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चेहरा खराब नहीं होता नेत्रदान से, भ्रांतियों को दूर करने के लिए मनाया जा रहा है 37th Eye Donation पखवाड़ा

सोच कर भी डर लगता है की कैसी होती होगी वो दुनिया जहां सिर्फ आवाज है. कोई रंग नहीं, कोई आकार नहीं, प्रकृति की खूबसूरती नहीं, रिश्तों के चेहरे नहीं सिर्फ अंधेरा है और दूसरों पर आश्रित रहने की मजबूरी है. ऐसे ही बहुत सी जिंदगियों को अंधकार से निकाल कर रोशनी के उजाले में लाने की सोच और उम्मीद लिए हर साल राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. 37th national eye donation fortnight 2022 to encourage eye donation. 37th Eye Donation पखवाड़ा.

37th Eye Donation Fortnight 2022 to encourage eye donation
राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 2022
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Published : Sep 4, 2022, 5:33 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 1:51 PM IST

नेत्रदाता की कमी के चलते बहुत से लोग अंधेपन के अंधेरे में जीने के लिए मजबूर हैं. इसके लिए बहुत जरूरी है की समाज को नेत्रदान के लिए जागरूक और प्रोत्साहित किया जाय. WHO के अनुसार अंधापन के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें कॉर्निया की बीमारी मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारियां मुख्य है. इस समय 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा (National eye donation fortnight) मनाया जा रहा है. नेत्रदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि इस एक दान से आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन में उजाला ला सकते हैं. नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करने तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने के लिए प्रेरित करने (encourage eye donation) के उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के रूप में इस महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत वर्ष 1985 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Health and Family Welfare, India) द्वारा की गई थी. 37th national eye donation fortnight 2022 to encourage eye donation.

इस वर्ष हम 37th Eye Donation पखवाड़ा मना रहे हैं. गौरतलब है की भारत में, लगभग 70 लाख लोग कम से कम एक आंख में कॉर्नियल दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं. इनमें से 10 लाख लोग, दोनों आंखों से दृष्टिहीन हैं. गौरतलब है की विकासशील देशों में दृष्टिहीनता प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, कॉर्नियल रोग (आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक को नुकसान, जिसे कॉर्निया कहा जाता है) दृष्टि हानि और अंधपन के प्रमुख कारणों में माने जाते हैं. विश्व की लगभग पांच फीसदी जनसंख्या कॉर्नियल रोगों के कारण नेत्रहीन है. 2021 में, आंखों में चोट लगने के कारण एक साल में अंधेपन के लगभग 20,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं.

अंगदान पर स्वास्थ्य मंत्री: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने शनिवार को कहा कि अंगदान का मुद्दा हमारी साझी समृद्धि की परंपरा से अटूट रूप से जुड़ा है. भारत में अंगदान की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने और आगे की चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए आयोजित 'स्वस्थ सबल भारत' (Swasth Sabal Bharat) सम्मेलन का वस्तुत: उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा, "यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा में है जिसके बारे में हम सोचते हैं, न केवल हमारा अपना बल्कि दूसरों का भी, और अंगदान का मुद्दा इस तरह की ²ष्टि से जटिल रूप से जुड़ा हुआ है." मंडाविया (Mansukh Mandaviya Union Health Minister) ने लोगों को मानवीय आधार पर अपने अंग दान करने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 'जनभागीदारी' या लोगों के आंदोलन पर जोर दिया.

क्या कहते हैं आंकड़े : राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृश्य हानि सर्वेक्षण 2019 (National Blindness and Visual Impairment Survey 2019) के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख व्यक्ति विभिन्न नेत्र दोषों के कारण आंशिक व पूर्ण अंधेपन से पीड़ित हैं. इनमें से 2 लाख से अधिक व्यक्तियों को अपनी सामान्य, स्वस्थ दृष्टि बहाल करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक या दोनों आंखों में कॉर्नियल प्रत्यारोपण सर्जरी की आवश्यकता होती है. हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इस तथ्य के बारे में शोक व्यक्त करते हैं कि नेत्रदान की कमी के कारण प्रत्यारोपण के लिए सालाना केवल 55,000 के करीब कॉर्निया ही उपलब्ध हो पाते हैं. जिसके कारण लगभग 1.5 लाख से अधिक लोग, जो शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं द्वारा पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं, आजीवन अंधेपन का शिकार बने रह जाते हैं. चिकिसकों के अनुसार 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कॉर्निया से जुड़े दोष, अंधेपन के प्राथमिक कारण होते हैं और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अन्य कारणों जैसे विटामिन ए की कमी, संक्रमण, कुपोषण और कई अन्य समस्याएं हैं जो दृष्टिहीनता का कारण बन सकती हैं.

कैसे और क्या होता है नेत्रदान : नेत्र प्रत्यारोपण यूं तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, लिंग और रक्त समूह की परवाह किए बिना अपने जीवित रहते हुए आंखें दान करने के लिए स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं. पंजीकृत नेत्र दाता बनने के लिए नेत्र बैंक से संपर्क किया जा सकता है. नेत्रदान के बारे में अभी भी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है. लोगों को लगता की इस प्रक्रिया में पूरी आंख का प्रत्यारोपण किया जाता है जबकि ऐसा नहीं है. दान की गई आंखों से केवल कॉर्निया नेत्रहीन लोगों में प्रत्यरोपित की जाती है. कॉर्नियल ब्लाइंडनेस आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक यानी कॉर्निया में क्षति के कारण होती है. इस प्रक्रिया में मृत्यु के एक घंटे के भीतर कॉर्निया को हटा देना चाहिए. इसे हटाने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं और यह चेहरे पर कोई निशान या विकृति नहीं छोड़ता है. दान किए गए व्यक्ति की आंखें दो कॉर्नियल नेत्रहीन लोगों की दृष्टि बचा सकती हैं.

अंगदान को लेकर लोगों में उदासीनता : भारत में सिर्फ नेत्रदान ही नहीं बल्कि हर प्रकार के अंगदान को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के भ्रम और भ्रांतिया फैली हुई है. जागरूकता का अभाव कहा जाये, या अस्पतालों और संस्थानों में अभी भी अपर्याप्त सुविधाएं या फिर नेत्रदान को लेकर लोगों की संकीर्ण सोच, और उस पर पुराणपंथी मान्यताएं, लोग नेत्रदान के बारे में बात तो करते हैं, लेकिन स्वयं नेत्रदान की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं.

ये नहीं कर सकते नेत्र दान : हालांकि नेत्रदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है, बशर्ते वह एड्स, सिफलिस या रक्त संबंधी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति ना हो. ऐसे व्यक्ति जिनकी मृत्यु रेबीज से हुई हो, उनकी आंखे दान नहीं की जा सकती है. इसके अलावा ये एक गलतफहमी है की मधुमेह या कैंसर से पीड़ित व्यक्ति अपनी आंखें दान नहीं कर सकता. मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप तथा ऐसे व्यक्ति भी जो चश्मा लगते हो, आंखें दान कर सकता है.

आसान है प्रक्रिया : किसी भी लिंग, जाति तथा धर्म का वयस्क व्यक्ति सरकारी वेबसाइट पर या विभिन्न संस्थाओं तथा अस्पतालों में उपलब्ध शपथपत्र को भर कर नजदीकी नेत्र बैंक में जमा करवा सकता है. एक बार नेत्रदाता के रूप में चिन्हित होने पर शपथ लिए व्यक्ति को नेत्रदाता कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है.

नेत्रदान से जुड़ी विशेष जानकारियां

  • जीवित व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकती है.
  • नेत्रदान का लाभ केवल कॉर्निया से नेत्रहिन व्यक्ति को होता है.
  • कॉर्निया को मृत्यु के एक घंटे के अंदर निकालना जरूरी है
  • नेत्रदान में केवल 15 से 20 मिनट का समय लगता है.
  • नेत्रदान में कोई पैसे नहीं लगते है.
  • दान की गई आंखों को खरीदा या बेचा नहीं जाता है.
  • नेत्रदाता बनने के लिए नजदीकी नेत्र बैंक से भी संपर्क किया जा सकता है.
  • यदि परिजन किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसकी आंखे दान करना चाहे तो वह नेत्र बैंक में जानकारी देकर नेत्रदान कर सकते है, भले ही उन्होंने पहले से पंजीकरण ना भी करवाया हो.

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नेत्रदाता की कमी के चलते बहुत से लोग अंधेपन के अंधेरे में जीने के लिए मजबूर हैं. इसके लिए बहुत जरूरी है की समाज को नेत्रदान के लिए जागरूक और प्रोत्साहित किया जाय. WHO के अनुसार अंधापन के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें कॉर्निया की बीमारी मोतियाबिंद और ग्लूकोमा जैसी बीमारियां मुख्य है. इस समय 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा (National eye donation fortnight) मनाया जा रहा है. नेत्रदान को महादान कहा जाता है, क्योंकि इस एक दान से आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन में उजाला ला सकते हैं. नेत्रदान के महत्व के बारे में व्यापक पैमाने पर जन जागरूकता पैदा करने तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आँखें दान करने के लिए प्रेरित करने (encourage eye donation) के उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के रूप में इस महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत वर्ष 1985 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Health and Family Welfare, India) द्वारा की गई थी. 37th national eye donation fortnight 2022 to encourage eye donation.

इस वर्ष हम 37th Eye Donation पखवाड़ा मना रहे हैं. गौरतलब है की भारत में, लगभग 70 लाख लोग कम से कम एक आंख में कॉर्नियल दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं. इनमें से 10 लाख लोग, दोनों आंखों से दृष्टिहीन हैं. गौरतलब है की विकासशील देशों में दृष्टिहीनता प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, कॉर्नियल रोग (आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक को नुकसान, जिसे कॉर्निया कहा जाता है) दृष्टि हानि और अंधपन के प्रमुख कारणों में माने जाते हैं. विश्व की लगभग पांच फीसदी जनसंख्या कॉर्नियल रोगों के कारण नेत्रहीन है. 2021 में, आंखों में चोट लगने के कारण एक साल में अंधेपन के लगभग 20,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं.

अंगदान पर स्वास्थ्य मंत्री: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने शनिवार को कहा कि अंगदान का मुद्दा हमारी साझी समृद्धि की परंपरा से अटूट रूप से जुड़ा है. भारत में अंगदान की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने और आगे की चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए आयोजित 'स्वस्थ सबल भारत' (Swasth Sabal Bharat) सम्मेलन का वस्तुत: उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा, "यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा में है जिसके बारे में हम सोचते हैं, न केवल हमारा अपना बल्कि दूसरों का भी, और अंगदान का मुद्दा इस तरह की ²ष्टि से जटिल रूप से जुड़ा हुआ है." मंडाविया (Mansukh Mandaviya Union Health Minister) ने लोगों को मानवीय आधार पर अपने अंग दान करने के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 'जनभागीदारी' या लोगों के आंदोलन पर जोर दिया.

क्या कहते हैं आंकड़े : राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृश्य हानि सर्वेक्षण 2019 (National Blindness and Visual Impairment Survey 2019) के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख व्यक्ति विभिन्न नेत्र दोषों के कारण आंशिक व पूर्ण अंधेपन से पीड़ित हैं. इनमें से 2 लाख से अधिक व्यक्तियों को अपनी सामान्य, स्वस्थ दृष्टि बहाल करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक या दोनों आंखों में कॉर्नियल प्रत्यारोपण सर्जरी की आवश्यकता होती है. हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इस तथ्य के बारे में शोक व्यक्त करते हैं कि नेत्रदान की कमी के कारण प्रत्यारोपण के लिए सालाना केवल 55,000 के करीब कॉर्निया ही उपलब्ध हो पाते हैं. जिसके कारण लगभग 1.5 लाख से अधिक लोग, जो शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं द्वारा पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं, आजीवन अंधेपन का शिकार बने रह जाते हैं. चिकिसकों के अनुसार 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में कॉर्निया से जुड़े दोष, अंधेपन के प्राथमिक कारण होते हैं और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अन्य कारणों जैसे विटामिन ए की कमी, संक्रमण, कुपोषण और कई अन्य समस्याएं हैं जो दृष्टिहीनता का कारण बन सकती हैं.

कैसे और क्या होता है नेत्रदान : नेत्र प्रत्यारोपण यूं तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद होता है लेकिन कोई भी व्यक्ति अपनी आयु, लिंग और रक्त समूह की परवाह किए बिना अपने जीवित रहते हुए आंखें दान करने के लिए स्वयं को पंजीकृत कर सकते हैं. पंजीकृत नेत्र दाता बनने के लिए नेत्र बैंक से संपर्क किया जा सकता है. नेत्रदान के बारे में अभी भी लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है. लोगों को लगता की इस प्रक्रिया में पूरी आंख का प्रत्यारोपण किया जाता है जबकि ऐसा नहीं है. दान की गई आंखों से केवल कॉर्निया नेत्रहीन लोगों में प्रत्यरोपित की जाती है. कॉर्नियल ब्लाइंडनेस आंख के सामने के हिस्से को कवर करने वाले ऊतक यानी कॉर्निया में क्षति के कारण होती है. इस प्रक्रिया में मृत्यु के एक घंटे के भीतर कॉर्निया को हटा देना चाहिए. इसे हटाने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं और यह चेहरे पर कोई निशान या विकृति नहीं छोड़ता है. दान किए गए व्यक्ति की आंखें दो कॉर्नियल नेत्रहीन लोगों की दृष्टि बचा सकती हैं.

अंगदान को लेकर लोगों में उदासीनता : भारत में सिर्फ नेत्रदान ही नहीं बल्कि हर प्रकार के अंगदान को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के भ्रम और भ्रांतिया फैली हुई है. जागरूकता का अभाव कहा जाये, या अस्पतालों और संस्थानों में अभी भी अपर्याप्त सुविधाएं या फिर नेत्रदान को लेकर लोगों की संकीर्ण सोच, और उस पर पुराणपंथी मान्यताएं, लोग नेत्रदान के बारे में बात तो करते हैं, लेकिन स्वयं नेत्रदान की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं.

ये नहीं कर सकते नेत्र दान : हालांकि नेत्रदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है, बशर्ते वह एड्स, सिफलिस या रक्त संबंधी संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति ना हो. ऐसे व्यक्ति जिनकी मृत्यु रेबीज से हुई हो, उनकी आंखे दान नहीं की जा सकती है. इसके अलावा ये एक गलतफहमी है की मधुमेह या कैंसर से पीड़ित व्यक्ति अपनी आंखें दान नहीं कर सकता. मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप तथा ऐसे व्यक्ति भी जो चश्मा लगते हो, आंखें दान कर सकता है.

आसान है प्रक्रिया : किसी भी लिंग, जाति तथा धर्म का वयस्क व्यक्ति सरकारी वेबसाइट पर या विभिन्न संस्थाओं तथा अस्पतालों में उपलब्ध शपथपत्र को भर कर नजदीकी नेत्र बैंक में जमा करवा सकता है. एक बार नेत्रदाता के रूप में चिन्हित होने पर शपथ लिए व्यक्ति को नेत्रदाता कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है.

नेत्रदान से जुड़ी विशेष जानकारियां

  • जीवित व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकती है.
  • नेत्रदान का लाभ केवल कॉर्निया से नेत्रहिन व्यक्ति को होता है.
  • कॉर्निया को मृत्यु के एक घंटे के अंदर निकालना जरूरी है
  • नेत्रदान में केवल 15 से 20 मिनट का समय लगता है.
  • नेत्रदान में कोई पैसे नहीं लगते है.
  • दान की गई आंखों को खरीदा या बेचा नहीं जाता है.
  • नेत्रदाता बनने के लिए नजदीकी नेत्र बैंक से भी संपर्क किया जा सकता है.
  • यदि परिजन किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसकी आंखे दान करना चाहे तो वह नेत्र बैंक में जानकारी देकर नेत्रदान कर सकते है, भले ही उन्होंने पहले से पंजीकरण ना भी करवाया हो.

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Last Updated : Sep 5, 2022, 1:51 PM IST
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