नई दिल्ली: अप्रैल में कई प्रमुख व्रत त्योहार हैं. अप्रैल की शुरुआत होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी आरंभ हो जाएगा. अप्रैल (Festivals in April 2023) का पहला व्रत कामदा एकादशी है, जो की 1 अप्रैल को पड़ रहा है. अप्रैल में कई प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं. आइए बताते हैं कि अप्रैल में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार और महत्व.
- 1 अप्रैल (शनिवार) कामदा एकादशी व्रत
- 2 अप्रैल (रविवार) मदन द्वादशी
- 3 अप्रैल (सोमवार) प्रदोष व्रत
- 4 अप्रैल (मंगलवार) महावीर स्वामी जयंती
- 5 अप्रैल (बुधवार) रेणुका चतुर्दशी
- 6 अप्रैल (गुरुवार) स्नान दान पूर्णिमा/ हनुमान जन्मोत्सव
- 9 अप्रैल (रविवार) गणेश चतुर्थी व्रत
- 16 अप्रैल (रविवार) वरुथिनी एकादशी
- 17 अप्रैल (सोमवार) प्रदोष व्रत
- 18 अप्रैल (मंगलवार) शिव चतुर्दशी व्रत
- 19 अप्रैल (बुधवार) श्राद्ध अमावस्या
- 20 अप्रैल (गुरुवार) स्नान दान अमावस्या
- 22 अप्रैल (शनिवार) अक्षय तृतीया
- 23 अप्रैल (रविवार) विनायक चतुर्थी व्रत
- 25 अप्रैल (मंगलवार) सूरदास जयंती
- 27 अप्रैल (गुरुवार) गंगा सप्तमी
- 29 अप्रैल (शनिवार) सीता नवमी
1 अप्रैल (शनिवार) कामदा एकादशी व्रत
शनिवार को हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी यानी कामदा एकादशी है. कहा जाता है इस दिन कामदा एकादशी का व्रत करने से लोगों को पापों से मुक्ति मिलती है और सभी कष्टों का नाश होता है.
3 अप्रैल (सोमवार) प्रदोष व्रत
सोमवार भगवान शिव का बहुत प्रिय दिन है. प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा का काफी महत्व है. सोम प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा बरसती है और रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं. भगवान शिव को आशुतोष कहा गया है. आशुतोष का मतलब होता है कि जल्दी प्रसन्न होने वाले. सोम प्रदोष का व्रत करने से धन-धान्य, संपन्नता और वाणी में तेज प्राप्त होता है.
4 अप्रैल (मंगलवार) महावीर स्वामी जयंती
जैन धर्म के लोग महावीर जयंती को बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं. महावीर जयंती के दिन शोभायात्राएं भी निकाली जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान महावीर ने कठोर तप के बाद अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी.
6 अप्रैल (गुरुवार) स्नान दान पूर्णिमा/ हनुमान जन्मोत्सव
स्नान दान पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू नव वर्ष 2080 की यह पहली पूर्णिमा है. स्नान दान पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्थिरता बनी रहती है.
16 अप्रैल (रविवार) वरुथिनी एकादशी
वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से दुखों से छुटकारा मिलता है साथ ही विधि विधान से पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं.
17 अप्रैल (सोमवार) प्रदोष व्रत
सोमवार भगवान शिव का बहुत प्रिय दिन है. प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा का काफी महत्व है. सोम प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा बरसती है और रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं. भगवान शिव को आशुतोष कहा गया है. आशुतोष का मतलब होता है कि जल्दी प्रसन्न होने वाले. सोम प्रदोष का व्रत करने से धन-धान्य, संपन्नता और वाणी में तेज प्राप्त होता है.
22 अप्रैल (शनिवार) अक्षय तृतीया
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहते है. अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. अक्षय तृतीया को मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन नए कार्य की शुरुआत करने से लाभ होता है साथ ही सफलता मिलती है.
27 अप्रैल (गुरुवार) गंगा सप्तमी
मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है साथ ही कष्टों का भी नाश होता है. जीवन में सफलता मिलती है साथ ही सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है.
29 अप्रैल (शनिवार) सीता नवमी
सीता नवमी के दिन सीता मां की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाए तो जीवन के सभी दुख दूर होते हैं. मान्यता है कि घर की महिलाएं सीता नवमी के दिन पूजा अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथी पति की आयु दीर्घ होती है.
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