नई दिल्ली: कोरोना वैश्विक महामारी (corona pandemic) ने मानव समाज के हर हिस्से को झकझोर कर रख दिया है. महामारी का व्यापक असर (effect of pandemic) हर तबके के लोगों पर पड़ा. इसी दौरान देश की तमाम सरकारों ने शैक्षणिक संस्थानों (school and college in lockdown) को बंद करने का फैसला किया.
स्कूल बंद करने से बच्चों पर बुरा असर पड़ने के साथ ही शिक्षकों पर भी मुसीबतों का पहाड़ बनकर टूटा. दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों (guest teachers) का अनुबंध 20 अप्रैल 2021 से खत्म कर दिया जिसके बाद अतिथि शिक्षकों पर आजीविका का संकट मंडराने लगा. हालात की भयावहता आप इससे समझ सकते हैं कि आज अपना भरण-पोषण करने के लिए वह शिक्षक सड़कों पर सैनेटाइजर बेचते नजर आ रहे हैं.
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नौकरी चली जाने पर सैनेटाइजर बेचकर गुजारा करने को मजबूर अतिथि शिक्षक
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में बतौर अतिथि शिक्षक कार्यरत एक शिक्षक ने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि 20 अप्रैल को अनुबंध खत्म होने को लेकर जारी हुआ आदेश उनके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के 20 हज़ार अतिथि शिक्षक बेरोजगार बैठे हैं जिनमें से कई ऐसे हैं, जो अपने घर के अकेले कमाने वाले सदस्य थे.
शिक्षक ने आगे बताया कि कई शिक्षक बीमार पड़े हैं और इलाज के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है जबकि कुछ ऐसे हैं जो छोटा-मोटा कारोबार करने को मजबूर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह खुद अपना घर चलाने के लिए आज सैनेटाइजर बेच रहे हैं जिससे थोड़ी-बहुत आमदनी हो जाती है.
ऐसे में उन्होंने दिल्ली सरकार से अपील की है कि उनकी स्थिति को संज्ञान में लें और उन्हें आर्थिक सहायता दे.
दो करोड़ लोगों को फ्री पानी, बिजली तो अतिथि शिक्षकों को आर्थिक सहायता क्यों नहीं?
अतिथि शिक्षकों के हालातों पर राजकीय स्कूल शिक्षक संघ के महासचिव अजयवीर यादव चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि जहां दिल्ली सरकार दो करोड़ जनता को फ्री राशन, फ्री बिजली और पानी दे सकती है वहीं करीब 20 हज़ार अतिथि शिक्षकों को आर्थिक सहायता क्यों नहीं दे पा रही.
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अजय वीर यादव ने कहा कि अतिथि शिक्षक सरकारी स्कूलों का एक अभिन्न हिस्सा है जिन्होंने शिक्षा में अपना बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि उनके योगदान को देखते हुए दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस महामारी के समय उन्हें आर्थिक सहायता दे.