नई दिल्ली: पंजाबी बाग इलाके के रहने वाले लक्ष्य गुप्ता ने जेईई एडवांस परीक्षा में 228 रैंक हासिल की है. साथ ही मेंस एग्जाम में भी लक्ष्य ने अच्छी रैंक प्राप्त की. आईआईटी में एडमिशन के लिए एक्सपेक्ट किया था, वो पूरा हुआ. लक्ष्य की सफलता से उसके परिवार वाले बेहद खुश हैं.
रूटीन से रोजाना की पढ़ाई
दरअसल, लक्ष्य अपनी पढ़ाई के प्रति शुरू से गंभीर रहा और लक्ष्य का कहना है कि उसने दूसरे बच्चों की तरह कोई अट्ठारह 20 घंटे मेहनत नहीं की. हां ये है कि 7 से 8 घंटे की पढ़ाई और रोज पूरी तन्मयता से और रूटीन के साथ करता था और यही उसकी सफलता का श्रेय है.
साथ ही अपनी सफलता के लिए वो अपने शिक्षक, संस्थान और अपने परिवार के सपोर्ट को मानता है. उसका कहना है बिना इन सब के सहयोग के ये संभव नहीं था. लक्ष्य इस बात से भी सुकून में दिखा कि उसने आईआईटी में एडमिशन के लिए जो सब्जेक्ट मन में सोच रखा था. इस रैंक के हासिल करने से वो उसे मिल जाएगा.
परिवार ने पढ़ाई को दी तव्वजो
व्यवसाई परिवार में जन्मे लक्ष्य के दादा और पिताजी साथ में चाचा लोहे का व्यवसाय करते हैं और दिल्ली जैसे शहर में अभी भी इनका परिवार एक संयुक्त परिवार है. लक्ष्य की पढ़ाई में उनकी मां और उनकी चाची का विशेष हाथ है. जो लक्ष्य की पढ़ाई के दौरान उसके खाने-पीने का विशेष ध्यान रखते थे.
लक्ष्य की मां का कहना कि वो शुरू मेहनती था और अपनी मेहनत के बल पर उसने जो मुकाम हासिल करना चाहा, वो पा लिया. वहीं लक्ष्य की चाची लक्ष्य के टैलेंट को देखकर उसे दूसरा सुंदर पिचई कहने लगी हैं. उनका कहना है कि हमने बच्चों की पढ़ाई को तवज्जो दी. हालांकि दबाव कभी नहीं दिया, लेकिन हम पिछले 5 साल में बच्चों की पढ़ाई के कारण कहीं घूमने फिरने नहीं गए, क्योंकि हमारा लक्ष्य एक ही था बच्चों की पढ़ाई.
इस परिवार में है और इंजीनयर और डॉक्टर
लक्ष्य के परिवार में और भी भाई बहन हैं जो इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की पढ़ाई भी कर रहे हैं. पूरे परिवार में पढ़ाई को लेकर एक अलग ही माहौल है. जिसमें इन बच्चों के साथ-साथ इनके पेरेंट्स का बहुत बड़ा सहयोग है. घर के बड़े जहां बच्चे की इस सफलता के लिए बच्चे के मेहनत को श्रेय दे रहे. वहीं बच्चे अपनी सफलता के लिए बढ़ों का सहयोग मान रहे. वाकई अगर बच्चा पढ़ने वाला हो साथी परिवार का सकारात्मक सोच हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती.