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सी-सेक्शन प्रसव: जटिल अवस्था में जीवन रक्षक - प्लेसेंटा प्रीविया

पिछले एक दशक में हमारे देश में सी-सेक्शन यानी सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों की माने तो सरकारी अस्पतालों में 300% से ज्यादा तथा निजी अस्पतालों में 400% से ज्यादा सी-सेक्शन प्रसव के मामले बढ़े है। सी-सेक्शन प्रसव के लगातर बढ़ रहे मामलों ने चिकित्सा शास्त्रियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है की बच्चे के जन्म के लिए सी-सेक्शन लोगों की मजबूरी की बजाय सुविधाजनक तथा अपेक्षाकृत सरल प्रसव का विकल्प तो नही बनता जा रहा है?

सी-सेक्शन प्रसव: जटिल अवस्था में जीवन रक्षक
C-Section: Sometimes A Crucial Life Saving Birth Modality
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Published : May 19, 2021, 7:37 PM IST

शल्य चिकित्सा यानी ऑपरेशन के माध्यम से शिशु के जन्म की प्रक्रिया सिजेरियन या सी-सेक्शन कहलाती है। इसमें शिशु का जन्म योनि की बजाय आपके पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर करवाया जाता है। आमतौर पर प्राकृतिक प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं की अवस्था में प्रसव के इस माध्यम का चिकित्सक उपयोग करते है। लेकिन वर्तमान समय में सामान्य प्रसव के दौरान होने वाले दर्द तथा अन्य समस्याओं से बचने के लिए लोग सी-सेक्शन प्रसव को अपनाते हैं । वही कुछ चिकित्सक भी मुनाफे तथा कम जटिलताओं की संभावना के चलते सी-सेक्शन प्रसव को प्रमुखता देते है।

अगर मुनाफे वाली सोच से इतर देखा जाए तो सी-सेक्शन के जरिए बच्चे का जन्म उन माताओं के लिए आशीर्वाद से कम नहीं है जो विभिन्न कारणों से गर्भावस्था के दौरान गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हो। वही शारीरिक रूप से कमजोर तथा विभिन्न प्रकार की समस्या झेल रहे बच्चों के लिए भी जन्म की प्रक्रिया इस पद्धति में सरल हो जाती है तथा उनकी जान जाने का खतरा भी काफी कम हो जाता है। सिजेरियन ऑपरेशन या सी सेक्शन के दो प्रचलित प्रकार माने गए हैं। पहला वैकल्पिक तथा दूसरा आपातकालीन।

वैकल्पिक सी-सेक्शन प्रसव

विभिन्न शारीरिक समस्याओं या गर्भ में बच्चे की अवस्था के चलते यदि चिकित्सक को पहले से पता हो कि प्रसव में जटिलताएं आ सकती है तथा माता तथा बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है तो ऐसे में चिकित्सक सी-सेक्शन प्रक्रिया को अपनाते है।

यह अवस्था वैकल्पिक सी-सेक्शन प्रसव कहलाती है। ऐसी चिकित्सीय अवस्थाएं जिनमें माँ व बच्चे की सुरक्षा के लिए सिजेरियन ऑपरेशन किया जाना जरूरी माना जाता है, इस प्रकार हैं।

  • केफलो-पेलविक डिस्प्रोपोरशन

यदि जच्चा की श्रोणि में कोई समस्या हो तो बर्थ कैनाल से प्राकृतिक रूप से शिशु को जन्म देना महिला के लिए मुश्किल हो जाता है। वहीं यदि महिला की श्रोणि का आकार छोटा हो और शिशु के सिर का आकार बर्थ कैनाल से बड़ा हो तो भी प्राकृतिक रूप से प्रसव जटिल हो सकता है।

  • प्लेसेंटा प्रीविया

यह गर्भनाल से जुड़ी समस्या है जिसमें गर्भनाल अपने स्थान से हिल कर गर्भाशय के नीचे पहुंच जाती है और प्रसव के दौरान शिशु के बाहर निकलने के रास्ते को अवरुद्ध कर सकती है। इस अवस्था में योनि से रक्तस्त्राव हो सकता है। वहीं इस समस्या में कभी-कभी योनि से शिशु के जन्म की प्रक्रिया में प्लेसेंटा शिशु से पहले शरीर से बाहर आ जाता है , यह अवस्था बच्चे के लिए जानलेवा हो सकती है।

  • बच्चे की अवस्था

सामान्य अवस्था में जन्म के समय पहले बच्चे का सिर माता के शरीर से बाहर आता है। लेकिन यदि गर्भ में बच्चे की अवस्था उल्टी हो तो प्रसव के समय सिर की बजाय पहले पैर बाहर आने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में सी सेक्शन डिलीवरी की जाती है। इस स्थिति को ब्रीच कहा जाता है,

गर्भ में दो या दो से ज्यादा शिशु का होना

यदि माता के गर्भ में दो या दों से ज्यादा शिशु हो और पहला शिशु सिर के बजाय पैरों की तरफ से बर्थ कैनाल से बाहर आ रहा हो तो भी सी सेक्शन किया जाता है।

पहले सी- सेक्शन द्वारा शिशु को जन्म दिया गया हो

जिन महिलाओं की एक बार सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी हो, तो ज्यादातर मामलों में उनका दूसरा प्रसव भी सी-सेक्‍शन से ही होता है।

इमरजेंसी सी-सेक्शन प्रसव

किसी गंभीर तथा लंबे समय से चली आ रही स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से ग्रस्‍त महिला को भी सी- सेक्शन प्रसव की सलाह दी जाती है। इनमें ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप तथा जेस्‍टेशनल डायबिटीज जैसी समस्याएं शामिल है। इन स्थितियों में सामान्य प्रसव मां तथा बच्चे दोनों के लिए जोखिमभरा साबित हो सकता है। यदि मां को एचआईवी, हर्पीस, या अन्‍य कोई इंफेक्‍शन है, तो भी सी सेक्‍शन किया जा सकता है।

इमरजेंसी सी-सेक्शन के चिकित्सीय कारण

  • घातक परिस्थितियां या फेटल डिस्ट्रेस

ऐसी अवस्था जब गर्भ में बच्चे के दिल की धड़कन कम या ज्यादा हो रही हो या फिर किसी समस्या के चलते उसे ऑक्सीजन जरूरी मात्रा में प्राप्त ना हो पा रही हो, तो ऐसी परिस्थितियां बच्चे की जान के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसी अवस्था में सामान्य प्रसव बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इमरजेंसी प्रसव के लिए सी-सेक्शन या फोरसेप डिलीवरी की मदद ली जाती है

  • घातक मैकोनियम

मेकोनियम बच्चे का पहला शौच होता है। यदि शिशु प्रसव से पहले, उसके दौरान या बाद में मेकोनियम से गुजरता है। तो इससे मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम या एमएएस हो सकता है। इस अवस्था में बच्चे के लिए अपार जटिलताएँ हो सकती हैं और यह एक मेडिकल इमरजेंसी है। इस अवस्था में इमरजेंसी प्रसव के लिए सी-सेक्शन किया जाता है।

  • माता के रक्तचाप में उतार-चढ़ाव

प्रसव के दौरान यदि माता का रक्तचाप का हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो हेमरेज तथा कई अन्य प्रकार की जानलेवा समस्याए हो सकती है। इसलिए रक्तचाप के कम या ज्यादा होने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचने के लिए इमरजेंसी सी-सेक्शन किया जा सकता है।

  • प्राकृतिक प्रसव में अवरोध या उसका रुक जाना

प्राकृतिक प्रसव की प्रक्रिया के दौरान यदि किसी कारण वश प्रसव बीच में रुक जाए या दर्द आने की गति कम हो जाये तो ऐसे में चिकित्सक सिजेरियन करवाने की सलाह देते है, जिससे शिशु का जन्म जल्दी तथा सुरक्षित तरीके से हो सके।प्रसव के दौरान ऐसी जटिलता के चलते माँ और शिशु, दोनों की जान को खतरा हो सकता है।

सरल नही होता है सी- सेक्शन प्रसव

प्रसव का माध्यम चाहे प्राकृतिक हो या फिर सी-सेक्शन, जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। लोगों को लगता है की सी-सेक्शन प्रक्रिया अपेक्षाकृत कम पीड़ादायक तथा सरल होती है लेकिन ऐसा नही है। सी-सेक्शन के उपरांत माता को काफी ज्यादा सावधानीया बरतनी पड़ती है। ऑपरेशन के माध्यम से होने वाले प्रसव के उपरांत माता को सर्जरी के पार्श्व प्रभावों से उबरने के लिए लंबा समय लगता है साथ ही उन्हे बच्चे की देखभाल करने के लिए अतिरिक्त सहायता की भी जरूरत पड़ती है।

शल्य चिकित्सा यानी ऑपरेशन के माध्यम से शिशु के जन्म की प्रक्रिया सिजेरियन या सी-सेक्शन कहलाती है। इसमें शिशु का जन्म योनि की बजाय आपके पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर करवाया जाता है। आमतौर पर प्राकृतिक प्रसव के दौरान आने वाली जटिलताओं की अवस्था में प्रसव के इस माध्यम का चिकित्सक उपयोग करते है। लेकिन वर्तमान समय में सामान्य प्रसव के दौरान होने वाले दर्द तथा अन्य समस्याओं से बचने के लिए लोग सी-सेक्शन प्रसव को अपनाते हैं । वही कुछ चिकित्सक भी मुनाफे तथा कम जटिलताओं की संभावना के चलते सी-सेक्शन प्रसव को प्रमुखता देते है।

अगर मुनाफे वाली सोच से इतर देखा जाए तो सी-सेक्शन के जरिए बच्चे का जन्म उन माताओं के लिए आशीर्वाद से कम नहीं है जो विभिन्न कारणों से गर्भावस्था के दौरान गंभीर समस्याओं का सामना कर रही हो। वही शारीरिक रूप से कमजोर तथा विभिन्न प्रकार की समस्या झेल रहे बच्चों के लिए भी जन्म की प्रक्रिया इस पद्धति में सरल हो जाती है तथा उनकी जान जाने का खतरा भी काफी कम हो जाता है। सिजेरियन ऑपरेशन या सी सेक्शन के दो प्रचलित प्रकार माने गए हैं। पहला वैकल्पिक तथा दूसरा आपातकालीन।

वैकल्पिक सी-सेक्शन प्रसव

विभिन्न शारीरिक समस्याओं या गर्भ में बच्चे की अवस्था के चलते यदि चिकित्सक को पहले से पता हो कि प्रसव में जटिलताएं आ सकती है तथा माता तथा बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है तो ऐसे में चिकित्सक सी-सेक्शन प्रक्रिया को अपनाते है।

यह अवस्था वैकल्पिक सी-सेक्शन प्रसव कहलाती है। ऐसी चिकित्सीय अवस्थाएं जिनमें माँ व बच्चे की सुरक्षा के लिए सिजेरियन ऑपरेशन किया जाना जरूरी माना जाता है, इस प्रकार हैं।

  • केफलो-पेलविक डिस्प्रोपोरशन

यदि जच्चा की श्रोणि में कोई समस्या हो तो बर्थ कैनाल से प्राकृतिक रूप से शिशु को जन्म देना महिला के लिए मुश्किल हो जाता है। वहीं यदि महिला की श्रोणि का आकार छोटा हो और शिशु के सिर का आकार बर्थ कैनाल से बड़ा हो तो भी प्राकृतिक रूप से प्रसव जटिल हो सकता है।

  • प्लेसेंटा प्रीविया

यह गर्भनाल से जुड़ी समस्या है जिसमें गर्भनाल अपने स्थान से हिल कर गर्भाशय के नीचे पहुंच जाती है और प्रसव के दौरान शिशु के बाहर निकलने के रास्ते को अवरुद्ध कर सकती है। इस अवस्था में योनि से रक्तस्त्राव हो सकता है। वहीं इस समस्या में कभी-कभी योनि से शिशु के जन्म की प्रक्रिया में प्लेसेंटा शिशु से पहले शरीर से बाहर आ जाता है , यह अवस्था बच्चे के लिए जानलेवा हो सकती है।

  • बच्चे की अवस्था

सामान्य अवस्था में जन्म के समय पहले बच्चे का सिर माता के शरीर से बाहर आता है। लेकिन यदि गर्भ में बच्चे की अवस्था उल्टी हो तो प्रसव के समय सिर की बजाय पहले पैर बाहर आने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में सी सेक्शन डिलीवरी की जाती है। इस स्थिति को ब्रीच कहा जाता है,

गर्भ में दो या दो से ज्यादा शिशु का होना

यदि माता के गर्भ में दो या दों से ज्यादा शिशु हो और पहला शिशु सिर के बजाय पैरों की तरफ से बर्थ कैनाल से बाहर आ रहा हो तो भी सी सेक्शन किया जाता है।

पहले सी- सेक्शन द्वारा शिशु को जन्म दिया गया हो

जिन महिलाओं की एक बार सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी हो, तो ज्यादातर मामलों में उनका दूसरा प्रसव भी सी-सेक्‍शन से ही होता है।

इमरजेंसी सी-सेक्शन प्रसव

किसी गंभीर तथा लंबे समय से चली आ रही स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से ग्रस्‍त महिला को भी सी- सेक्शन प्रसव की सलाह दी जाती है। इनमें ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप तथा जेस्‍टेशनल डायबिटीज जैसी समस्याएं शामिल है। इन स्थितियों में सामान्य प्रसव मां तथा बच्चे दोनों के लिए जोखिमभरा साबित हो सकता है। यदि मां को एचआईवी, हर्पीस, या अन्‍य कोई इंफेक्‍शन है, तो भी सी सेक्‍शन किया जा सकता है।

इमरजेंसी सी-सेक्शन के चिकित्सीय कारण

  • घातक परिस्थितियां या फेटल डिस्ट्रेस

ऐसी अवस्था जब गर्भ में बच्चे के दिल की धड़कन कम या ज्यादा हो रही हो या फिर किसी समस्या के चलते उसे ऑक्सीजन जरूरी मात्रा में प्राप्त ना हो पा रही हो, तो ऐसी परिस्थितियां बच्चे की जान के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। ऐसी अवस्था में सामान्य प्रसव बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इमरजेंसी प्रसव के लिए सी-सेक्शन या फोरसेप डिलीवरी की मदद ली जाती है

  • घातक मैकोनियम

मेकोनियम बच्चे का पहला शौच होता है। यदि शिशु प्रसव से पहले, उसके दौरान या बाद में मेकोनियम से गुजरता है। तो इससे मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम या एमएएस हो सकता है। इस अवस्था में बच्चे के लिए अपार जटिलताएँ हो सकती हैं और यह एक मेडिकल इमरजेंसी है। इस अवस्था में इमरजेंसी प्रसव के लिए सी-सेक्शन किया जाता है।

  • माता के रक्तचाप में उतार-चढ़ाव

प्रसव के दौरान यदि माता का रक्तचाप का हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो हेमरेज तथा कई अन्य प्रकार की जानलेवा समस्याए हो सकती है। इसलिए रक्तचाप के कम या ज्यादा होने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचने के लिए इमरजेंसी सी-सेक्शन किया जा सकता है।

  • प्राकृतिक प्रसव में अवरोध या उसका रुक जाना

प्राकृतिक प्रसव की प्रक्रिया के दौरान यदि किसी कारण वश प्रसव बीच में रुक जाए या दर्द आने की गति कम हो जाये तो ऐसे में चिकित्सक सिजेरियन करवाने की सलाह देते है, जिससे शिशु का जन्म जल्दी तथा सुरक्षित तरीके से हो सके।प्रसव के दौरान ऐसी जटिलता के चलते माँ और शिशु, दोनों की जान को खतरा हो सकता है।

सरल नही होता है सी- सेक्शन प्रसव

प्रसव का माध्यम चाहे प्राकृतिक हो या फिर सी-सेक्शन, जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। लोगों को लगता है की सी-सेक्शन प्रक्रिया अपेक्षाकृत कम पीड़ादायक तथा सरल होती है लेकिन ऐसा नही है। सी-सेक्शन के उपरांत माता को काफी ज्यादा सावधानीया बरतनी पड़ती है। ऑपरेशन के माध्यम से होने वाले प्रसव के उपरांत माता को सर्जरी के पार्श्व प्रभावों से उबरने के लिए लंबा समय लगता है साथ ही उन्हे बच्चे की देखभाल करने के लिए अतिरिक्त सहायता की भी जरूरत पड़ती है।

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