अश्वगंधा एक जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग कई बीमारियों से निदान पाने के लिए किया जाता है. ये मुख्य रूप से अनिद्रा, तनाव, प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है. अश्वगंधा को विंटर चेरी या इंडियन जिनसेंग के नाम से भी जाना जाता है.
अधिक जानकारी के लिए ETV भारत सुखीभवा ने आयुर्वेद में इतिहास में पीएचडी डॉ. रंगनायुकुलु से बात की. वे बताते हैं कि विथानिया सोमनीफेरा (अश्वगंधा) सोलानेसी परिवार से है. यह एक बारहमासी पौधा है. औषधीय उपयोग के लिए इसकी जड़ सबसे अच्छी है. अश्वगंधा पूरे भारत में पाया जाता है और सामान्यता ये गर्मी के मौसम में फलता है.
डॉ. रंगनयुकुलु बताते हैं कि अश्वगंधा सूखे तने और पाउडर सहित विभिन्न रूपों में आसानी से बाजार में उपलब्ध है. इसके अलावा, तैयार उत्पाद जैसे घी, काढ़ा, अरिस्टा (थोड़ी शराब की मात्रा वाला टॉनिक), तेल, लेप, चूर्ण, लेहिया (अर्धसम खाने योग्य), और टैबलेट में आयुर्वेद चिकित्सा दुकानों और सामान्य दवाई दुकानों में मिल जाता है.
अश्वगंधा के फायदे
विशेषज्ञ द्वारा बताए गए अश्वगंधा के कुछ स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं;
- शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता हैं
1 से 3 ग्राम अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण दूध या घी या गर्म पानी के साथ 15 दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से, शरीर की अंदरूनी कमज़ोरी दूर होती हैं साथ ही शरीर में स्फूर्ति बढ़ती हैं.
- दुर्बलता दूर करता है
अश्वगंधा के 1 भाग को घी के 4 भागों के साथ पकाने के बाद और दूध के 10 भागों को मिलाकर पीने से वजन बढ़ाने में मदद मिलती है.
- अनिद्रा
2 से 4 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को शक्कर और गर्म दूध के साथ लें. यह अनिद्रा को कम करता है और अच्छी नींद के लिए प्रेरित करता है. यह तनाव, न्यूरोसिस के लक्षणों को भी कम करता है और एक एंटीडिप्रेसेंट और साइकोट्रोपिक दवा की तरह काम करता है.
- ब्रोन्कियल अस्थमा
अश्वगंधा की राख को शहद और घी के साथ लेने में ब्रोन्कियल अस्थमा के प्रभाव को कम करने में मदद करता है.
- गर्भाधान के लिए
महिलाओं और पुरुषों में बांझपन की स्थिति ना हो, इसके लिए अश्वगंधा काढ़े और दूध से तैयार घी का सेवन करें, इससे बांझपन दूर हो सकती है.
- घाव
2 से 4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को गुड़ या घी के साथ सेवन करें. यह घावों को ठीक करने में मदद करता है.
- मूत्र त्याग ना होने पर लाभकारी
रोजाना 20 मिलीलीटर अश्वगंधा के काढ़े के सेवन से जिन लोगों को मूत्र त्याग में परेशानी होती है, उन्हें यह काढ़ा लाभकारी होता है. मूत्र त्याग ना हो पाना इन वजहों से होता है, शरीर में पानी की कमी, गुर्दे की समस्याएं, प्रोस्टेट का बढ़ना.
इनके अलावा, डॉ. रंगनायकुलु बताते हैं कि, अश्वगंधा एंटी-बैक्टीरियल, एंटीपायरेटिक, एनाल्जेसिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-कन्वर्सन्ट, एंटी-ट्यूमर गतिविधि, एंटी ऑक्सीडेंट, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी. यह विषाक्त स्थितियों में भी मदद करता है.
खुराक
• बच्चे: 500 मिलीग्राम
• बड़े: 1 ग्राम से 3 ग्राम और तरल में 10 से 20 मिलीलीटर
सुरक्षा प्रोफाइल
गर्भावस्था के दौरान अश्वगंधा लेने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे प्रसव जल्दी हो सकता है. इसके अलावा, स्तनपान कराने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए.
अश्वगंधा के अतिरिक्त फायदे
- यह सामान्य शक्ति देता है.
- चिंता, तनाव और डिप्रेशन को कम करता है.
- नींद को बढ़ावा देता है.
- कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है.
- वजन बढ़ाने में मदद करता है.
- याददाश्त को बढ़ावा देता है.
- मांसपेशियों को टोन करने में मदद करता है.
- कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को रोकने में मदद करता है, यह कैंसर में एक रोगनिरोधी चिकित्सा की तरह काम करता है.
इस प्रकार, अश्वगंधा सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक दवाओं में से एक है, लेकिन हमेशा यह सिफारिश की जाती है कि दवा शुरू करने से पहले, चिकित्सक से परामर्श जरूर करें. विशेष रूप से थायरॉयड ग्रंथि के हाइपर या हाइपो वाले लोगों के लिए, पहले अपने डॉक्टर से बात करें.