नई दिल्ली: आस्था व प्रकृति का संगम और छठी मैया को समर्पित छठ महापर्व सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. दिल्ली एनसीआर में सुबह 6 बजकर 27 मिनट पर सूर्योदय हुआ और इसके साथ ही दिल्ली के अलग-अलग छठ घाटों पर पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को श्रद्धालुओं ने अर्घ्य दिया.
छठ महापर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर को नहाय-खाय से हुई थी. इसके बाद दूसरे दिन खरना हुआ था. तीसरा दिन यानी रविवार की अस्ताचलगामी सूर्य को व्रतियों ने अर्घ्य दिया था. आज (सोमवार) यानी चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया. इस दौरान छठ घाटों पर बड़े, बच्चे सभी ने आतिशबाजियां कर अपनी खुशियां जाहिर कीं. यही नहीं छठ घाट पर श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए झांकियों का भी इंतजाम किया गया था, जिसका वहां आने वाले श्रद्धालु खूब लुत्फ उठा रहे थे.
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सूर्य देव को अर्घ्य देने का महत्व: छठ पूजा का समापन उगते सूर्य देव की पूजा के साथ होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं. इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं.
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छठ पूजा से यश, धन, वैभव की प्राप्ति: मान्यता के अनुसार, संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है. छठ में अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है, इसलिए इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है.
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