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क्या इनफ्लुएंजा वैक्सीन बच्चों में कोरोना के खतरे को कर सकती है कम?

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अलग-अलग तरह की बातें सामने आ रही हैं। वहीं इस संबंध में कुछ रिपोर्ट या खबरे यह भी बता रही हैं कि यह लहर बच्चों पर घातक हो सकती है। क्योंकि बच्चों के लिए अभी तक कोरोना वैक्सीन संबंधी कोई भी सूचना जारी नहीं की गई है ऐसे में कई चिकित्सक कम उम्र के बच्चों को फ्लू और निमोनिया का टीका लगवाने के सलाह दे रहे हैं क्योंकि इससे उनकी इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है।

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इनफ्लुएंजा वैक्सीन बच्चों में कोरोना
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Published : Jul 24, 2021, 5:41 PM IST

अमेरिका में कोविड-19 से संक्रमित बच्चों के बीच कराए गए कुछ अध्ययनों के नतीजों से पता चला है कि जिन बच्चों को साल 2019-20 में इनफ्लुएंजा वैक्सीन का टीका लगा था उनमें कोरोनावायरस जोखिम अन्य बच्चों के मुकाबले काफी कम पाया गया था। इसी विचार के साथ ही भारत में भी बाल रोग विशेषज्ञ छोटे बच्चों के अभिभावकों को उन्हे इनफ्लुएंजा/फ्लू/ निमोनिया की वैक्सीन लगवाने की सिफारिश कर रहे हैं। क्या फ्लू की वैक्सीन बच्चों में कोरोना के जोखिम को कम करने में सक्षम है,इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत सुखी भव ने इंदौर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सोनाली नवले पुरंदरे से बात हुई।

कुछ हद तक जोखिम को कम कर सकता है इन्फ्लुएंजा का टीका या फ्लू शॉट

डॉ सोनाली बताती हैं कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चे सुरक्षित रहें इसके लिए बहुत जरूरी है उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहे। वैसे भी मानसून और बारिश के मौसम में ज्यादातर बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार और श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों का आमतौर पर शिकार बन जाते हैं। ऐसे में इन्फ्लुएंजा की दवाई या टीका बच्चों को काफी राहत पहुंचाता है।

वे बताती हैं की कोरोना वायरस और इनफ्लुएंजा वायरस के लक्षणों में कुछ समानताएं पाई जाती हैं। ऐसे में यदि कम उम्र वाले बच्चों को इनफ्लुएंजा/फ्लू/ निमोनिया के टीके की सुरक्षा दी जाए तो उन्हे न सिर्फ कोरोना की शुरुआती असर से बचाया जा सकता है बल्कि संक्रमण होने की अवस्था में भी गंभीर स्थिति में पहुंचने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

गौरतलब है कि इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स भी 5 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को सालाना तौर पर फ्लू शॉट देने की सलाह देता है, जिससे बच्चे किसी भी प्रकार के मौसमी या वायरस के कारण उत्पन्न होने वाले संक्रमण के प्रभाव से बचे रह सके।

गौरतलब है कि अभी तक हमारे देश में बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, हालांकि इसे लेकर कुछ परीक्षण अवश्य चल रहे हैं जिनके अनुसार सितंबर या अक्टूबर से पहले वैक्सीन उपलब्ध होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।हालांकि सरकारी तौर पर बच्चों को कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाने के लिए फ्लू की वैक्सीन को विकल्प के तौर पर अपनाने के संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं।

कोरोना का वैक्सीन लगवाना जरूरी है

डॉ सोनाली बताती हैं कि हालांकि फ्लू का वैक्सीन कुछ हद तक बच्चों कुछ संक्रमण से बचाने में सक्षम हो सकती है लेकिन इस वायरस के प्रभाव से बचने के लिए कोरोनावायरस का टीकाकरण ही सबसे उपयोगी और सुरक्षित रहेगा। इसलिए भले हो अभिभावक अपने बच्चों को फिलहाल फ्लू का टीका लगवा लें, लेकिन जैसे ही बाजार में कोरोना की वैक्सीन आती है उसे लगवाना बहुत जरूरी है।

डॉ सोनाली यह भी बताती हैं कि कोरोनावायरस की वजह से जो बच्चे अपने नियमित टीकाकरण या दवाइयों की खुराक से चूक गए हैं,उनका टीकाकरण शीघ्र अति शीघ्र अपना पूरा किया जाना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों की इम्यूनिटी को दुरुस्त किया जा सकता है जिससे संक्रमण के प्रभाव से बच सकें।

बच्चों को समझाए सफाई व सुरक्षा की जरूरत

डॉ सोनाली बताती है कि सिर्फ टीकाकरण के जरिए ही नहीं बल्कि वर्तमान समय में बहुत जरूरी है कि बच्चे को बहुत छोटी उम्र से ही साफ-सफाई की आदत डाली जाए। मास्क का नियमित इस्तेमाल, नियमित तौर पर हाथों की सफाई तथा घर से बाहर जाने पर मुंह तथा शरीर के अन्य अंगों को बार-बार ना छूने की आदतों की जरूरत के बारे में उन्हें समझाया जाना चाहिए। विशेष तौर पर जब बच्चे खेलने के लिए बाहर जाते हैं तो ऐसे में किसी भी चीज को छूने से पहले या बाद में हाथों को सैनिटाइज करना लोगों के साथ बात करते समय या खेलते समय दूरी बनाए रखने की जरूरत के बारे में भी उन्हें समझाना चाहिए।

पढ़ें:एचआईवी और हेपेटाइटिस की तरह, कोविड मां से नवजात शिशु में नहीं हो सकता : विशेषज्ञ

अमेरिका में कोविड-19 से संक्रमित बच्चों के बीच कराए गए कुछ अध्ययनों के नतीजों से पता चला है कि जिन बच्चों को साल 2019-20 में इनफ्लुएंजा वैक्सीन का टीका लगा था उनमें कोरोनावायरस जोखिम अन्य बच्चों के मुकाबले काफी कम पाया गया था। इसी विचार के साथ ही भारत में भी बाल रोग विशेषज्ञ छोटे बच्चों के अभिभावकों को उन्हे इनफ्लुएंजा/फ्लू/ निमोनिया की वैक्सीन लगवाने की सिफारिश कर रहे हैं। क्या फ्लू की वैक्सीन बच्चों में कोरोना के जोखिम को कम करने में सक्षम है,इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत सुखी भव ने इंदौर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सोनाली नवले पुरंदरे से बात हुई।

कुछ हद तक जोखिम को कम कर सकता है इन्फ्लुएंजा का टीका या फ्लू शॉट

डॉ सोनाली बताती हैं कि कोरोना की तीसरी लहर से बच्चे सुरक्षित रहें इसके लिए बहुत जरूरी है उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहे। वैसे भी मानसून और बारिश के मौसम में ज्यादातर बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार और श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों का आमतौर पर शिकार बन जाते हैं। ऐसे में इन्फ्लुएंजा की दवाई या टीका बच्चों को काफी राहत पहुंचाता है।

वे बताती हैं की कोरोना वायरस और इनफ्लुएंजा वायरस के लक्षणों में कुछ समानताएं पाई जाती हैं। ऐसे में यदि कम उम्र वाले बच्चों को इनफ्लुएंजा/फ्लू/ निमोनिया के टीके की सुरक्षा दी जाए तो उन्हे न सिर्फ कोरोना की शुरुआती असर से बचाया जा सकता है बल्कि संक्रमण होने की अवस्था में भी गंभीर स्थिति में पहुंचने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

गौरतलब है कि इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स भी 5 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को सालाना तौर पर फ्लू शॉट देने की सलाह देता है, जिससे बच्चे किसी भी प्रकार के मौसमी या वायरस के कारण उत्पन्न होने वाले संक्रमण के प्रभाव से बचे रह सके।

गौरतलब है कि अभी तक हमारे देश में बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, हालांकि इसे लेकर कुछ परीक्षण अवश्य चल रहे हैं जिनके अनुसार सितंबर या अक्टूबर से पहले वैक्सीन उपलब्ध होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।हालांकि सरकारी तौर पर बच्चों को कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाने के लिए फ्लू की वैक्सीन को विकल्प के तौर पर अपनाने के संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं।

कोरोना का वैक्सीन लगवाना जरूरी है

डॉ सोनाली बताती हैं कि हालांकि फ्लू का वैक्सीन कुछ हद तक बच्चों कुछ संक्रमण से बचाने में सक्षम हो सकती है लेकिन इस वायरस के प्रभाव से बचने के लिए कोरोनावायरस का टीकाकरण ही सबसे उपयोगी और सुरक्षित रहेगा। इसलिए भले हो अभिभावक अपने बच्चों को फिलहाल फ्लू का टीका लगवा लें, लेकिन जैसे ही बाजार में कोरोना की वैक्सीन आती है उसे लगवाना बहुत जरूरी है।

डॉ सोनाली यह भी बताती हैं कि कोरोनावायरस की वजह से जो बच्चे अपने नियमित टीकाकरण या दवाइयों की खुराक से चूक गए हैं,उनका टीकाकरण शीघ्र अति शीघ्र अपना पूरा किया जाना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों की इम्यूनिटी को दुरुस्त किया जा सकता है जिससे संक्रमण के प्रभाव से बच सकें।

बच्चों को समझाए सफाई व सुरक्षा की जरूरत

डॉ सोनाली बताती है कि सिर्फ टीकाकरण के जरिए ही नहीं बल्कि वर्तमान समय में बहुत जरूरी है कि बच्चे को बहुत छोटी उम्र से ही साफ-सफाई की आदत डाली जाए। मास्क का नियमित इस्तेमाल, नियमित तौर पर हाथों की सफाई तथा घर से बाहर जाने पर मुंह तथा शरीर के अन्य अंगों को बार-बार ना छूने की आदतों की जरूरत के बारे में उन्हें समझाया जाना चाहिए। विशेष तौर पर जब बच्चे खेलने के लिए बाहर जाते हैं तो ऐसे में किसी भी चीज को छूने से पहले या बाद में हाथों को सैनिटाइज करना लोगों के साथ बात करते समय या खेलते समय दूरी बनाए रखने की जरूरत के बारे में भी उन्हें समझाना चाहिए।

पढ़ें:एचआईवी और हेपेटाइटिस की तरह, कोविड मां से नवजात शिशु में नहीं हो सकता : विशेषज्ञ

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