हमारे नाखून तथा बाल, कैरोटीन नामक पोषक तत्व से बने होते हैं। शरीर में पोषक तत्वों की कमी या बीमारी होने पर कैरोटीन की सतह प्रभावित होने लगती है और ज्यादातर मामलों में नाखूनों का रंग बदलने लगता है। आमतौर पर नाखूनों का खराब होता स्वरूप यानी नाखूनों में दरारें आना, नाखून टूटना, शरीर में विटामिन सी, फॉलिक एसिड व प्रोटीन की कमी के कारण होता है। जानकार तथा चिकित्सक बताते हैं की जरूरी नहीं कि नाखून का बदलता रंग सभी व्यक्तियों में बीमारी का संकेत हो। महिलाओं में कई बार खराब नेल पॉलिश लगाने से भी नाखूनों की सतह पर असर पड़ता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में नाखूनों का रंग, उन पर पड़ी धारियां, नाखूनों का मोटा-पतला होना आदि बातें शारीरिक समस्याओं का लक्षण हो सकती है। नाखूनों के बदलते रंग तथा संरचना किन समस्याओं के बारे में सूचना देती है, उसकी जानकारी इस प्रकार है;
मोटे, रूखे व टूटे हुए नाखून
नाखूनों के मोटाई तथा उनका उभरापन सिरोसिस व फंगल इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। वहीं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने पर भी कई बार नाखून बेरंग और रूखे हो जाते हैं। इसके अलावा हृदय रोग की स्थिति में नाखून मुड़ जाते हैं। नाखूनों में सफेद रंग की धारियां व रेखाएं किडनी के रोगों का संकेत देती हैं। मधुमेह पीड़ितों का पूरा नाखून सफेद रंग व एक दो गुलाबी रेखाओं के साथ नजर आता है। हृदय रोगियों के नाखून में लाल धारियां देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक नाखूनों के बदलते स्वरूप के निम्न कारण हो सकते है;
- कमजोर व भुरभुरे से नाखून - रूखे, कमजोर और भुरभुरे से नाखून, जो जल्दी टूट जाते हो, उनका सीधा संबंध थायराइड या फंगल इंफेक्शन से होता है।
- मोटे नाखून - सामान्यत: नाखूनों की यह स्थिति फंगल इंफेक्शन के कारण होती है। लेकिन आर्थराइटिस, डायबिटीज, फेफड़ों में इंफेक्शन, एग्जिमा, सायरोसिस में भी नाखूनों में यह लक्षण नजर आते है।
- चम्मच आकार - चम्मच की आकृति लिए घुमावदार नाखून हाइपोक्रोमिक एनीमिया की ओर इशारा करने वाली कॉइलोनाइचिया बीमारी के कारण भी हो सकते हैं। इस तरह के नाखून लीवर की समस्याओं को भी दर्शाते हैं।
- सफेद निशान या खरोंच युक्त नाखून - इस तरह के दाग अगर आपको अपने नाखूनों पर दिखाई दें, तो यह जेनेटिक समस्या हो सकती है। हालांकि सोरायसिस या एग्जिमा भी इस लक्षण के घेरे में आते हैं।
- झुर्रीदार नाखून - शरीर में पोषण की कमी, नाखून में संक्रमण या चोट के कारण नाखून में यह समस्या हो सकती है। वहीं कीमोथैरेपी, डायबिटीज तथा अत्यधिक तापमान के कारण भी ऐसा होता है।
- सफेद लाइन - नाखूनों के किनारे पर अक्सर सफेद लाइन दिखाई देती है। यह रक्त में प्रोटीन की कमी का लक्षण हो सकता है। इतना ही नहीं लीवर डिसीज, पोषण की कमी या फिर तनाव के कारण भी हो सकता है।
नाखून का बदलता रंग और गुणवत्ता
नाखूनों का रंग फीका पड़ना या फिर बेरंग होना, किसी प्रकार के इंफेक्शन, पोषण की कमी या शरीर के आंतरिक अंगों की समस्याओं की ओर इशारा करते हैं।
- नाखूनों का रंग सफेद, भूरा या गहरा होना
नाखूनों का रंग भूरा या गहरा होना थायराइड या कुपोषण के कारण हो सकते हैं। वहीं नाखूनों का सफेद होना आयरन की कमी का संकेत हैं। यदि नाखूनों पर गहरे रंग की पट्टियां नजर आए, तो यह सामान्यत: नुकसान रहित होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह स्किन कैंसर की निशानी भी हो सकती है। ऐसा होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
- नाखून का पीला होना
हाथों की ऊंगलियों के नाखून का रंग पीला पड़ना फंगल इंफेक्शन या सायरोसिस के कारण भी हो सकते हैं।
- नीले या स्लेटी नाखून
नीलापन या स्लेटी रंग लिए हुए नाखूनों का मतलब है कि शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है और उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता है।
- नाखूनों का काला होना
त्वचा रोग लाइकन प्लेनस, जिसमें पूरे शरीर में जगह-जगह पस पड़ जाती है, होने पर नाखून काले हो जाते हैं।
नाखून में होने वाला संक्रमण
नाखूनों के रंग बदलने की वजह फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है। शुरुआत में नाखून सफेद या पीले रंग के दिखाई देते हैं, पर संक्रमण बढ़ने पर बदरंग होने के साथ-साथ पतले और खुरदरे होने लगते हैं। हम सभी का शरीर कई प्रकार के सूक्ष्म जीवाणुओं और विषाणुओं के संपर्क में आता है। त्वचा पर हुए संक्रमण को यदि नाखून से खुजाया जाए, तो भी नाखून संक्रमित हो जाते हैं। जो लोग अधिक स्विमिंग करते हैं या ज्यादा देर तक पानी में रहते हैं या फिर जिनके पैर अधिकतर जूतों में बंद रहते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है। नाखूनों के आसपास खुजली, सूजन और दर्द भी होता है। ऐसे में चिकित्सक को दिखाना बेहतर रहता है।
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यूं बनाए रखें नाखूनों की सेहत
- पूरे शरीर के पोषण का ध्यान रखें। पौष्टिक आहार की मदद से ना सिर्फ नाखून स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनमें दरार या कट भी नहीं पड़ते। विटामिन बी का सेवन नाखूनों की सुंदरता बढ़ाता है।
- नाखूनों की बाहरी त्वचा का खास ध्यान रखें।
- नाखून व पोर्स के आसपास की त्वचा को नियमित रूप से मॉइस्चराइजर की नमी दें।
- विटामिन सी का सेवन नाखूनों के आसपास की त्वचा को कटने-फटने से रोकता है।
- नाखूनों पर कम से कम रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल करें।