योग में मान्यता है की जीवन की गुणवत्ता, बीमारियों और शरीर में दर्द की अनुपस्थिति के साथ मन की शांति, ऊर्जा का संचार और अंततः आपके अभ्यास में स्वायत्तता के उच्च स्तर तक पहुंचने की क्षमता से मापी जाती है। योग, जीवन के हर उदाहरण और योगिक अभ्यास के प्रति एक बहुत ही सटीक, प्रत्यक्ष और व्यावहारिक दृष्टिकोण रखता है। लेकिन योग से तात्पर्य सिर्फ आसन करना नहीं है। योग आसनों का सम्पूर्ण लाभ हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तक तभी पहुंच सकता है जब योग का अभ्यास जरूरी नियमों और निर्देशों के अनुसार किया जाय।
सर्वा फाउंडेशन के संस्थापक, सर्वेश शशि बताते हैं की यदि आप योग आसनों का अभ्यास शुरू करने को इच्छुक हैं, तो बेहतर परिणाम के लिये इन 10 आसान बातों को ध्यान में अवश्य रखें|
- सबसे पहले योग अभ्यास के लिये एक समय और स्थान निश्चित कर लें। ध्यान दें की व्यायाम के लिये ऐसा समय निर्धारित करें जब आपके शरीर में आराम की अवधि के बाद अच्छी ऊर्जा हो। आप अपनी सुविधा के अनुसार सुबह या शाम, कोई भी समय निर्धारित कर सकते हैं।
- योग हमेशा खाली पेट करें। भोजन करने के कम से कम 2 घंटे बाद ही योग अभ्यास करना चाहिए। इन 2 घंटों में थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।
- योग का अभ्यास करते समय फर्श के सीधे संपर्क से बचना चाहिए, इसलिए हमेशा चटाई, कंबल या योगा मैट पर ही अभ्यास करें। यह आपके अभ्यास को सरल तो बनता ही है, साथ ही आपके जोड़ों को तकलीफ से दूर रखता है और ठंडी ज़मीन पर ऊर्जा हस्तांतरण से बचाता है|
- व्यायाम के दौरान ध्यान भटकना स्वाभाविक होता है इसलिए योग अभ्यास इस तरह से करें की अभ्यास की पूरी अवधि के लिए ध्यान, योग अभ्यास पर ही केंद्रित हो। उदाहरण के लिए व्यायाम के दौरान अगर आप अपने फ़ोन को साइलेंट पर नहीं रख सकते हैं,तो यदि संभव हो तो उसे बगल के कमरे में छोड़ दें। इसके अतिरिक्त हेडफ़ोन की भी मदद ली जा सकती है।
- योगाभ्यास की शुरुआत हमेशा एक अच्छे वार्म अप से ही करनी चाहिए। जिससे आपके पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण बढ़ जाए। इससे योगाभ्यास के बेहतर परिणाम मिलते हैं| योग में सूर्य नमस्कार को उत्कृष्ट वार्म अप अभ्यास माना जाता है।
- विशिष्ट आसनों के प्रभावी और असरदार अभ्यास के लिए अपने श्वास पैटर्न पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। आपके अभ्यास के प्रत्येक चरण में साँस लेने और छोड़ने का पैटर्न मायने रखता है| गलत श्वास पैटर्न शरीर में ऐंठन, दर्द या आसन में अपनी वास्तविक क्षमता तक पहुंचने में असमर्थता का कारण बन सकता है|
- योग अभ्यास के दौरान अपनी चोटों के प्रति सचेत रहें। यदि आपको कोई गंभीर चोट लगी है, या किसी भी कारण से शरीर के किसी अंग में दर्द हो, या आप किसी सर्जरी से उबर रहे हैं, तो चिकित्सीय परामर्श के उपरांत ही अभ्यास करना चाहिए। इसके अतिरिक इन अवस्थाओं से उबरने के उपरांत भी जब आप योग अभ्यास करते हैं तो निश्चित रूप से अपने प्रशिक्षक को अपनी समस्याओं के इतिहास से अवगत कराएं।
- योग शिक्षक के मार्गदर्शन में ही योग का अभ्यास करें। चाहे आप व्यक्तिगत रूप से अभ्यास कर रहे हों या दोस्तों के समूह के साथ ऑनलाइन, सही शिक्षक ढूंढना अनिवार्य है ।
- योग के बेहतर परिणाम के लिये उचित कूल डाउन, विश्राम और ध्यान के साथ अभ्यास को समाप्त करें| योग एक साइकोफिजियोलॉजिकल कला है, जो शरीर की तरह ही मन की बेहतरी के लिए भी आवश्यक होती है।
- योग की कक्षा या अभ्यास के दौरान पूरी तरह से जागरूक रहे। अभ्यास के दौरान मन का भटकाव कसरत के अनुभव को खराब कर देता है । हालांकि यह सरल नही है लेकिन इस नीति के साथ अभ्यास किया जाय तो परिणाम ज्यादा लाभकारी होते हैं |
(आईएएनएस)