चीन सरकार ने 3 फरवरी को कोविड-19 वैक्सीन कार्यान्वयन योजना (कोवैक्स) के लिए टीके के 1 करोड़ खुराकें प्रदान करने का एलान किया, जिनका विकासशील देशों की आवश्यकताओं में उपयोग किया जाता है। चीन के इस कदम को कई देशों ने सराहा है। वैक्सीन को एक वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद के रूप में बढ़ावा देने में चीन की कथनी-करनी समान है।
वर्तमान में चीन सरकार द्वारा प्रदत्त वैक्सीन सहायता का पहला बैच पाकिस्तान पहुंच गया है। इसके साथ ही चीन 13 विकासशील देशों को वैक्सीन सहायता दे रहा है और अगला कदम जरूरतमंद 38 अन्य विकासशील देशों को वैक्सीन सहायता देना है। इसके अलावा, चीन वैक्सीन के संयुक्त अनुसंधान, विकास और सहकारी उत्पादन को लेकर चीनी उद्योगों का विदेशी उद्योगों के साथ सहयोग करने का समर्थन करता है, और साथ ही संबंधित कंपनियों को उन देशों को टीके निर्यात करने का समर्थन करता है जिन्हें टीकों की आवश्यकता होती है, चीनी टीकों को मान्यता देते हैं, और अपने आप में चीनी टीकों के आपातकालीन उपयोग को अधिकृत करते हैं।
विदेशों में वैक्सीन की एक-एक खुराक चीन की वैश्विक भागीदार के रूप में ईमानदारी दिखाई दे रही है। असंपूर्ण आंकड़ों के अनुसार, अब तक 40 से अधिक देशों ने चीनी टीके आयात करने की मांग की। इंडोनेशिया, तुर्की, सेशेल्स, जॉर्डन और अन्य देशों के नेताओं ने चीनी टीका लगवाया। जर्मन आर्थिक साप्ताहिक वेबसाइट ने कहा कि यूरोपीय संघ के मुख्य क्षेत्रों में लोगों ने पहले से ही सार्वजनिक रूप से चीन और रूस की वैक्सीन को मंजूरी देने पर विचार किया है। वैश्विक गांव में यह समझना मुश्किल नहीं है कि चीनी टीके अधिक से अधिक पसंद किए जा रहे हैं।
चीनी टीकों की सुरक्षा और प्रभावशीलता का परीक्षण किया गया है, जिसकी उचित कीमत कम विकसित देशों के आर्थिक बोझ को काफी कम कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ विकसित देशों द्वारा उत्पादित वैक्सीन माइनस 70 डिग्री सेल्सियस के भंडारण की स्थिति की तुलना में चीनी वैक्सीन को केवल 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के भंडारण और परिवहन वातावरण की आवश्यकता होती है, जो स्पष्ट रूप से विकासशील देशों में टीके प्राप्त करने की संभावना को बहुत बढ़ाता है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब कुछ पश्चिमी देश वैक्सीन राष्ट्रवाद में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं, लेकिन चीन के टीके महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक एकता के लिए योगदान दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि महामारी के सामने कोई भी नहीं बच सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से टीके के निष्पक्ष वितरण करने की अपील की, ताकि हर एक व्यक्ति को टीका मिल सके।
इसे देखा जाए, तो चीन के टीकों के वैश्विक मान्यता हासिल करने का और गहरा कारण मौजूद है। वह यह है कि चीन ने व्यापक विकासशील देशों का ख्याल रखते हुए वैक्सीन राष्ट्रवाद के मुकाबले में सक्रिय भूमिका निभाई है। विकासशील देशों में टीकों की उचित पहुंच न केवल महामारी पर दुनिया की अंतिम जीत की कुंजी है, बल्कि वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार की कुंजी भी है।
छोटी वैक्सीन बड़ी जिम्मेदारी, चीन का योगदान 1 करोड़ टीके से ज्यादा - हेल्थ
चीन का एक शहर वुहान जहां से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी। वहीं पूरी दुनिया ने कोरोना वायरस को लेकर चीन की काफी आलोचना की थी। लेकिन चीन ने 3 फरवरी को कोविड-19 वैक्सीन कार्यान्वयन योजना (कोवैक्स) के लिए टीके के 1 करोड़ खुराकें प्रदान करने का एलान किया। साथ ही चीन सरकार ने 13 विकासशील देशों को वैक्सीन सहायता दे रहा है और बाकी 38 विकासशील देशों को वैक्सीन सहायता देना है।
चीन सरकार ने 3 फरवरी को कोविड-19 वैक्सीन कार्यान्वयन योजना (कोवैक्स) के लिए टीके के 1 करोड़ खुराकें प्रदान करने का एलान किया, जिनका विकासशील देशों की आवश्यकताओं में उपयोग किया जाता है। चीन के इस कदम को कई देशों ने सराहा है। वैक्सीन को एक वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद के रूप में बढ़ावा देने में चीन की कथनी-करनी समान है।
वर्तमान में चीन सरकार द्वारा प्रदत्त वैक्सीन सहायता का पहला बैच पाकिस्तान पहुंच गया है। इसके साथ ही चीन 13 विकासशील देशों को वैक्सीन सहायता दे रहा है और अगला कदम जरूरतमंद 38 अन्य विकासशील देशों को वैक्सीन सहायता देना है। इसके अलावा, चीन वैक्सीन के संयुक्त अनुसंधान, विकास और सहकारी उत्पादन को लेकर चीनी उद्योगों का विदेशी उद्योगों के साथ सहयोग करने का समर्थन करता है, और साथ ही संबंधित कंपनियों को उन देशों को टीके निर्यात करने का समर्थन करता है जिन्हें टीकों की आवश्यकता होती है, चीनी टीकों को मान्यता देते हैं, और अपने आप में चीनी टीकों के आपातकालीन उपयोग को अधिकृत करते हैं।
विदेशों में वैक्सीन की एक-एक खुराक चीन की वैश्विक भागीदार के रूप में ईमानदारी दिखाई दे रही है। असंपूर्ण आंकड़ों के अनुसार, अब तक 40 से अधिक देशों ने चीनी टीके आयात करने की मांग की। इंडोनेशिया, तुर्की, सेशेल्स, जॉर्डन और अन्य देशों के नेताओं ने चीनी टीका लगवाया। जर्मन आर्थिक साप्ताहिक वेबसाइट ने कहा कि यूरोपीय संघ के मुख्य क्षेत्रों में लोगों ने पहले से ही सार्वजनिक रूप से चीन और रूस की वैक्सीन को मंजूरी देने पर विचार किया है। वैश्विक गांव में यह समझना मुश्किल नहीं है कि चीनी टीके अधिक से अधिक पसंद किए जा रहे हैं।
चीनी टीकों की सुरक्षा और प्रभावशीलता का परीक्षण किया गया है, जिसकी उचित कीमत कम विकसित देशों के आर्थिक बोझ को काफी कम कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ विकसित देशों द्वारा उत्पादित वैक्सीन माइनस 70 डिग्री सेल्सियस के भंडारण की स्थिति की तुलना में चीनी वैक्सीन को केवल 2 डिग्री सेल्सियस से 8 डिग्री सेल्सियस के भंडारण और परिवहन वातावरण की आवश्यकता होती है, जो स्पष्ट रूप से विकासशील देशों में टीके प्राप्त करने की संभावना को बहुत बढ़ाता है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब कुछ पश्चिमी देश वैक्सीन राष्ट्रवाद में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं, लेकिन चीन के टीके महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक एकता के लिए योगदान दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि महामारी के सामने कोई भी नहीं बच सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से टीके के निष्पक्ष वितरण करने की अपील की, ताकि हर एक व्यक्ति को टीका मिल सके।
इसे देखा जाए, तो चीन के टीकों के वैश्विक मान्यता हासिल करने का और गहरा कारण मौजूद है। वह यह है कि चीन ने व्यापक विकासशील देशों का ख्याल रखते हुए वैक्सीन राष्ट्रवाद के मुकाबले में सक्रिय भूमिका निभाई है। विकासशील देशों में टीकों की उचित पहुंच न केवल महामारी पर दुनिया की अंतिम जीत की कुंजी है, बल्कि वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार की कुंजी भी है।