ETV Bharat / sukhibhava

कहीं रोगी न बना दें रोग प्रतिरोध आयुर्वेदिक टॉनिक

भारत में आयुर्वेद को लेकर सोच है कि इसके सेवन से किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन यह सच नहीं है, आयुर्वेदिक दवाईयां किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह के बिना न लें. आयुर्वेदिक दवाईयां शारीरिक प्रकृति के आधार पर निर्भर करती है. इसलिए बिना सलाह के दवाईयों को सेवन न करें.

author img

By

Published : Jul 16, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 11:24 AM IST

effect of ayurvedic tonic
आयुर्वेदिक टॉनिक का प्रभाव

क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो मौसम बदलने पर या फिर शरीर में थकान लगने या किसी भी अन्य कारण से इंटरनेट वाले डॉक्टर यानी सर्च इंजन की मदद लेकर या किसी पड़ोसी और दोस्त की बातों में आकर कोई भी आयुर्वेदिक दवाई लेना शुरू कर देते हैं. यदि हां, तो सचेत हो जाइए, क्योंकि बगैर किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लिए बिना ली गई दवाईयां आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकती हैं. गौरतलब है कि आयुर्वेदिक दवाईयां प्राकृतिक तत्वों, रोगी के शारीरिक दोषों और ऋतुचर्या को ध्यान में रख कर दी जाती हैं, इसलिए बगैर किसी चिकित्सक की सलाह लिए, उनका सेवन सही नहीं है.

प्राचीनकाल से ही हम हिंदुस्तानी शारीरिक स्वास्थ्य या किसी भी प्रकार अस्वस्थता के लिए आयुर्वेद पर भरोसा करते आए हैं. जिसका प्रमाण हमारे शास्त्रों में भी मिलता है. हालांकि, समय के साथ-साथ एलोपैथिक दवाईयों पर लोगों की निर्भरता बढ़ी है. लेकिन आज भी हमारी जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत है, जो आयुर्वेदिक दवाईयों का अनुसरण करता है. विशेष तौर पर रोग प्रतिरोधक दवाईयों के लिए लोग ज्यादातर आयुर्वेद पर ही भरोसा करते हैं.

आयुर्वेदिक दवाईयों का असर

बाजार में शारीरिक ताकत या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा कुछ विशेष बीमारियों से बचाव के लिए बहुत सी आयुर्वेदिक दवाईयां मिलती हैं. महिलाओं की मासिक समस्याओं संबंधी, पुरुषों में जोश जगाने वाली, शरीर में खून बढ़ाने वाली तथा बच्चों में यादाश्त बढ़ाने वाली आदि बहुत सी दवाईयां जिन्हें लोग बगैर किसी चिकित्सक से सलाह लिए सेवन कर लेते हैं. लेकिन यह खुद चिकित्सक बनने की आदत कई बार लोगों पर तब भारी भी पड़ जाती है, जब वे शरीर पर उलटा असर दिखाती हैं.

शरीर पर पड़ेगा उलटा प्रभाव

बीएचएमएस तथा बीएएमएस चिकित्सक विवेक मन्तारे बताते हैं कि आयुर्वेद विज्ञान की वह शाखा है, जो जिसका संबंध मानव शरीर को निरोगी रखने, रोग हो जाने पर रोग का शमन कर रोगी की उम्र बढ़ाने पर कार्य करने से है. आयुर्वेद चिकित्सा तीन दोषों वात, पित्त और कफ, प्रकृति के पांचों तत्व, भोजन की तासीर और ऋतुचर्या पर निर्भर करती है. आयुर्वेद में हर रोगी को उसकी शारीरिक प्रकृति के आधार पर ही चिकित्सा प्रदान की जाती है. यही नहीं रोग प्रतिरोधक दवाईयां भी उसी आधार पर दी जाती हैं. उदाहरण के लिए ठंड के मौसम में कोई व्यक्ति ठंडी तासीर वाली बूटी या दवाई लेता है, वो भी बगैर यह जाने की उसके शरीर की प्रवृत्ति वात, पित्त या कफ क्या है, तो यकीनन वह दवाई उसके शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकती है.

बिना सलाह के न लें टॉनिक

डॉ. मन्तारे बताते हैं कि रोग और रोगी के शरीर की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उपयोगी द्रव्यों से जब औषधी बनाई जाती है, तभी वह रोगी को फायदा देती है. वे चिंता भी जताते हैं कि वर्तमान समय में कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक अनुभव के अभाव में बाजार में उपलब्ध टॉनिक को बगैर शरीर की प्रकृति का ध्यान करें रोगियों को दे देते हैं. ऐसे में उसके शरीर पर उलटा असर भी पड़ सकता है. यहां तक की उनके लिवर पर भी बुरा असर पड़ सकता है. इसके अलावा वर्तमान समय में जब कोरोना जैसी महामारी सबको डरा रही है. भय के कारण भी लोग बगैर जाने समझे रोग प्रतिरोधक दवाईयों का सेवन कर रहे हैं, जो सही नहीं है.

क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो मौसम बदलने पर या फिर शरीर में थकान लगने या किसी भी अन्य कारण से इंटरनेट वाले डॉक्टर यानी सर्च इंजन की मदद लेकर या किसी पड़ोसी और दोस्त की बातों में आकर कोई भी आयुर्वेदिक दवाई लेना शुरू कर देते हैं. यदि हां, तो सचेत हो जाइए, क्योंकि बगैर किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लिए बिना ली गई दवाईयां आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकती हैं. गौरतलब है कि आयुर्वेदिक दवाईयां प्राकृतिक तत्वों, रोगी के शारीरिक दोषों और ऋतुचर्या को ध्यान में रख कर दी जाती हैं, इसलिए बगैर किसी चिकित्सक की सलाह लिए, उनका सेवन सही नहीं है.

प्राचीनकाल से ही हम हिंदुस्तानी शारीरिक स्वास्थ्य या किसी भी प्रकार अस्वस्थता के लिए आयुर्वेद पर भरोसा करते आए हैं. जिसका प्रमाण हमारे शास्त्रों में भी मिलता है. हालांकि, समय के साथ-साथ एलोपैथिक दवाईयों पर लोगों की निर्भरता बढ़ी है. लेकिन आज भी हमारी जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत है, जो आयुर्वेदिक दवाईयों का अनुसरण करता है. विशेष तौर पर रोग प्रतिरोधक दवाईयों के लिए लोग ज्यादातर आयुर्वेद पर ही भरोसा करते हैं.

आयुर्वेदिक दवाईयों का असर

बाजार में शारीरिक ताकत या रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा कुछ विशेष बीमारियों से बचाव के लिए बहुत सी आयुर्वेदिक दवाईयां मिलती हैं. महिलाओं की मासिक समस्याओं संबंधी, पुरुषों में जोश जगाने वाली, शरीर में खून बढ़ाने वाली तथा बच्चों में यादाश्त बढ़ाने वाली आदि बहुत सी दवाईयां जिन्हें लोग बगैर किसी चिकित्सक से सलाह लिए सेवन कर लेते हैं. लेकिन यह खुद चिकित्सक बनने की आदत कई बार लोगों पर तब भारी भी पड़ जाती है, जब वे शरीर पर उलटा असर दिखाती हैं.

शरीर पर पड़ेगा उलटा प्रभाव

बीएचएमएस तथा बीएएमएस चिकित्सक विवेक मन्तारे बताते हैं कि आयुर्वेद विज्ञान की वह शाखा है, जो जिसका संबंध मानव शरीर को निरोगी रखने, रोग हो जाने पर रोग का शमन कर रोगी की उम्र बढ़ाने पर कार्य करने से है. आयुर्वेद चिकित्सा तीन दोषों वात, पित्त और कफ, प्रकृति के पांचों तत्व, भोजन की तासीर और ऋतुचर्या पर निर्भर करती है. आयुर्वेद में हर रोगी को उसकी शारीरिक प्रकृति के आधार पर ही चिकित्सा प्रदान की जाती है. यही नहीं रोग प्रतिरोधक दवाईयां भी उसी आधार पर दी जाती हैं. उदाहरण के लिए ठंड के मौसम में कोई व्यक्ति ठंडी तासीर वाली बूटी या दवाई लेता है, वो भी बगैर यह जाने की उसके शरीर की प्रवृत्ति वात, पित्त या कफ क्या है, तो यकीनन वह दवाई उसके शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकती है.

बिना सलाह के न लें टॉनिक

डॉ. मन्तारे बताते हैं कि रोग और रोगी के शरीर की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उपयोगी द्रव्यों से जब औषधी बनाई जाती है, तभी वह रोगी को फायदा देती है. वे चिंता भी जताते हैं कि वर्तमान समय में कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक अनुभव के अभाव में बाजार में उपलब्ध टॉनिक को बगैर शरीर की प्रकृति का ध्यान करें रोगियों को दे देते हैं. ऐसे में उसके शरीर पर उलटा असर भी पड़ सकता है. यहां तक की उनके लिवर पर भी बुरा असर पड़ सकता है. इसके अलावा वर्तमान समय में जब कोरोना जैसी महामारी सबको डरा रही है. भय के कारण भी लोग बगैर जाने समझे रोग प्रतिरोधक दवाईयों का सेवन कर रहे हैं, जो सही नहीं है.

Last Updated : Jul 17, 2020, 11:24 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.