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पशु चिकित्सा में होगा आयुर्वेद का उपयोग, मंत्रालयों के बीच हुआ समझौता

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Published : Apr 9, 2021, 2:38 PM IST

Updated : Apr 9, 2021, 3:49 PM IST

पशु चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद के उपयोग के इस्तेमाल के लिए मंत्रालयों द्वारा समझौता किया गया है। इसके अंतर्गत पशु स्वास्थ लाभ, हर्बल औषधि के उपयोग, आदि को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

Use of Ayurveda in Veterinary Medicine
पशु चिकित्सा में आयुर्वेद का उपयोग

पशु चिकित्सा में आयुर्वेद के उपयोग के लिए नियामक व्यवस्था बनाने के मकसद से केंद्र सरकार के दो मंत्रालयों के बीच समझौता हुआ है। यह जानकारी गुरुवार को केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने दी। जानकारी के अनुसार, पशु चिकित्सा विज्ञान में आयुर्वेद तथा इससे संबंधित विषयों को लागू करने के लिए सात अप्रैल, 2021 को मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय के पशुपालन तथा डेयरी विभाग और आयुष मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

मंत्रालय ने बताया कि इससे पशु चिकित्सा विज्ञान में औषधीय पौधों के माध्यम से गुणवत्ता संपन्न दवा के नए फॉमूर्लेशनों पर शोध सहित अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा मिलेगा।

साथ ही, इस सहयोग से पशु स्वास्थ लाभ, पशुपालक समुदाय तथा समाज के लाभ के लिए पशु चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद के उपयोग के इस्तेमाल के लिए नियामक व्यवस्था विकसित करने में मदद मिलेगी।

मंत्रालय ने बताया कि प्रशिक्षण के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों में क्षमता सृजन होगा, सतत आधार पर हर्बल दवाइयों के लिए बाजार तलाशने में मदद मिलेगी और कृषि, तथा औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए सेवाएं मिलेंगी।

पढ़े: आयुर्वेद से बढ़ाएं याददाश्त

साथ ही, इस सहयोग से हर्बल पशु चिकिस्ता शिक्षा कार्यक्रम विकसित में मदद मिलेगी और डेयरी किसानों तथा अनाज उत्पादक किसानों में हर्बल औषधि के उपयोग तथा जड़ी-बूटी कृषि के बारे में जागरूकता आएगी।

(आईएएनएस)

पशु चिकित्सा में आयुर्वेद के उपयोग के लिए नियामक व्यवस्था बनाने के मकसद से केंद्र सरकार के दो मंत्रालयों के बीच समझौता हुआ है। यह जानकारी गुरुवार को केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने दी। जानकारी के अनुसार, पशु चिकित्सा विज्ञान में आयुर्वेद तथा इससे संबंधित विषयों को लागू करने के लिए सात अप्रैल, 2021 को मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय के पशुपालन तथा डेयरी विभाग और आयुष मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

मंत्रालय ने बताया कि इससे पशु चिकित्सा विज्ञान में औषधीय पौधों के माध्यम से गुणवत्ता संपन्न दवा के नए फॉमूर्लेशनों पर शोध सहित अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा मिलेगा।

साथ ही, इस सहयोग से पशु स्वास्थ लाभ, पशुपालक समुदाय तथा समाज के लाभ के लिए पशु चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद के उपयोग के इस्तेमाल के लिए नियामक व्यवस्था विकसित करने में मदद मिलेगी।

मंत्रालय ने बताया कि प्रशिक्षण के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों में क्षमता सृजन होगा, सतत आधार पर हर्बल दवाइयों के लिए बाजार तलाशने में मदद मिलेगी और कृषि, तथा औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए सेवाएं मिलेंगी।

पढ़े: आयुर्वेद से बढ़ाएं याददाश्त

साथ ही, इस सहयोग से हर्बल पशु चिकिस्ता शिक्षा कार्यक्रम विकसित में मदद मिलेगी और डेयरी किसानों तथा अनाज उत्पादक किसानों में हर्बल औषधि के उपयोग तथा जड़ी-बूटी कृषि के बारे में जागरूकता आएगी।

(आईएएनएस)

Last Updated : Apr 9, 2021, 3:49 PM IST
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