घर पर रखें जिससे जरूरत पड़ने पर दवाइयों की कमी ना हो।

धूम्रपान तथा शराब के सेवन से बचें, यह दोनों ही चीजें थायराइड के शरीर पर असर तथा उसकी दवाइयों के असर को प्रभावित करते हैं। स्लीप हाइजीन का पालन करें यानी समय से सोए समय से जागे। थायराइड का प्रभाव शरीर पर प्रभाव थकान, कमजोरी तथा बेचैनी के रूप में भी नजर आता है। नींद भी इन कारकों को विशेष तौर पर प्रभावित करती है। इसलिए जरूरी मात्रा में आराम और कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद प्रतिदिन लेना बहुत जरूरी है।

स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के लिए बहुत जरूरी है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए। थायराइड अवस्था में वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी होता है, इसलिए भी नियमित तौर पर व्यायाम किया जाना बहुत जरूरी होता है।

जितनी जल्दी संभव हो कोविड-19 का टीकाकरण करवा लें। इसके अतिरिक्त कोविड-19 का कोई भी लक्षण नजर आने पर उसे नजरअंदाज ना करें और तत्काल चिकित्सक से सलाह लेकर उसे अपनी थायराइड समस्या के बारे में अवगत कराकर निर्देशानुसार इलाज शुरू करें।

थायराइड में फायदा पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थ

डॉक्टर शरण्या बताती हैं कि संतुलित आहार जिसमें विशेष तौर पर प्रोटीन, आयोडीन तथा अमीनो एसिड जरूरी मात्रा में हो, और नियम से दवाइयों के सेवन के थायराइड से पीड़ित व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। कुछ विशेष खाद्यपदार्थ के सेवन से थायराइड की अवस्था को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है जो इस प्रकार हैं।

  • केसर
  • केला
  • चने की दाल
  • बेक की हुई मछली
  • खिचड़ी पोंगल
  • रसम दाल या सीफूड के साथ साबुत अनाज

हालांकि इन सभी भोज्य पदार्थों को थायराइड के मरीजों के लिए आदर्श माना जाता है लेकिन फिर भी बहुत जरूरी है कि किसी भी विशेष डाइट या भोजन के इस्तेमाल से पहले चिकित्सक या पोषण विशेषज्ञ से सलाह ले ली जाए। थायराइड से बचाव, उस पर नियंत्रण तथा स्वस्थ जीवन जीने के लिए खाने पीने की अच्छी आदतों के साथ ही स्वस्थ जीवन शैली अपनाना भी बहुत जरूरी है।

थायराइड एक ऐसी समस्या है जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। जानकारों की माने तो थायराइड शरीर के लगभग हर हिस्से के कार्यों को प्रभावित करता है। इस समस्या के लिए न सिर्फ शारीरिक अवस्थाओं बल्कि खानपान संबंधी असवस्थ आदतों और आसीन जीवनशैली को भी जिम्मेदार माना जाता है। चिकित्सा मानते है की यदि थायराइड से पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयों के नियमित सेवन के साथ खाने पीने की स्वस्थ आदतों को अपनाएं तथा स्वस्थ जीवन शैली का पालन करे को थायराइड के कारण होने वाली समस्याओं से बच सकता है।

क्या है थायराइड

थायराइड एक प्रकार की एंडोक्राइन ग्रंथि है , जो ट्राईआयोडोथायरॉनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी 4) नामक दो हारमोंस का निर्माण करती है, जो शरीर की मेटाबॉलिक गतिविधियों यानी सामान्य चयापच्य प्रक्रिया को संचालित करते है। तितली के आकार की यह ग्रंथि गर्दन के अंदर और कॉलर बोन के ऊपर होती है।

थायराइड मुख्य रूप से दो प्रकार का माना जाता है, हाइपरथाइरॉएडिज्म तथा हाइपोथाइरॉएडिज्म। यह दोनों की अवस्थाएं शरीर में हार्मोन की मात्रा तथा आयोडिन की मात्रा में कमी या ज्यादा होने के कारण उत्पन्न होती हैं।

अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल कोरमंगला बैंगलुरु की पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर शरण्या श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार शरीर में हार्मोन के स्तर सहित व्यक्ति के वजन, तथा स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कई कारकों के चलते शरीर में हाइपरथाइरॉएडिज्म, हाइपोथाइरॉएडिज्म तथा थायरोडिटीज जैसी अवस्था उत्पन्न होती हैं। जिसके चलते व्यक्ति के शरीर में बालों का झड़ना या गंजापन, वजन में कमी या बढ़ोतरी, अनियमित माहवारी, थकान, बचैनी तथा चिचिड़पन जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

लक्षणों के आधार पर थायराइड को हाइपरथाइरॉएडिज्म तथा हाइपोथाइरॉएडिज्म में वर्गीकृत किया जाता है जो इस प्रकार हैं।

हाइपरथाइरोडिस्म के लक्षण

बेचैनी, हृदय गति का बढ़ जाना, व्याकुल होना, चिड़चिड़ापन बढ़ जाना, ज्यादा पसीना आना, पतला होना , बिना प्रयास के लगातार वजन का घटता जाना तथा कमजोरी हाइपरथाइरॉयडिज़्म के मुख्य लक्षण हैं।

इस अवस्था के चलते व्यक्ति को प्रभावित करने वाली स्वास्थ्य समस्याएं इस प्रकार हैं।

ग्रेव डिजीज : ग्रेव्स रोग व्यस्क लोगों में हाइपरथॉयराइडिज्म होने का मुख्य कारण है। इस रोग में शरीर की प्रतिक्षा प्रणाली ऐसे एंटीबॉडिज का उत्पादन करने लगती है जो टीएसएच को बढ़ाती है। यह आनुवांशिक बीमारी है ।

थायराइड नोड्यूल्स : थायरॉइड नोड्यूल ठोस या तरल पदार्थ से भरी गांठ होते हैं जो थायरॉयड के भीतर बनते हैं। अक्सर लोगों को थायरॉयड नोड्यूल का तब पता नहीं चलता जब तक चिकित्सक इसकी जांच नही करते है।

थाइरॉएडाइटिस: थायराइड ग्रंथि में सूजन आने की अवस्था थाइरॉएडाइटिस कहलाती है।

आयोडिन संबंधी समस्या : शरीर में आयोडीन का जरूरत से ज्यादा निर्माण होना

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

थकान, त्वचा व बालू का रूखा होना, कमजोरी, हद से ज्यादा वजन बढ़ जाना, तनाव, ठंड तथा ठंडी चीजों को लेकर संवेदनशीलता बढ़ जाना हाइपोथायरॉएडिज्म के मुख्य लक्षण हैं। इस अवस्था के चलते उत्पन्न होने वाली शारीरिक समस्या इस प्रकार हैं।

थाइरॉएडाइटिस: थायराइड ग्लैंड में जलन और सूजन

हाशिमोतो थाइरॉएडाइटिस: ऑटोइम्यून अवस्था

पोस्टपार्टम थाइरॉएडाइटिस : बच्चे के जन्म के उपरांत महिलाओं में होने वाली एक अवस्था जो कि अस्थाई होती है।

आयोडीन की कमी

थायराइड ग्रंथि का सही तरीके से काम ना करना।

कोरोना के साएँ में ज्यादा सावधानी बरतें थायराइड मरीज

कोविड-19 के इस दौर में कोरोना के अतिरिक्त सभी स्वास्थ्य सेवाएं दूसरे पायदान पर आ गई है। ऐसे में जरूरी है कि विभिन्न प्रकार की समस्याओं, रोग व अवस्थाओं से जूझ रहे लोग अपनी स्थिति का स्वयं ख्याल रखें तथा जरूरी सावधानियां बरतें। थायराइड के मरीजों के लिए भी बहुत जरूरी है कि वह अपनी जीवनशैली और खान-पान सहित रोजमर्रा की आदतों में कुछ विशेष बातों और नियमों का ध्यान रखें।

नियमित तौर पर योग तथा मेडिटेशन का अभ्यास करें , इससे तनाव में कमी आती है। सही खाएं और स्वस्थ खाएं। प्रोसैस्ड भोजन ज ज्यादा तैलीय तथा मसालेदार भोजन खाने से बचें। हमेशा ताजा,हल्का तथा सरलता से पचने वाला भोजन ही ग्रहण करें। इसके अतिरिक्त भावनाओं के प्रभाव में आकर ज्यादा मात्रा में खाना खाने से भी बचें।

चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाइयां नियमित तौर पर ले। यदि संभव हो तो सभी दवाइयों का स्टॉक घर पर रखें जिससे जरूरत पड़ने पर दवाइयों की कमी ना हो।

धूम्रपान तथा शराब के सेवन से बचें, यह दोनों ही चीजें थायराइड के शरीर पर असर तथा उसकी दवाइयों के असर को प्रभावित करते हैं। स्लीप हाइजीन का पालन करें यानी समय से सोए समय से जागे। थायराइड का प्रभाव शरीर पर प्रभाव थकान, कमजोरी तथा बेचैनी के रूप में भी नजर आता है। नींद भी इन कारकों को विशेष तौर पर प्रभावित करती है। इसलिए जरूरी मात्रा में आराम और कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद प्रतिदिन लेना बहुत जरूरी है।

स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के लिए बहुत जरूरी है कि नियमित तौर पर व्यायाम किया जाए। थायराइड अवस्था में वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी होता है, इसलिए भी नियमित तौर पर व्यायाम किया जाना बहुत जरूरी होता है।

जितनी जल्दी संभव हो कोविड-19 का टीकाकरण करवा लें। इसके अतिरिक्त कोविड-19 का कोई भी लक्षण नजर आने पर उसे नजरअंदाज ना करें और तत्काल चिकित्सक से सलाह लेकर उसे अपनी थायराइड समस्या के बारे में अवगत कराकर निर्देशानुसार इलाज शुरू करें।

थायराइड में फायदा पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थ

डॉक्टर शरण्या बताती हैं कि संतुलित आहार जिसमें विशेष तौर पर प्रोटीन, आयोडीन तथा अमीनो एसिड जरूरी मात्रा में हो, और नियम से दवाइयों के सेवन के थायराइड से पीड़ित व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। कुछ विशेष खाद्यपदार्थ के सेवन से थायराइड की अवस्था को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है जो इस प्रकार हैं।

  • केसर
  • केला
  • चने की दाल
  • बेक की हुई मछली
  • खिचड़ी पोंगल
  • रसम दाल या सीफूड के साथ साबुत अनाज

हालांकि इन सभी भोज्य पदार्थों को थायराइड के मरीजों के लिए आदर्श माना जाता है लेकिन फिर भी बहुत जरूरी है कि किसी भी विशेष डाइट या भोजन के इस्तेमाल से पहले चिकित्सक या पोषण विशेषज्ञ से सलाह ले ली जाए। थायराइड से बचाव, उस पर नियंत्रण तथा स्वस्थ जीवन जीने के लिए खाने पीने की अच्छी आदतों के साथ ही स्वस्थ जीवन शैली अपनाना भी बहुत जरूरी है।

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