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हरि नगर: संतोषी माता मंदिर पहुंचे भक्त, जानें मांं की मूर्ति क्यों हैं खास

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ऐसे में दिल्ली के हरी नगर के संतोषी माता मंदिर में भक्त माता के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. मां संतोषी की अष्टधातु की मूर्ति भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

devotees coming to worship at mata santoshi temple in hari nagar know what is special
जानिए संतोषी माता की मूर्ति क्यों हैं खास
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Published : Oct 18, 2020, 7:49 PM IST

नई दिल्ली: आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा आराधना की जाती है. ऐसे में मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया हैं. दिल्ली के हरी नगर के संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी की अष्टधातु की मूर्ति भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. दरअसल, मंदिर प्रशासन का दावा है कि यह अष्ट धातु की बनी मां संतोषी की विश्व में एकलौती मूर्ति है और इसकी मान्यता भी उतनी ही अधिक है.

जानिए संतोषी माता की मूर्ति क्यों हैं खास

मां संतोषी की अष्टधातु की मूर्ति कहीं नहीं

नवरात्रि का दूसरा दिन और ऐसे में हरी नगर संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी की एक मूर्ति भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जो अष्टधातु की बनी हुई हैं. मां की इस मूर्ति की गाथाएं भी अनेक है और मान्यताएं भी अनेक हैं. मंदिर प्रशासन का दावा है कि अष्टधातु की यह मूर्ति जो हरी नगर के संतोषी माता मंदिर में रखी गई हैं, वे विश्व में इकलौती मूर्ति है और ऐसी मूर्ति और कहीं नहीं हैं. इतना ही नहीं, मंदिर प्रशासन ने इस मूर्ति की मान्यताओं के बारे में बताया कि यहां जो भी मनोकामनाएं मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती हैं. यही वजह है कि मां संतोषी जिसके नाम से यह मंदिर विख्यात है. यहां लगातार उद्यापन होते रहते हैं और उद्यापन होने का मतलब है कि लोगों ने जो मान्यताएं मांगी थी, वह पूरी हुई. वहीं दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का भी कहना है कि वे कई जगह मंदिरों के दर्शन के लिए गए, लेकिन ऐसी मूर्ति उन्हें कहीं नहीं दिखी. साथ ही भक्तों का यह भी कहना है कि अष्टधातु की बनी यह अद्भुत मूर्ति ऐसी लगती है कि माता उनसे बात कर रही हो.

दूर-दूर से आते भक्त

संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी मां की अष्टधातु की मूर्ति की मान्यताएं बहुत अधिक हैं. यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार, सन 1984 में मां संतोषी की अष्ट धातु की मूर्ति की स्थापना की गई थी. इसके पीछे उद्देश्य यही था कि यह मंदिर मां संतोषी के मंदिर के रूप में ही स्थापित किया जाए. इसी नाम से इसकी ख्याति भी है और यही वजह है कि मां के अलग-अलग रूपों में मां के इस रूप की नवरात्रि में मान्यताएं अधिक मानी जाती हैं.

नई दिल्ली: आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा आराधना की जाती है. ऐसे में मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया हैं. दिल्ली के हरी नगर के संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी की अष्टधातु की मूर्ति भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. दरअसल, मंदिर प्रशासन का दावा है कि यह अष्ट धातु की बनी मां संतोषी की विश्व में एकलौती मूर्ति है और इसकी मान्यता भी उतनी ही अधिक है.

जानिए संतोषी माता की मूर्ति क्यों हैं खास

मां संतोषी की अष्टधातु की मूर्ति कहीं नहीं

नवरात्रि का दूसरा दिन और ऐसे में हरी नगर संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी की एक मूर्ति भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, जो अष्टधातु की बनी हुई हैं. मां की इस मूर्ति की गाथाएं भी अनेक है और मान्यताएं भी अनेक हैं. मंदिर प्रशासन का दावा है कि अष्टधातु की यह मूर्ति जो हरी नगर के संतोषी माता मंदिर में रखी गई हैं, वे विश्व में इकलौती मूर्ति है और ऐसी मूर्ति और कहीं नहीं हैं. इतना ही नहीं, मंदिर प्रशासन ने इस मूर्ति की मान्यताओं के बारे में बताया कि यहां जो भी मनोकामनाएं मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती हैं. यही वजह है कि मां संतोषी जिसके नाम से यह मंदिर विख्यात है. यहां लगातार उद्यापन होते रहते हैं और उद्यापन होने का मतलब है कि लोगों ने जो मान्यताएं मांगी थी, वह पूरी हुई. वहीं दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का भी कहना है कि वे कई जगह मंदिरों के दर्शन के लिए गए, लेकिन ऐसी मूर्ति उन्हें कहीं नहीं दिखी. साथ ही भक्तों का यह भी कहना है कि अष्टधातु की बनी यह अद्भुत मूर्ति ऐसी लगती है कि माता उनसे बात कर रही हो.

दूर-दूर से आते भक्त

संतोषी माता मंदिर में मां संतोषी मां की अष्टधातु की मूर्ति की मान्यताएं बहुत अधिक हैं. यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार, सन 1984 में मां संतोषी की अष्ट धातु की मूर्ति की स्थापना की गई थी. इसके पीछे उद्देश्य यही था कि यह मंदिर मां संतोषी के मंदिर के रूप में ही स्थापित किया जाए. इसी नाम से इसकी ख्याति भी है और यही वजह है कि मां के अलग-अलग रूपों में मां के इस रूप की नवरात्रि में मान्यताएं अधिक मानी जाती हैं.

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