एक रिसर्च स्कॉलर द्वारा किए गए एक अध्ययन में सिफारिश की गई है कि स्क्रीन का समय प्रति दिन दो घंटे से कम किया जाना चाहिए, खासकर बचपन के दौरान. अध्ययन ने टीवी, लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे डिजिटल उपकरणों के स्वामित्व को विनियमित करने के लिए माता-पिता की निगरानी और नीति तैयार करने के महत्व को रेखांकित किया है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग (Allahabad University Department of Anthropology) के अध्ययन को सेज द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका, "बुलेटिन ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी" (Bulletin of Science Technology and Society) में प्रकाशित किया गया था. Allahabad university study shows screen time limit for kids is only 2 hours a day .
यह शोध माधवी त्रिपाठी (Research scholar Madhavi Tripathi) द्वारा संचालित किया गया था जिन्होंने सहायक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार मिश्रा (Shailendra Kumar Mishra) के तहत PhD की है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के यह डिजिटल उपकरणों के स्वामित्व को विनियमित करने के लिए माता-पिता की निगरानी और नीति तैयार करने के महत्व को रेखांकित करता है."यह देखते हुए कि प्रयागराज राज्य में सबसे बड़ी आबादी (जनगणना 2011) रखता है, दो चरणों वाली या²च्छिक नमूना पद्धति का उपयोग करके 400 बच्चों पर एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया था. पहले चरण में, प्रयागराज शहर में 10 नगरपालिका वाडरें को या²च्छिक रूप से चुना गया था. इनमें से प्रत्येक वार्ड की कुल जनसंख्या 11,000 से 22,000 के बीच है. दूसरे चरण में, प्रत्येक चयनित वार्ड से उनकी जनसंख्या के अनुपात में बच्चों का चयन किया गया था, ताकि एक नमूना आकार प्राप्त किया जा सके."
निष्कर्षों से पता चला कि अधिकांश घरों में टेलीविजन के बाद डिजिटल कैमरा, लैपटॉप, टैबलेट, किंडल और वीडियो गेम हैं.Madhavi Tripathi Research scholar ने कहा, "इससे बच्चे अधिक स्क्रीन समय व्यतीत करते हैं, जो न केवल उन्हें शारीरिक रूप से प्रभावित करता है और आंखों की ²ष्टि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है."--आईएएनएस
बहुत उम्मीदें हैं 5G से, साथ में कई बाधाएं व लग सकता है लंबा वक्त