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Dussehra 2023: रावण को भी सता रही महंगाई ! पुतलों के बढ़े दाम से कारीगर और खरीदार बेहाल - ban on firecrackers impacting delhis market

दशहरा में महज कुछ दिन बाकी रह गया है. ऐसे में राजधानी दिल्ली के ततारपुर इलाके में बांस की लकड़ियों से बने बड़े-बड़े ढांचे को रावण रूप दिया जा रहा है. सड़क किनारे बांस के फ्रेम से सजे हुए हैं. लेकिन कारीगरों के चेहरे उदास हैं. उनका कहना है कि एक तो महंगाई की मार और दूसरा बम पटाखों पर प्रतिबंध ने उनके कारोबार को चौपट कर दिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2023, 3:36 PM IST

बढ़ें दामों से कारीगर बेहाल

नई दिल्ली: दशहरा के मद्देनजर दिल्ली के ततारपुर में रावण का पुतले बनाने वाले कारीगर दिन-रात जुटे हुए हैं. रोड किनारे रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बांस के फ्रेम से सजे हुए आपको दिख जाएंगे जो खरीदारों का इंतजार कर रहे हैं. पुतला बनाने वालों के चेहरे पर इस साल मायूसी है. दरअसल करीगरों को उम्मीद थी कि इस बार काम अच्छा होगा. हालांकि उनका कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार कम संख्या में रावण बन रहे हैं. सामान महंगा होने की वजह से रावण के पुतले भी महंगे रहेंगे. वहीं पटाखों पर प्रतिबंध से दोहरी मार पड़ी है.

महंगाई का असर केवल आम जनता के किचन पर ही नहीं, बल्कि इस साल रावण पर भी पड़ रहा है. दरअसल, रावण का पुतला बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत पड़ती है. उन सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं. इस वजह से रावण के पुतले के दाम भी प्रति फुट लगभग 150-200 रुपए बढ़ गए हैं. करीगरों का कहना है कि रावण के पुतलों को बनाने में इस्तेमाल बांस असम से मंगाया जाता है, जबकि इन पुतलों को बनाने के लिए कागज जापान से मंगाया जाता है. 50 फुट से अधिक 100 फीट तक रावण को तैयार किया जाता है उंचाई के हिसाब से रावण की कीमत बढ़ती है.

आपको बता दें कि यहां पुतला बनाने वाले कारीगर पिछले चार दशक से पुतला बनाने का काम करते आ रहे हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से बड़ी संख्या में कारीगर यहां पुतला बनाने का काम करते हैं इन पुतलों को दशहरे पर जलाने के लिए दिल्ली और आसपास के इलाकों के रामलीला स्थलों पर ले जाया जाता है. इनका कहना है कि पटाखों पर प्रतिबंध से इनके कारोबार पर भी असर पड़ा है. पहले की अपेक्षा इस बार कम बिक्री हो रही है. सरकार दशहरा पर पटाखा जलाने की इजाजत दे जिससे उनकी रोजगार पर असर ना पड़े.

यह भी पढ़ें- Ramlila in Delhi: दिल्ली के रामलीला मैदान के फूड कोर्ट्स में सात्विक खान पान का इंतजाम

बढ़ें दामों से कारीगर बेहाल

नई दिल्ली: दशहरा के मद्देनजर दिल्ली के ततारपुर में रावण का पुतले बनाने वाले कारीगर दिन-रात जुटे हुए हैं. रोड किनारे रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बांस के फ्रेम से सजे हुए आपको दिख जाएंगे जो खरीदारों का इंतजार कर रहे हैं. पुतला बनाने वालों के चेहरे पर इस साल मायूसी है. दरअसल करीगरों को उम्मीद थी कि इस बार काम अच्छा होगा. हालांकि उनका कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार कम संख्या में रावण बन रहे हैं. सामान महंगा होने की वजह से रावण के पुतले भी महंगे रहेंगे. वहीं पटाखों पर प्रतिबंध से दोहरी मार पड़ी है.

महंगाई का असर केवल आम जनता के किचन पर ही नहीं, बल्कि इस साल रावण पर भी पड़ रहा है. दरअसल, रावण का पुतला बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत पड़ती है. उन सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं. इस वजह से रावण के पुतले के दाम भी प्रति फुट लगभग 150-200 रुपए बढ़ गए हैं. करीगरों का कहना है कि रावण के पुतलों को बनाने में इस्तेमाल बांस असम से मंगाया जाता है, जबकि इन पुतलों को बनाने के लिए कागज जापान से मंगाया जाता है. 50 फुट से अधिक 100 फीट तक रावण को तैयार किया जाता है उंचाई के हिसाब से रावण की कीमत बढ़ती है.

आपको बता दें कि यहां पुतला बनाने वाले कारीगर पिछले चार दशक से पुतला बनाने का काम करते आ रहे हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से बड़ी संख्या में कारीगर यहां पुतला बनाने का काम करते हैं इन पुतलों को दशहरे पर जलाने के लिए दिल्ली और आसपास के इलाकों के रामलीला स्थलों पर ले जाया जाता है. इनका कहना है कि पटाखों पर प्रतिबंध से इनके कारोबार पर भी असर पड़ा है. पहले की अपेक्षा इस बार कम बिक्री हो रही है. सरकार दशहरा पर पटाखा जलाने की इजाजत दे जिससे उनकी रोजगार पर असर ना पड़े.

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