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स्वच्छता सर्वे में खुलासा : शौचालय के कारण बच्चे दिख रहे स्वस्थ, कम हो रहीं पेट की बीमारियां

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Published : Jun 8, 2023, 1:14 PM IST

अखिल भारतीय सर्वे में पता चला है कि शौचालयों के चलते बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारियों में भारी कमी आई है, जिसका असर आगे और भी बेहतर दिखेगा..

C Voter Sanitation Survey, children health, toilets
शौचालय और स्वास्थ्य

नई दिल्ली : अखिल भारतीय सर्वे में अधिकतर उत्तरदाताओं की राय है कि शौचालयों के चलते बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारियों में भारी कमी आई है. अप्रैल के अंत में किए गए सर्वे के दौरान, सवाल किया गया कि क्या आपके क्षेत्र में शौचालय का निर्माण होने के बाद बच्चों में पेट की बीमारियों की संख्या में कमी आई है..?

52 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने इस पर अपनी सहमति दी, वहीं पांच में से एक ने दावा किया कि शौचालय के निर्माण के बाद भी बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारी में कोई कमी नहीं आई, वहीं चार में से एक ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कुछ नहीं जानते या कुछ नहीं कह सकते.

C Voter Sanitation Survey, children health impact  due to toilets
शौचालय का बच्चों की बीमारियों पर असर

भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शौचालयों तक पहुंच की कमी को पुरानी पेट की बीमारियों के प्रमुख कारण के रूप में पहचाना है, जो बच्चों में कुपोषण को और बढ़ाता है. गरीबी के स्तर में गिरावट के बावजूद इसे भारत में बाल मृत्यु दर के उच्च रहने के एक प्रमुख कारण के रूप में भी पहचाना गया है. इन बीमारियों से बांग्लादेश में 27 और श्रीलंका में 7 की तुलना में भारत में प्रति 1000 में से 31 बच्चों की मौत हो जाती है.

C Voter Sanitation Survey  toilets schemes
शौचालय की योजना

स्वच्छ भारत अभियान की सफलता और विफलताओं का पता लगाने के लिए भारत भर में सीवोटर फाउंडेशन द्वारा खास सर्वे शुरू किया गया. सर्वे में निम्न आय पृष्ठभूमि के लोगों ने भाग लिया, जिनकी आय 3000 रुपये प्रति माह से कम थी. धारणा यह है कि बहुत गरीब लोग ही खुले में सबसे ज्यादा शौच करते हैं. यह गरीब परिवार ही हैं, जहां बाल मृत्यु दर अधिक दर्ज किए जाते हैं. गैस्ट्रोनॉमिक इंफेक्शन और क्वालिटी हेल्थकेयर तक पहुंच की कमी मुख्य कारक हैं, जो शौचालयों तक पहुंच की कमी से उत्पन्न होते हैं.

भारत में बाल मृत्यु दर का औसत आंकड़ा 31 है, इसके मुकाबले भारत के सबसे गरीब राज्य बिहार में यह आंकड़ा 56 है. सीवोटर फाउंडेशन इस सर्वे के प्रारंभिक दायरे को एक बड़े पैमाने पर विस्तारित करेगा, जो इस मुद्दे पर राज्यवार रैंकिंग की सुविधा प्रदान करेगा.

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--आईएएनएस

नई दिल्ली : अखिल भारतीय सर्वे में अधिकतर उत्तरदाताओं की राय है कि शौचालयों के चलते बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारियों में भारी कमी आई है. अप्रैल के अंत में किए गए सर्वे के दौरान, सवाल किया गया कि क्या आपके क्षेत्र में शौचालय का निर्माण होने के बाद बच्चों में पेट की बीमारियों की संख्या में कमी आई है..?

52 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने इस पर अपनी सहमति दी, वहीं पांच में से एक ने दावा किया कि शौचालय के निर्माण के बाद भी बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारी में कोई कमी नहीं आई, वहीं चार में से एक ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कुछ नहीं जानते या कुछ नहीं कह सकते.

C Voter Sanitation Survey, children health impact  due to toilets
शौचालय का बच्चों की बीमारियों पर असर

भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शौचालयों तक पहुंच की कमी को पुरानी पेट की बीमारियों के प्रमुख कारण के रूप में पहचाना है, जो बच्चों में कुपोषण को और बढ़ाता है. गरीबी के स्तर में गिरावट के बावजूद इसे भारत में बाल मृत्यु दर के उच्च रहने के एक प्रमुख कारण के रूप में भी पहचाना गया है. इन बीमारियों से बांग्लादेश में 27 और श्रीलंका में 7 की तुलना में भारत में प्रति 1000 में से 31 बच्चों की मौत हो जाती है.

C Voter Sanitation Survey  toilets schemes
शौचालय की योजना

स्वच्छ भारत अभियान की सफलता और विफलताओं का पता लगाने के लिए भारत भर में सीवोटर फाउंडेशन द्वारा खास सर्वे शुरू किया गया. सर्वे में निम्न आय पृष्ठभूमि के लोगों ने भाग लिया, जिनकी आय 3000 रुपये प्रति माह से कम थी. धारणा यह है कि बहुत गरीब लोग ही खुले में सबसे ज्यादा शौच करते हैं. यह गरीब परिवार ही हैं, जहां बाल मृत्यु दर अधिक दर्ज किए जाते हैं. गैस्ट्रोनॉमिक इंफेक्शन और क्वालिटी हेल्थकेयर तक पहुंच की कमी मुख्य कारक हैं, जो शौचालयों तक पहुंच की कमी से उत्पन्न होते हैं.

भारत में बाल मृत्यु दर का औसत आंकड़ा 31 है, इसके मुकाबले भारत के सबसे गरीब राज्य बिहार में यह आंकड़ा 56 है. सीवोटर फाउंडेशन इस सर्वे के प्रारंभिक दायरे को एक बड़े पैमाने पर विस्तारित करेगा, जो इस मुद्दे पर राज्यवार रैंकिंग की सुविधा प्रदान करेगा.

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--आईएएनएस

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