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कोरोना टीका लगाने में चीन और अमेरिका में क्या अंतर है

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Published : Jan 12, 2021, 3:56 PM IST

अमेरिका में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो गया है, लेकिन फिलहाल काम धीमा चल रहा है. इससे उनकी चिकित्सा व्यवस्था की अव्यवस्थाएं उभर कर सामने आ रही है. प्राथमिकता के अनुसार लगाये जाने वाले टीके की बजाय सांसदों और अमीर लोगों को टीका लगाया जा रहा है.

clutter seen in America's immunization program
अमेरिका के टीकाकरण कार्यक्रम में दिखी अव्यवस्था

हाल में अमेरिका में भी कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो चुका है. यह महामारी में फंसे अमेरिकी लोगों के लिए अच्छी खबर है, लेकिन अब तक वैक्सीन लगाने का काम अनुमान से धीमा रहा और इसमें गड़बड़ी की स्थिति सामने आई है. हम यहां कुछ उदाहरण दे रहे हैं. अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में लोग पंजीकरण करवा कर वैक्सीन लगा सकते हैं. लेकिन लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण बुकिंग वाली वेबसाइट क्रैश हो गयी और बुकिंग लाइन नहीं जोड़ी जा सकी है. कुछ क्षेत्रों में 'पहले आएं पहले पाएं' के नियम से टीका लगाया जाता है, इसलिए बुजुर्गों समेत सभी लोगों को पूरी रात लाइन में इंतजार करना पड़ता है.

आम लोगों को टीका नहीं मिल पा रहा है, पर कुछ विशेष अधिकार वाले लोग टीका लगा चुके हैं. अमेरिका के कई सांसदों ने पहले ही टीके लगाने के फोटो जारी किए. आयोवा की रिपब्लिक सीनेटर जोनी अर्नस्ट ने पिछले 20 दिसंबर को घोषणा की कि उन्होंने कोरोना वैक्सीन लगायी है, तो क्या चिकित्सक, फायरमैन, पुलिसकर्मी और अध्यापक जैसे कर्मियों के लिए सांसदों को टीका लगाने में प्राथमिकता देनी चाहिए? क्या यह निष्पक्ष है?

सांसदों के अलावा, अमीर लोगों को भी पहले वैक्सीन लगाने का मौका मिला. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया के अस्पतालों को काफी ज्यादा अमीर लोगों के टीका लगाने के अनुरोध मिले हैं. वहीं यूसीएलए मेडिकल सेंटर ने चिकित्सा सेवा कार्ड की बिक्री शुरू की. उन्होंने कहा कि जिन ग्राहकों ने कार्ड खरीदे हैं, उन्हें सबसे पहले टीके मिलेंगे.

इसके अलावा, टीके की सुरक्षा पर भी लोगों का ध्यान खींचा गया. अमेरिकी नर्स फाउंडेशन के सर्वेक्षण के अनुसार पूरे अमेरिका में सिर्फ 34 प्रतिशत नर्सें टीका लगवाना चाहती हैं. सर्वेक्षण में शामिल 79 प्रतिशत नर्सों का विचार है कि अब तक चिकित्सकों को वैक्सीन की सुरक्षा और बुरे असर के बारे में पर्याप्त सूचनाएं नहीं मिली हैं.

अमेरिका में कोरोना वैक्सीन के वितरण और भंडारण में भी मुश्किल आई हैं. इन अव्यवस्थाओं ने अमेरिका की चिकित्सा व्यवस्था में मौजूद समस्या को उजागर किया है. इसमें चीन की श्रेष्ठता फिर से दिखती है. अब चीन के विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम सुचारु ढंग से चल रहा है.

चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि चीन में टीका लगाने की संपूर्ण योजना बनायी गयी है. सभी नागरिक मुफ्त में टीका लगाएंगे, सभी फीस चिकित्सा बीमा कोष और सरकार उठाएगी. सबसे पहले कोल्ड चेन परिवहन, पोर्ट संगरोध, जहाज पायलट, विमानन सेवा, ताजा खाद्य बाजार, सार्वजनिक परिवहन, चिकित्सा और रोग नियंत्रण समेत मुख्य कर्मचारियों को वैक्सीन लगायी जाएगी.

आंकड़ों के अनुसार चीन ने कोरोना वैक्सीन के कुल 90 लाख इंजेक्शन लगाये हैं. लगाने वालों में कोई गंभीर प्रभाव नजर नहीं आया है. चीन के कोरोना टीके सुरक्षित हैं.

हाल में अमेरिका में भी कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो चुका है. यह महामारी में फंसे अमेरिकी लोगों के लिए अच्छी खबर है, लेकिन अब तक वैक्सीन लगाने का काम अनुमान से धीमा रहा और इसमें गड़बड़ी की स्थिति सामने आई है. हम यहां कुछ उदाहरण दे रहे हैं. अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में लोग पंजीकरण करवा कर वैक्सीन लगा सकते हैं. लेकिन लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण बुकिंग वाली वेबसाइट क्रैश हो गयी और बुकिंग लाइन नहीं जोड़ी जा सकी है. कुछ क्षेत्रों में 'पहले आएं पहले पाएं' के नियम से टीका लगाया जाता है, इसलिए बुजुर्गों समेत सभी लोगों को पूरी रात लाइन में इंतजार करना पड़ता है.

आम लोगों को टीका नहीं मिल पा रहा है, पर कुछ विशेष अधिकार वाले लोग टीका लगा चुके हैं. अमेरिका के कई सांसदों ने पहले ही टीके लगाने के फोटो जारी किए. आयोवा की रिपब्लिक सीनेटर जोनी अर्नस्ट ने पिछले 20 दिसंबर को घोषणा की कि उन्होंने कोरोना वैक्सीन लगायी है, तो क्या चिकित्सक, फायरमैन, पुलिसकर्मी और अध्यापक जैसे कर्मियों के लिए सांसदों को टीका लगाने में प्राथमिकता देनी चाहिए? क्या यह निष्पक्ष है?

सांसदों के अलावा, अमीर लोगों को भी पहले वैक्सीन लगाने का मौका मिला. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया के अस्पतालों को काफी ज्यादा अमीर लोगों के टीका लगाने के अनुरोध मिले हैं. वहीं यूसीएलए मेडिकल सेंटर ने चिकित्सा सेवा कार्ड की बिक्री शुरू की. उन्होंने कहा कि जिन ग्राहकों ने कार्ड खरीदे हैं, उन्हें सबसे पहले टीके मिलेंगे.

इसके अलावा, टीके की सुरक्षा पर भी लोगों का ध्यान खींचा गया. अमेरिकी नर्स फाउंडेशन के सर्वेक्षण के अनुसार पूरे अमेरिका में सिर्फ 34 प्रतिशत नर्सें टीका लगवाना चाहती हैं. सर्वेक्षण में शामिल 79 प्रतिशत नर्सों का विचार है कि अब तक चिकित्सकों को वैक्सीन की सुरक्षा और बुरे असर के बारे में पर्याप्त सूचनाएं नहीं मिली हैं.

अमेरिका में कोरोना वैक्सीन के वितरण और भंडारण में भी मुश्किल आई हैं. इन अव्यवस्थाओं ने अमेरिका की चिकित्सा व्यवस्था में मौजूद समस्या को उजागर किया है. इसमें चीन की श्रेष्ठता फिर से दिखती है. अब चीन के विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम सुचारु ढंग से चल रहा है.

चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि चीन में टीका लगाने की संपूर्ण योजना बनायी गयी है. सभी नागरिक मुफ्त में टीका लगाएंगे, सभी फीस चिकित्सा बीमा कोष और सरकार उठाएगी. सबसे पहले कोल्ड चेन परिवहन, पोर्ट संगरोध, जहाज पायलट, विमानन सेवा, ताजा खाद्य बाजार, सार्वजनिक परिवहन, चिकित्सा और रोग नियंत्रण समेत मुख्य कर्मचारियों को वैक्सीन लगायी जाएगी.

आंकड़ों के अनुसार चीन ने कोरोना वैक्सीन के कुल 90 लाख इंजेक्शन लगाये हैं. लगाने वालों में कोई गंभीर प्रभाव नजर नहीं आया है. चीन के कोरोना टीके सुरक्षित हैं.

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