नई दिल्ली: पश्चिमी दिल्ली के डीडीयू हॉस्पिटल में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ ने बताया कि उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्टाफ का कहना है कि ऐसी परिस्थितियां ही ना उत्पन्न हों कि मेडिकल स्टाफ के मरने के बाद दिल्ली सरकार को उन्हें एक करोड़ रुपए देने पड़ें.
मेडिकल स्टाफ ने दिल्ली सरकार के उस फैसले का स्वागत किया है जिसमें कहा गया है कि कोरोना योद्धाओं की शहादत पर एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. स्टाफ के मुताबिक डीडीयू हॉस्पिटल में कोरोना वायरस के शुरुआती दौर से ही यहां जरूरत के सामानों की शॉर्टेज है. जिसमें पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स शामिल हैं.
मेडिकल स्टाफ का कहना है कि दिल्ली सरकार इन जरूरत की चीजों की पर्याप्त सप्लाई करे तो शायद एक करोड़ रुपये किसी को मरने के बाद देने की जरूरत ना पड़े.
'प्रोटोकॉल का नहीं हो पाता पालन'
हॉस्पिटल स्टाफ के मुताबिक यहां प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं हो रहा. प्रोटोकॉल के मुताबिक कोरोना वायरस के पेशेंट के साथ और आइसोलेशन सेंटर में काम करने वाले हॉस्पिटल स्टाफ को घर नहीं जाना चाहिए. चाहे वो डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन या वार्ड बॉय ही क्यों ना हो, क्योंकि वो कोरोना पॉजिटिव पेशेंट के बीच में रहते हैं.
डीडीयू स्टाफ ने कहा-
दिल्ली सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था ना होने के कारण मजबूरन स्टाफ अपने घर जाता है और परिवार के साथ रहता है. जिससे परिवार के सदस्यों और सोसायटी को इससे खतरा हो सकता है.
67 बेड का है आइसोलेशन सेंटर
डीडीयू हॉस्पिटल में 100 बेड्स का आइसोलेशन सेंटर बनाया जाना था, लेकिन यहां 67 ही बेड्स का आइसोलेशन सेंटर बनाया जा सका. इसमें हॉस्पिटल स्टाफ काम करता है, लेकिन उन्हें सरकार की तरफ से जरूरी सुविधाएं मुहैया ना कराए जाने की वजह से स्टाफ अपने परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित है.